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दीपावली विशेष : रोशनी का यह पर्व आप के जीवन में अंधकार नहीं ला पाए किसी भी उपाय से बेहतर है रोकथाम

-उमेश कुमार सिंह-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

दीपावली को सबसे पसंदीदा त्योहार माना जाता है। दिवाली का त्योहार प्रकाश और उजाले का प्रतीक माना जाता है और इसके आगमन से पहले ही घरों में जोर-शोर से तैयारियां शुरू हो जाती है। दिवाली वैसे पांच दिनों का त्योहार माना जाता है। दिवाली की ‘शुरुआत धनतेरस से होती है-उस दिन सोना खरीदने का सबसे शुभ अवसर माना जाता है-उस दिन लोग अपने लिए नई नई चीजें बर्तन, सोना चांदी अवश्य खरीदते हैं-धनतेरस के बाद आती है-छोटी दिवाली, फिर मुख्य दिवाली का दिन आता है-यह पावन त्योहार उल्लास और उमंग के साथ ढेर सारी खुशियां लाता है। परिवार के सदस्य एक-दूसरे मिलते जुलते हैं और खुशियां बांटते हैं। इस त्योहार का सबसे बेसब्राी से इंतजार बच्चों को रहता है क्योंकि इन दिनों पटाखे जलाने, आतिशबाजी, नये कपड़े, ढेर सारे पकवान के साथ ही छुट्टियों का भी भरपूर आनंद उठाना चाहते हैं। लेकिन इस उल्लास भरे त्योहार में कुछ सावधानियां बरतना भी जरूरी होता है क्योंकि आतिशबाजी के बाद निकलने वाला प्रदूषित धुआं और पटाखों की तेज आवाज हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती हैं।

दिवाली का मौसम खुशी और मौज मस्ती का होता है। यह आशीर्वाद एवं एक दूसरे का शुक्रिया अदा करने वाला भी समय है। इस समय परिवार, रिश्तेदार, दोस्त और पड़ोसी साथ मिलकर दिवाली मनाने के लिए इकट्ठे होते हैं। लेकिन हम खुशी मनाना चाहते हैं, दुख बटोरना नहीं। रोशनी का यह पर्व आप के जीवन में अंधकार नहीं ला पाए. किसी भी उपाय से बेहतर रोकथाम। दीपावली और पटाखे एक तरह से एक दूसरे के पर्याय हो चुके हैं। पटाखे आंखों को बहुत ही खुशी देते हैं और निश्चित रूप से सौंदर्य शास्त्रीय निगाहों से उनकी सराहना की जा सकती है। पटाखे हमारे उत्सवों में चमक और खुशी का समावेश करते हैं। लेकिन इस सच्चाई की अनदेखी नहीं की जा सकती है कि अगर पटाखों का प्रयोग सावधानी से नहीं किया जाए तो वे अपने संपर्क में आने वाले में से बहुतों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन सकते हैं। यही वजह है कि हर वर्ष इस त्योहार के दौरान देश भर में बहुत से लोग अपनी आंखों की दृष्टि खो देते हैं और जल जाते हैं। ये मौज-मस्ती करने वालों के लिए अनकही मुसीबत ला सकते हैं और उनके दीवाली उत्सव का मजा खराब कर सकते हैं। इसलिए सुरक्षित राह अपनाना जरुरी है। इससे आप की खुशहाल और सुरक्षित दीपावली सुनिश्चित हो पाएगी।

आंखें शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में एक हैं और उनमें लगने वाली चोट कितनी भी छोटी क्यों न हो चिंता की बात है और डाक्टरी सहायता में देरी चोटग्रस्त स्थान की स्थिति और अधिक घातक कर सकती है, जिसके परिणामस्वरूप दिखाई देने में कमी आ सकती है या अंधापन हो सकता है। हर वर्ष सभी से सावधानी बरतने की अपील करने के बावजूद हमारे पास बड़ी संख्या में आंखों की चोट के शिकार मरीज आते हैं। आंखें में चोट लगने के बाद घटती हुई दृष्टि, आंखें में लाली, लगातार पानी आने तथा आंखें को खोलने में असमर्थ हो जाने जैसी शिकायतें हो सकती हैं। चोट की वजह से कंजाक्टिवा में आंसू, आंखों में उभार के साथ श्वेतपटल में आंसू या आंखों में खून आ सकता है। पटाखों की वजह से ओक्युलर ट्रौमा विभिन्न रूपों में नजर आ सकता है:-

-आंखों में किसी बाहरी तत्व का प्रवेश
-चेहरे का जलना
-कुंद चोट
-छिद्रित चोट

चोट चाहे किसी भी रूप में हों, इनकी वजह से रेटाइनल इडेमा, रोटाइनल, डिटैचमेंट, संक्रमण या आंखों के पूरी तरह विरूपित हो जाने की शिकायत हो सकती है। न सिर्फ दृष्टि बल्कि कई बार आई बॉल विरूपित हो जाती है और इलाज के बावजूद बच्चे की आई बॉल घंस जाती है जो कि चेहरे को बदसूरत बना देती है।

चोट लगने के बाद सावधानी

-आंखों को चोटग्रस्त होने से बचाने के लिए पटाखे जलाते वक्त गॉगल्स ‘रंगीन चश्मा’ पहनना चाहिए।
-आंखों को तत्काल पानी से धो डालना चाहिए। आंखों को शावर या वेसिन के पानी के नीचे रखें या फिर एक साफ वर्तन से आंखों में पानी डालें। पानी डालते वक्त आंखें खुली रखें या जितना संभव हो फैलाकर रखें। कम से कम 15 मिनट तक पानी डालना जारी रखें।
-अगर आंखों पर लेंस हो तो तत्काल ही पानी की फुहार डालना शुरू कर दें। इससे लेंस बह सकता है।
-बच्चों को अकेले पटाखा जलाने से बचें और यह कार्य समूह में करें
-अगर चोट लगी हुई हो तो जितनी जरूरी संभव हो नेत्र विशेषज्ञ तक पहुंचें। डाक्टरी सलाह तब भी लें अगर आंखों में लाली हो या पानी आ रहा हो।
-जलती हुई चिनगारियों को शरीर से दूर रखें।

पटाखा जलाने के लिए मोमबत्ती या अगरबत्ती का इस्तेमाल करें। वे बिना खुली लपट के जलते हैं और आप को हाथों तथा पटाखें के बीच सुरक्षित दूरी कायम रखते हैं.

सावधान रहे यह सब नहीं करना है:

-चोटग्रस्त भाग को छेड़े नहीं। आंखों को मलें नहीं।
-अगर कट गया हो तो आंखों को धोएं नहीं।
-आंखों में पड़ा कोई कचरा हटाने की कोशिश न करें।
-अगर स्टेराइल पैड उपलब्ध नहीं हो तब कोई भी बैंडेज न लगा लें।
-आंखों के मलहम का इस्तेमाल न करें।
-सिंथेटिक कपड़ों को पहनने से बचें और सूती वस्त्रों का प्रयोग करें।
-टिन या ग्लास में पटाखे न जलाएं
-छोटे बच्चों के हाथों में कभी भी पटाखे न दें।

हवा में उडऩे वाले पटाखे वहां नहीं जलाएं जहां सिर के ऊपर पेड़ों, तारों जैसी रूकावटें हों, कभी भी उस पटाखे का फिर से जालने की कोशिश न करें जो ठीक से जल नहीं पाया हो। 15 से 20 मिनट तक इंतजार करें और फिर उसे पानी से भरी एक वाल्टी में डाल दें।

किसी पर भी पटाखे को नहीं फेंकें, पटाखें को हाथों में पकडक़र नहीं जलाएं। उन्हें नीचे रखें, जलाएं और फिर वहां से हट जाएं।

‘करने’ या ‘ना करने’ की हिदायतों पर अमल दीपावली उत्सव के दौरान आंखों की दृष्टि जाने या अन्य दुर्घटनाओं को रोक सकती हैं। किसी भी तरह की चोट को हानिरहित नहीं समझना चाहिए। साधारण सी चोट भी नजरों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। प्रारंभिक देखभाल से संबंधित आधारभूत जानकारी इलाज को आसान और तेज बनाएगी।

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