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क्या 2024 में भाजपा आलाकमान की उम्मीदों पर खरे उतर पायेंगे भूपेंद्र चौधरी?

-अजय कुमार-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के नवनियुक्त अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी हालांकि अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत से ही चुनौतियों का सामना करते रहे हैं लेकिन मिशन-2024 को सफल बनाने की जिम्मेदारी उनके लिए अब तक की सबसे बड़ी चुनौती है। हालांकि भूपेन्द्र चौधरी की काबलियत को आलाकमान ने पहचान कर ही उन्हें यह पद सौंपा है। उत्तर प्रदेश में भाजपा को नया अध्यक्ष मिला यह तो औपचारिकता थी, लेकिन सबसे खास बात यह रही कि भाजपा आलाकमान की सोच तक कोई नेता या मीडिया कर्मी पहुंच नहीं सका। संभवतः मीडिया में जो नाम चल रहे थे, उसमें से कोई भी या तो शीर्ष नेतृत्व की कसौटी पर खरा नहीं उतरा अथवा आलाकमान की लिस्ट में यह नाम होगा ही नहीं। दिल्ली के तख्त पर 2024 में तीसरी बार मोदी की ताजपोशी करने के लिए यह जरूरी था कि उत्तर प्रदेश में सियासी गोटियां कायदे से बिछाई जाएं। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि मोदी को दो-दो बार पीएम बनाने में उत्तर प्रदेश की बड़ी भूमिका रही थी। तीसरी बार भी यूपी की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जा रही है। 80 लोकसभा सीट वाले उत्तर प्रदेश में 2014 और उसके बाद जितने भी चुनाव हुए जनता ने बीजेपी की झोली वोटों से भर दी थी।

2024 के आम चुनाव में भाजपा अपना सौ फीसदी परफॉरमेंस देना चाहती है। वैसे पार्टी के लिए 2014 के बाद से यूपी ‘सोने का अंडा देने वाली मुर्गी’ साबित हो रही है, लेकिन उसे चिंता इस बात की भी है कि कहीं वोटों का अंडा देने वाली मुर्गी वोट रूपी अंडे देना बंद नहीं कर दे। ऐसा न हो इसीलिए भाजपा आलाकमान ने काफी सोच विचार के बाद योगी सरकार के पंचायतीराज मंत्री और पश्चिमी यूपी के बड़े जाट नेता भूपेंद्र सिंह चौधरी को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। चौधरी की नियुक्ति से ना केवल पश्चिमी यूपी में भाजपा को मजबूती मिलेगी बल्कि इसके अलावा उसके इस फैसले से जाट वोट बैंक का रुझान भी भाजपा की तरफ बढ़ सकता है। शीर्ष नेतृत्व ने लगातार दूसरी बार पिछड़े वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर पश्चिम से पूर्वांचल तक पिछड़े और अति पिछड़े वोट बैंक को भी साधे रखने की कोशिश की है। चौधरी भले ही भाजपा के 14वें प्रदेश अध्यक्ष हों, लेकिन पहले ऐसे जाट नेता जरूर बन गए हैं जिसने यूपी में भाजपा की कमान संभाली है। भाजपा ने पहली बार किसी जाट नेता को संगठन की कमान सौंपी है।

54 वर्षीय भूपेंद्र चौधरी का जन्म मुरादाबाद के महेंद्री सिकंदरपुर गांव में हुआ था। चौधरी की जाट समाज के साथ पश्चिमी यूपी में गुर्जर, ब्राह्मण, त्यागी समाज में मजबूत पकड़ है। लोकसभा चुनाव 2019 से पहले जाटों के आरक्षण आंदोलन और कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन के समय चौधरी ने पश्चिमी यूपी में जाट समाज के साथ किसानों के बीच सरकार की बात पहुंचाकर संकट मोचक की भूमिका भी निभाई थी। जानकारों का मानना है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के करीबी भूपेंद्र चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने से पार्टी को लोकसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी में जाट वोट बैंक को साधने में आसानी होगी। आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी को प्रदेश अध्यक्ष के रूप में एक अनुभवी और कद्दावर नेता के साथ ऐसे नेता की तलाश थी जो वोट बैंक के लिहाज से भी मुफीद हो। साथ ही सरकार और संगठन में तालमेल बनाने के साथ आरएसएस और विचार परिवार के संगठनों की अपेक्षाओं पर भी खरा उतर सकता हो। प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर विभिन्न दावेदारों के बीच तीन चार महीने से चलती अध्यक्ष पद की दौड़ के बीच पार्टी के शीर्ष नेतृत्व और संघ ने चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए सबसे उपयुक्त माना।

उल्लेखनीय है कि भाजपा के निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह का तीन वर्ष का कार्यकाल 16 जुलाई को समाप्त हो गया था। स्वतंत्र देव ने 27 जुलाई को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद से ही प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर लखनऊ से दिल्ली तक चर्चाओं और अटकलों का दौर चल रहा था। भूपेंद्र चौधरी 1989 से 1991 में राम जन्मभूमि आंदोलन में विश्व हिंदू परिषद में सक्रिय रहे। 1991 में भाजपा में शामिल होने के बाद सक्रिय राजनीति शुरू की तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। चौधरी बीते 31 सालों से लगातार संगठन और सरकार में किसी ना किसी दायित्व पर रहे हैं। 1993 में मुरादाबाद में भाजपा की जिला कार्यकारिणी के सदस्य बनाए गए। 1996 में भाजपा के जिला कोषाध्यक्ष और 1998 में मुरादाबाद के जिलाध्यक्ष बनाए गए। चौधरी ने 1999 के लोकसभा चुनाव में संभल सीट से सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के सामने चुनाव भी लड़ा था। 2006 में चौधरी भाजपा के पश्चिम क्षेत्र के क्षेत्रीय मंत्री बने। 2012 से 2017 तक उन्हें लगातार तीन बार पश्चिम क्षेत्र का क्षेत्रीय अध्यक्ष बनाया गया।

उल्लेखनीय है कि पार्टी में जिलाध्यक्ष, क्षेत्रीय अध्यक्ष या प्रदेश अध्यक्ष पद का दायित्व अधिकतम दो बार मिलता है लेकिन चौधरी को तीन बार क्षेत्रीय अध्यक्ष बनाया गया। 2016 में भूपेंद्र चौधरी विधान परिषद सदस्य निर्वाचित हुए। 2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर उन्हें योगी मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाते हुए पंचायतीराज विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। 2019 में उन्हें पदोन्नत कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया। 2022 विधानसभा चुनाव के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार 2.0 में चौधरी को पुनः कैबिनेट मंत्री बनाया गया। 13 जून 2022 को चौधरी पुनः विधान परिषद सदस्य निर्वाचित हुए हैं। भाजपा में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत है। लिहाजा प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त होने के बाद उन्हें प्रदेश सरकार के पंचायतीराज मंत्री के पद से इस्तीफा देना होगा।

भाजपा के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने अपनी रणनीति का खुलासा करते हुए कहा कि वह पार्टी और कार्यकर्ताओं की अपेक्षाओं के अनुसार काम करेंगे। उत्तर प्रदेश में भाजपा का संगठन बूथ स्तर तक खड़ा है इसलिए 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यूपी की सभी 80 लोकसभा सीटों पर भाजपा जीतेगी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चौधरी ने कहा कि बहुत से ऐसे कार्यकर्ता थे जो उनसे ज्यादा अच्छा काम कर सकते थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें मौका दिया है, विश्वास जताया है। उन्होंने कहा कि वह पार्टी नेतृत्व की अपेक्षाओं के अनुसार काम करेंगे। उन्होंने कहा कि 2014, 2017, 2019 और 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अपार सफलता मिली है। भाजपा को ओर आगे ले जाने के लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा में असंख्य कार्यकर्ता हमेशा चुनाव के मोड़ में रहते हैं। कार्यकर्ताओं ने मेहनत से अच्छे परिणाम दिए हैं।

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