राजनैतिकशिक्षा

अंतर्राष्ट्रीय मंच पर चमकता भारत

-जितेन्द्र कुमार नामदेव-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

जी-20 की मेजबानी करने वाले भारत की धमक अब पूरी दुनिया में दिखाई देने लगी है। जिन्हें भारत कभी सांप-सपोलों का देश लगता था अब उन्हें भारत के साथ-साथ चलने में अपना भविष्य नजर आ रहा है। भारत से छोटे देश जहां सहयोग की उम्मीद लगाए बैठे हैं, तो बड़े देश अपना व्यापार भारत में बढ़ाने के लिए अपने संबंध मधुर करने की होड़ में लगे हैं। वहीं भारत से संबंध बिगाड़ चुके पड़ोसी देश इन दिनों अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में हो रही भारत की वाहवाही से बैचेन हैं।
जी-20 शिखर सम्मेलन प्रतिवर्ष आयोजित होता है और इसकी अध्यक्षता बारी बारी से सदस्य देशों को प्राप्त होती है। जी-20 अध्यक्ष देश एक वर्ष के लिए जी-20 एजेंडा को आगे बढ़ाता है और शिखर सम्मेलन की मेजबानी करती है। जी-20 में दो समानांतर फाइनेंस ट्रैक और शेरपा ट्रैक होते हैं। वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर फाइनेंस ट्रैक का नेतृत्व करते हैं, जबकि शेरपा ट्रैक का नेतृत्व शेरपा करते हैं। फाइनेंस ट्रैक का नेतृत्व सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों द्वारा किया जाता है। दोनों ट्रैक के अंदर, विषयों से जुड़े कार्य समूह हैं जिनमें सदस्य देशों के संबंधित मंत्रालयों के साथ-साथ आमंत्रित, अतिथि देशों और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि भाग लेते हैं।
भारत की जी-20 अध्यक्षता 1 दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर 2023 तक रहेगी। अगले साल सितंबर में होने वाले अंतिम नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में प्रतिनिधिमंडलों के 43 प्रमुख जो कि जी-20 में अब तक की सबसे ज्यादा संख्या है, भाग लेंगे।
जी-20 का नेतृत्व करने का अवसर ऐसे समय में आया है जब अस्तित्व को लेकर खतरे बढ़ गए है, क्योंकि कोविड-19 महामारी ने जलवायु परिवर्तन के व्यापक प्रभावों के बीच हमारे तंत्र की कमजोरियों को उजागर कर दिया है। इस संबंध में, जलवायु परिवर्तन भारत की अध्यक्षता में एक प्रमुख प्राथमिकता है, जिसमें न केवल जलवायु वित्त और प्रौद्योगिकी पर विशेष ध्यान दिया गया है, बल्कि दुनिया भर के विकासशील देशों के लिए हरित ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाना भी सुनिश्चित किया गया है।
जी-20 समूह में दुनिया के 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देश संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, मैक्सिको, अर्जेंटीना, रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, यूके, ब्राजील, इटली, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, भारत, इंडोनेशिया, जापान, तुर्की, कोरिया, फ्रांस, सऊदी अरब एवं यूरोपीय संघ को शामिल किया गया है। जी-20 की स्थापना का विचार 90 के दशक में प्रारंभ हुआ। जब 1990 में विभिन विकसित एवं विकासशील देश आर्थिक एवं वित्तीय रूप से विभिन समस्याओं का सामना कर रहे थे। दुनिया की अर्थव्यवस्था सम्बंधित समस्याओ के समाधान के लिए 25 सितम्बर 1999 को औपचारिक रूप से अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में जी-20 समूह की स्थापना की गयी। इस समूह में सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक के गवर्नरों को शामिल किया जाता है। जी-20 समूह द्वारा सर्वप्रथम बैठक जर्मन के बर्लिन शहर में आयोजित की गयी थी। इसके पश्चात वर्ष 2008 के वित्तीय संकट एवं दुनिया की सबसे बड़ी महामंदी के पश्चात इस फोरम की मीटिंग को समिट स्तर पर प्रतिवर्ष आयोजित किया जाने लगा। प्रतिवर्ष इस समूह द्वारा कुछ देशों को गेस्ट कंट्री के रूप में भी जी-20 समिट में आमंत्रित किया जाता है।
जी-20 की अध्यक्षता के जरिए भारत को दुनियाभर के देशों के सामने ब्रैंड इंडिया की छवि मजबूत बनाने का मौका मिला है। इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल में इंडोनेशिया में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन से की थी। उन्होंने देश के अलग-अलग हिस्सों से बने उत्पाद दुनिया के दिग्गज नेताओं को तोहफे में दिए थे। भारत में जी-20 के लिए 50 शहरों में आयोजनों की तैयारी का लक्ष्य रखा गया है। इसके जरिए पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इन कार्यक्रमों के जरिए दुनिया के देशों में भारत के पर्यटन स्थलों की लोकप्रियता बढ़ेगी। इस कार्यक्रम के जरिए मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट को बढ़ावा मिल सकता है। दुनियाभर के देशों के बीच भारत में बने उत्पादों की पहुंच बढ़ेगी। इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। शिखर सम्मेलन के जरिए जी-20 देशों में भारत की छवि और बेहतर होगी। आतंकवाद के मुद्दे पर दुनिया के देश एकजुट होते हैं तो भारत चीन और पाकिस्तान जैसे देशों को कड़ा संदेश देगा। भारत के पास मौका है कि मेजबानी करके खुद को दुनिया के सामने जोरदार तरीके से पेश कर सके।
जी-20 दुनिया के ताकतवर देशों का समूह है, जिसमें रूस, अमेरिका, चीन और यूरोपीय देश शामिल हैं। इंडोनेशिया में हुई समिट में रूस और यूक्रेन की जंग का असर नजर आया। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कार्यक्रम से दूरी बनाई। ऐसे में भारत में होने वाली समिट में पुतिन को शामिल करना भी चुनौती से कम नहीं होगा। हालांकि भारत से रूस के रिश्ते बेहतर रहे हैं। पीएम मोदी से पुतिन के सम्बंधों में कभी दरार नहीं आई है। इसलिए रूसी राष्ट्रपति के समिट में शामिल होने की उम्मीद हैं। इसके अलावा कार्यक्रम के दौरान कई देशों के लीडर्स के बीच चल रहे तनाव का कम करना भी आसान नहीं होगा। इतना ही नहीं मंदी की तरफ बढ़ती दुनिया और ऊर्जा संकट के जुड़े सवाल का जवाब देना भी चुनौती से कम नहीं है।
भारत में आने वाले अन्य देशों के प्रमुख भारत की तारीफ करने से पीछे नहीं चूक रहे हैं। यह भारत की कूटनीति है जिसका असर अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर दिखने लगा है।
जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज भारत की दो दिवसीय यात्रा पर बेंगलुरु में एम चिन्नास्वामी क्रिकेट स्टेडियम पहुंचे। जहां शोल्ज ने यहां रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू टीम के पुरुष और महिला खिलाड़ियों से करीब 15 मिनट तक बात की। चांसलर ने कहा कि जब खेलों की बात आती है तो क्रिकेट भारत का नंबर एक जुनून है। उन्होंने कहा कि जर्मनी में क्रिकेट उतना लोकप्रिय नहीं है। हालांकि जर्मनी में 200,000 से अधिक भारतीय इस खेल को लोकप्रिय बना रहे हैं। कर्नाटक जाने से पहले चांसलर ने सुबह दिल्ली में कुल्हड़ चाय की चुस्की ली। जर्मन दूतावास ने एक बयान में कहा कि चाय के स्वादिष्ट कप के बिना आप भारत का अनुभव कैसे कर सकते हैं? हम चाणक्यपुरी के एक नुक्कड़ पर अपनी पसंदीदा चाय की दुकान पर ओलाफ शोल्ज को ले गए। आप सभी को जाना चाहिए! भारत का असली स्वाद। जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज ने उनकी सरकार भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों के लिए जर्मनी में कार्य वीजा प्राप्त करने का मार्ग आसान करना चाहती है।
स्कोल्ज ने रविवार को बेंगलुरु में भारत की सिलिकॉन वैली का दौरा करते हुए कहा कि हम वीजा जारी करने को आसान बनाना चाहते हैं। हम कानूनी आधुनिकीकरण के अलावा पूरी नौकरशाही प्रक्रिया का आधुनिकीकरण करना चाहते हैं। स्कोल्ज़ ने कहा कि योजना जर्मनी में आवश्यक कुशल श्रमिकों के लिए अपने परिवारों के साथ देश में आना आसान बनाने के लिए होगी। जर्मन चांसलर के अनुसार, देश में सॉफ्टवेयर विकास की मांग को पूरा करने के लिए जर्मनी को कई कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि शुरू में यह संभव होना चाहिए कि लोग बिना किसी ठोस नौकरी के प्रस्ताव के जर्मनी पहुंचें। भाषा की आवश्यकताओं में ढील देने से जर्मनी को मांग वाले पेशेवरों के लिए एक अधिक आकर्षक गंतव्य बनाने में मदद मिलेगी, जो अन्यथा अंग्रेजी बोलने वाले देशों में आकर्षित हो सकते हैं। शोल्ज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को दिल्ली में जर्मन चांसलर के साथ द्विपक्षीय वार्ता की।
दो मार्च 2023 को भारत अपनी प्रथम यात्रा पर आईं इटली की नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों के पीएम के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी हुई। इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी दुनियाभर के सभी नेताओं के सबसे प्रिय हैं। यह वास्तव में सिद्ध है कि वह एक प्रमुख नेता हैं और इसके लिए मैं उन्हें बधाई देती हूं। मेलोनी की इस बात को सुनकर पीएम मोदी मुस्कुराने लगे। मेलोनी ने कहा कि इटली को उम्मीद है कि जी-20 की अध्यक्षता के दौरान भारत, यूक्रेन में जारी संघर्ष को समाप्त करने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने और बातचीत करने में केंद्रीय भूमिका निभाएगा। मेलोनी ने ये भी कहा कि जी-20 में भारत का नेतृत्व और रायसीना संवाद मिलकर दुनिया को सहयोग और शांति का संदेश दे सकते हैं। दुनिया पीएम मोदी को बड़े ध्यान से सुनती है। मोदी दुनिया के सभी नेताओं के सबसे प्रिय हैं।
इसके बाद आठ मार्च 2023 को ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज अपने पहले भारत दौरे पर आएंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से द्विपक्षीय वार्ता की। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में चौथे टेस्ट मैच के दौरान प्रधानमंत्री मोदी से हुई बातचीत में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने कहा कि वह बॉर्डर गावस्कर टेस्ट श्रृंखला के चौथे मैच के पहले दिन भारतीय प्रधानमंत्री के साथ जुड़कर सम्मानित महसूस कर रहे हैं। यह बड़े सम्मान की बात है जो मुझे सुनील गावस्कर, वीवीएस लक्ष्मण, हरभजन सिंह सहित कई अन्य दिग्गजों से मिलने का मौका मिला। ब्रिस्बेन स्थित वास्तुशिल्प फर्म द्वारा डिजाइन किए गए नरेंद्र मोदी स्टेडियम में मैच की शुरुआत करना शानदार रहा। ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच सहयोग और इससे होने वाले पारस्परिक लाभ का एक ठोस उदाहरण है। मुझे संशोधित खेल समझौता पत्र पर हस्ताक्षर करने की खुशी है जिससे हमारे खेल प्रेमी देशों के बीच समानता, विविधता और खेलों में समावेश को मान्यता मिलने के साथ सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने इसके साथ ही कहा कि ऑस्ट्रेलिया के प्रांत विक्टोरिया में 2026 में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में कबड्डी को प्रदर्शनी खेल के रूप में शामिल किया जाएगा।
इसके अलावा अभी हाल ही में ब्रिटेन के सांसद बॉब ब्लैकमेन ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कमाल का काम किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। ब्रिटिश सांसद ने भारतीय जनता पार्टी को उनकी पार्टी कंजरवेटिव पार्टी की प्राकृतिक सहयोगी पार्टी बताया। इसके अलावा ब्लैकमेन ने पाकिस्तान को भी आड़े हाथों लिया और उसे आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने की सलाह दे डाली।
ऐसे समय में जब पूरी दुनिया अस्थिरता से जूझ रही है। कोरोना जैसी महामारी ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को चौपट कर डाला है। इन परिस्थितियों में भारत की अर्थव्यवस्था कम से कम प्रभावित होकर फिर से तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। ऐसे में दुनिया भर के देश भारत को एक उम्मीद भरी निगाह से देख रहे हैं। आने वाली सदी एशयिा की होगी, यह अक्सर सुना जाता है। जबकि एशिया में सबसे बड़ी शक्ति, विस्तारवादी सोच रखने वाला चीन चारों खाने चित हो गया है, रूस-युक्रेन युद्ध ने एक बार फिर बर्चस्व की लड़ाई को हवा दी है। ऐसे में भारत ही एकमात्र देश है जो दुनिया को वैश्विक मंच पर एकसाथ लेकर चलने के लिए तैयार है। अमेरिका और रूस के बीच जुबानी जंग के बीच भारत मध्यास्ता करने वाला समझौताकार सा नजर आ रहा है। बस यही सब भारत की कूटनीतिक उपलब्धी है।

 

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