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किॉलेजों की विश्वविद्यालय से संबद्धता खत्म कर उन्हें स् वायत्तता प्रदान करने के नाम पर आर्थिक जिम्मेदारी कॉलेजों पर डालने से होगी शिक्षा महंगी-कमल साईं

रोहतक, 28 जुलाई (सक्षम भारत)।

आज ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन (एआईडीएसओ) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2019 के ड्राफ्ट पर नितानंद पब्लिक स्कूल, रोहतक में सेमिनार का आयोजन किया। जिसमें संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमल साईं व उपाध्यक्ष डॉ. मुकेश सेमवाल ने मुख्य वक्ता के तौर पर शिरकत की।
मुख्य वक्ता कमल साईं ने कहा कि ड्राफ्ट एनईपी-2019 में निजी संस्थानों को फीस वृद्धि के लिए खुला छोड़ देने, स्कूल स्तर से व्यवसायीकरण को लागू करने का सुझाव है। उनका कहना था कि सभी कॉलेजों की विश्वविद्यालय से संबद्धता खत्म कर उन्हें स्वायत्तता प्रदान करने के नाम पर आर्थिक जिम्मेदारी कॉलेजों पर डाली जाएगी। इससे शिक्षा महंगी होगी और शिक्षा के व्यापारी करण को बढ़ावा मिलेगा।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि मेडिकल शिक्षा में नीट की तरह एग्जिट टेस्ट की सिफारिश है। मेडिकल शिक्षा को वैश्विक कोमोडिटी बनाने के लिए विदेशी छात्रों के दाखिले मुक्त होंगे। यह सीधे-सीधे मेडिकल शिक्षा को व्यापारीकरण की तरफ धकेल देगा। ड्राफ्ट एनईपी में राष्ट्रीय अनुसंधान फाऊंडेशन की स्थापना करने का सुझाव है। इस फाऊंडेशन की संरचना केंद्रीकृत व राजनीतिक नियंत्रण में होगी। उन्होंने कहा कि कम्पनियों के बाजार की जरूरत को पूरा करने के लिए ही रिसर्च होगी। ड्राफ्ट के अनुसार, स्नातक कोर्स चार साल का कर दिया जाएगा। जिसमें कई प्रवेश व निकास द्वार होंगे इससे छात्रों को विस्तृत ज्ञान हासिल करने पर घातक हमला होगा।
डॉ. मुकेश सेमवाल ने बताया कि स्कूल में 5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 का पैटर्न लागू किया जाएगा, जिसमें आंगनवाड़ी के 3 सालों को भी स्कूल की औपचारिक शिक्षा के तहत लाया जाएगा। जिससे आंगनवाड़ी की भूमिका खत्म हो जाएगी। नौवीं कक्षा से बारहवीं तक सेमेस्टर प्रणाली लागू की जाएगी, जो सीखने की प्रक्रिया को ही बाधित करेगा।
उन्होंने बताया कि स्कूल स्तर पर नो डिटेंशन पॉलिसी 2009 से लागू है, जिससे स्कूली शिक्षा तबाह हो गई है। इसे खत्म करने का कोई सुझाव इस ड्राफ्ट में नहीं है। ड्राफ्ट में स्कूल कंपलेक्स खोलने का सुझाव है, जिससे स्कूलों की क्लोजर व मर्जर नीति को बढ़ावा मिलेगा। निजी इकाइयों के व्यापार में फायदा पहुंचाने के लिए यह किया जा रहा है।
डॉ. मुकेश के अनुसार ड्राफ्ट में अंग्रेजी भाषा का अवमूल्यन करके पूरे देश में त्रि-भाषायी प्रणाली लागू करने को कहा गया है। इससे हिंदी व गैर हिंदी भाषी लोगों में मतभेद पैदा हो गया है। ड्राफ्ट के अनुसार धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने की बजाय शिक्षा में धार्मिक सामग्री लागू की जाएगी। इससे सांप्रदायिक, जातिवादी व विभाजनकारी ताकतों को बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने बताया कि यूजीसी, एआईसीटीई, एमसीआई व बीसीआई आदि स्वायत्त निकायों को विघटित या खत्म करके विभिन्न स्तर पर नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी अथॉरिटी (एनएचईआरए) मनाई जाएगी, जो केंद्र सरकार के इशारे पर काम करेगी। इससे शिक्षा का फासीवादी केंद्रीकरण बढ़ेगा।
वरिष्ठ पत्रकार ओपी तिवारी ने कहा कि अगर यह शिक्षा नीति लागू हो जाती है तो देश में शिक्षा व्यापार बन जाएगी। सब कुछ केंद्र सरकार की मुट्ठी में आ जाएगा। जो हमारी शिक्षा व्यवस्था के लिए खतरनाक साबित होगा। इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के इस ड्राफ्ट से केंद्र सरकार की छुपी मंसा को समझना है और उसका पर्दाफाश करना है। यह जिम्मेदारी आज हमारे कंधों पर है।
सेमिनार में प्रदेश सचिव हरीश कुमार, मदवि इंचार्ज उमेश कुमार, शिवाशीष प्रहराज, प्रवक्ता अनिल कुमार, डॉ प्रीति, मेडिकल सर्विस सेंटर से डॉ नरेश, डॉ मुस्कान, राजेश, अमित, आकाश, रोहन, स्फूर्ति सुहाग, विधि गुलिया, विशू दहिया आदि ने भी अपने विचार रखे।

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