राजनैतिकशिक्षा

विदेशी निवेश की अनुकूलताएं व चुनौतियां

-डा. जयंतीलाल भंडारी-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

21 जुलाई को केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री ने संसद में बताया कि पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में दुनिया में वैश्विक सुस्ती के कारण भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पूर्व वित्त वर्ष की तुलना में 22 फीसदी घटकर 46 अरब डॉलर रह गया है। इसके बावजूद अभी भी भारत दुनिया के प्रमुख एफडीआई प्राप्त करने वाले देशों की सूची में ऊंचे क्रम पर रेखांकित हो रहा है। हाल ही में प्रकाशित संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (अंकटाड) की वल्र्ड इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट 2023 पढ़ी जा रही है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में गिरावट के रुझान के बीच भारत दुनिया के सर्वाधिक एफडीआई प्राप्त करने वाले 20 देशों की सूची में आठवें पायदान पर रहा। विदेशी निवेश की बदौलत भारत विश्व में नई परियोजनाओं की घोषणा करने वाला तीसरा देश बन गया और अंतरराष्ट्रीय परियोजना वित्त सौदों में दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया। अंकटाड की वल्र्ड इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है और भारत में तेजी से कई आर्थिक सुधार भी हो रहे हैं। इस परिप्रेक्ष्य में यह भी उल्लेखनीय है कि 9 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (यूएनईएससीएपी) की डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार सुविधा संबंधी रिपोर्ट में भारत 140 देशों को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में सबस आगे पहुंच गया है। रिपोर्ट के मुताबिक पारदर्शिता, औपचारिकताएं, संस्थागत व्यवस्था, सहयोग और कागज रहित व्यापार संबंधी मूल्यांकन में भारत ने 100 प्रतिशत की उत्कृष्ट रैंक हासिल की है।

गौरतलब है कि देश को विदेशी निवेश का पसंदीदा देश बनाने में तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की अहम भूमिका है। पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में देश की विकास दर अनुमानों से अधिक 7.2 फीसदी रही है। देश में जून 2023 में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), विनिर्माण के लिए पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई), यात्री वाहनों की बिक्री और यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के जरिये हुए लेन-देन में प्रभावी वृद्धि पाई गई है। ऐसे उत्साहवद्र्धक आर्थिक आंकड़ों से दुनियाभर के वित्तीय संगठनों और क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के द्वारा वर्ष 2023-24 में भारत की विकास दर के 6 से 6.5 फीसदी रहने की उम्मीदें प्रस्तुत की जा रही हैं। विभिन्न वैश्विक रिपोर्टों में यह कहा जा रहा है कि भारत विश्व अर्थव्यवस्था में नई शक्ति प्राप्त कर रहा है। चार वैश्विक रुझान जनसांख्यिकी, डिजिटलीकरण, डीकार्बोनाइजेशन और डीग्लोबलाइजेशन न्यू इंडिया के पक्ष में हैं। भारत में मजबूत राजनीतिक नेतृत्व है। भारत में निवेश पर बेहतर रिटर्न है।

भारतीय बाजार बढ़ती डिमांड वाला बाजार है। देश में प्रतिभाशाली नई पीढ़ी की कौशल दक्षता, आउटसोर्सिंग और देश में बढ़ते हुए मध्यम वर्ग की चमकीली क्रयशक्ति के कारण विदेशी निवेश भारत की ओर तेजी से बढऩे लगा है। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि मोदी सरकार के द्वारा उद्योग-कारोबार को आसान बनाने के लिए विगत 9 वर्षों में करीब 1500 पुराने कानूनों और 40 हजार अनावश्यक अनुपालन को समाप्त कर दिया गया है। आर्थिक क्षेत्र में जीएसटी और दिवालिया कानून जैसे सुधार किए गए हैं। बैंकिंग क्षेत्र में जोरदार सुधार करके मजबूत वृहद आर्थिक बुनियाद की मदद से अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया गया है। कॉरपोरेट टैक्स को कम किया गया है। कारोबार का खुद संचालन करने के बजाय सरकार ने कारोबार करने के लिए आधार तैयार किया है। भारत के युवाओं ने डिजिटल और उद्यमिता के क्षेत्र में दुनिया भर में दबदबा कायम किया है। 100 से ज्यादा यूनिकार्न बनाए हैं और पिछले 9 साल में एक लाख से ज्यादा नए स्टार्टअप शुरू किए हैं। कानून के कई प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और एफडीआई के लिए नए रास्ते जैसे अभूतपूर्व कदमों से देश की ओर विदेशी निवेश का प्रवाह तेजी से बढ़ते हुए दिखाई दे रहा है। उल्लेखनीय है कि वैश्विक स्तर पर सुस्त बाजारों और चीन की आर्थिक रफ्तार सुस्त होने के बीच भारत ने विदेशी निवेश प्राप्त करने का अब तक एक शानदार मुकाम हासिल किया है। विनिर्माता और निवेशक चीन का विकल्प तलाश रहे हैं और इस समय एशिया में अधिकांश निवेशकों को भारत से बेहतर कोई नहीं दिख रहा है।

देश की अर्थव्यवस्था की चाल में लगातार सुधार और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफपीआई) से भारी निवेश प्राप्त होने की बदौलत भारतीय शेयरों में लगातार तेजी दर्ज की जा रही है। इस समय देश में शेयर बाजार ने शानदार प्रदर्शन किया है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी तथा बंबई स्टॉक एक्सचेंज का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स रिकॉर्ड स्तर पर है। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को आगे बढ़ाने के लिए सरकार जिन रणनीतियों के साथ आगे बढ़ रही है, उससे देश में तेजी से विदेशी निवेश बढ़ रहा है। भारत को एक वैश्विक डिजाइन और विनिर्माण केंद्र में बदलने के लिए मेक इन इंडिया 2.0, मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों के लिए तकनीकी समाधान को बढ़ावा देने के लिए उद्योग 4.0, स्टार्टअप संस्कृति को उत्प्रेरित करने के लिए स्टार्टअप इंडिया, मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी अवसंरचना परियोजना के लिए पीएम गति शक्ति और उद्योगों को डिजिटल तकनीकी शक्ति प्रदान करने के लिए डिजिटल इंडिया जैसी सफल पहलों के कारण भारत चतुर्थ औद्योगिक क्रांति की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका के दौरे के बाद उद्योग-कारोबार से संबंधित ऐसा महत्वपूर्ण परिदृश्य उभरकर सामने आ रहा है जिससे भारत दुनिया का नया मैन्युफैक्चरिंग हब बनते हुए दिखाई देगा और भारत में विदेशी निवेश बढ़ेगा। माइक्रोन, एप्लाइड मैटेरियल्स और लैम रिसर्च जैसी कंपनियों की घोषणाओं से आने वाले दिनों में लाखों की संख्या में नई नौकरियां भी पैदा होंगी। कंप्यूटर चिप बनाने वाली अमेरिकन कंपनी माइक्रोन ने गुजरात में अपना सेमीकंडक्टर असेंबली एवं परीक्षण संयंत्र के परिचालन को वर्ष 2024 के अंत तक शुरू करने की घोषणा की है जिस पर करीब 2.75 अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा।

देश में सेमीकंडक्टर के निर्माण से अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदल जाएगी क्योंकि सेमीकंडक्टर उद्योग स्टील, गैस और केमिकल्स की तरह आधारभूत उद्योग है जो कई सेक्टर की जरूरतों को पूरा करता है। सेमीकंडक्टर के निर्माण से ऑटमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, टीवी, फ्रिज जैसी उपभोक्ता वस्तुएं, स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहन व रक्षा सेक्टर को काफी लाभ मिलेगा। माना जा रहा है कि सेमीकंडक्टर प्लांट के लिए माइक्रोन टेक्नोलॉजी की घोषणा के बाद इनकी सप्लाई चेन से जुड़ी 200 से अधिक छोटी-बड़ी कंपनियां भारत में निवेश करते हुए दिखाई देंगी। हम उम्मीद करें कि भारत की विशाल कौशल प्रशिक्षित युवा आबादी नवाचार, तकनीकी और डिजिटल नवोन्मेषों के साथ भारत को दुनिया के विदेशी निवेशकों की नजरों में और अधिक पसंदीदा देश बनाने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ाएगी। हम उम्मीद करें कि इस बार वल्र्ड इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट 2023 में आठवें क्रम पर स्थित भारत नई लॉजिस्टिक नीति, गति शक्ति योजना के कारगर कार्यान्वयन, नीतिगत सुधारों, उत्पादों के कारोबार के लिए सिंगल विंडो मंजूरी, इन्फ्रास्ट्रक्चर, श्रमिकों के नए दौर के अनुरूप शिक्षण प्रशिक्षण के साथ-साथ विभिन्न आर्थिक और वित्तीय सुधारों से आगामी वर्ष 2024 की रिपोर्ट में दुनिया के पहले पांच सबसे पसंदीदा एफडीआई वाले देशों के ऊंचे क्रम पर रेखांकित होते हुए दिखाई देगा।

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