राजनैतिकशिक्षा

दक्षिण भारत कांग्रेस मुक्त

-सिद्धार्थ शंकर-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

अंततः दक्षिण भारतीय केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में भी कांग्रेस की सरकार गिर गई। वी. नारायणसामी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार सोमवार को विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाई और विश्वास मत हारने के बाद मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने राजभवन जाकर उपराज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन को अपना इस्तीफा सौंप दिया। पिछले कई दिनों से कई विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस-द्रमुक गठबंधन सरकार के पास सदन में संख्याबल घटकर 11 रह गया था, जबकि विपक्ष के पास 14 विधायक थे। कांग्रेस के भीतर पिछले दो वर्षों से नारायणसामी को हटाने के लिए कई महत्वपूर्ण कांग्रेसी नेता पिछले दरवाजे से कोशिश कर रहे थे। लेकिन राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा उन्हें रोकते रहे थे। नमशिवायम नाम के कांग्रेस के एक बहुत ही वरिष्ठ मंत्री को आगे बढने का मौका नहीं मिल रहा था, इसलिए वह कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में चले गए। वह आगामी चुनाव में मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। लेकिन राहुल गांधी ने आगामी चुनाव के लिए भी नारायणसामी को ही मुख्यमंत्री का चेहरा बताया। तभी से कांग्रेस में असंतोष था। इधर कांग्रेस के कई विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया। इसी का नतीजा है कि नारायणसामी सरकार ने अपना बहुमत खो दिया। एक तरह से देखें, तो कांग्रेस मुक्त भारत का जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नारा था, वह दक्षिण भारत में पूरा हो गया है। सच्चाई यह है कि दक्षिण भारत के किसी भी राज्य में अब कांग्रेस की सरकार नहीं बची है। इस घटनाक्रम का राजनीतिक महत्व यह है कि अन्नाद्रमुक इस बार तमिलनाडु में पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ेगी और पुडुचेरी उसने भाजपा के लिए छोड़ दिया है। उम्मीद की जा रही है कि आगामी चुनाव में पुडुचेरी में भाजपा सत्ता में आ जाएगी, क्योंकि एन रंगास्वामी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर अन्नाद्रमुक, एनआर कांग्रेस और भाजपा गठबंधन को 15 से 16 सीटें मिल जाएंगी। वहां सात सीट अन्नाद्रमुक को और पांच-छह सीटें भाजपा को मिल सकती हैं। तीन मनोनीत सदस्यों की सीटें भी भाजपा को मिलेंगी। यानी कांग्रेस के लिए मुश्किलें और बढने वाली हैं।
पुडुचेरी की इस सियासी हलचल का असर निश्चित रूप से तमिलनाडु की राजनीति पर भी पड़ेगा। तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक और द्रमुक के बीच कांटे की लड़ाई है। इसी तरह पुडुचेरी में भी दोनों के बीच कड़ी टक्कर है। लेकिन नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी के चलते इन दोनों राज्यों में इस बार के चुनाव में भाजपा अपनी गहरी पैठ बनाएगी। 234 सीटों वाली तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में भाजपा 25 सीटों पर चुनाव लडने वाली है, जिसमें से पांच-छह सीटों पर उसके जीतने की संभावना है। इसी तरह पुडुचेरी में भी भाजपा पांच से छह सीटों पर जीत हासिल कर सकती है। यानी जहां-जहां कांग्रेस मजबूत थी, वहां-वहां भाजपा अपनी पैठ जमाती जा रही है।
अब सवाल उठता है कि वी. नारायणसामी सरकार के पतन के बाद आखिर पुडुचेरी का क्या होगा। उप राज्यपाल के पास क्या विकल्प है? क्या वहां फिर से कोई नई सरकार बनेगी अथवा राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा? एस आर बोम्मई मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद उप राज्यपाल के पास पहला विकल्प है कि जिस पक्ष के पास बहुमत है, उसे सरकार गठन के लिए आमंत्रित करना। इसलिए वह एन रंगास्वामी को सरकार गठन के लिए बुला सकती हैं। एन रंगास्वामी या तो सरकार बनाने का दावा कर सकते हैं या नहीं भी कर सकते हैं। इसी बीच एक-दो दिन के भीतर चुनाव आयोग तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, असम, पुडुचेरी में आगामी अप्रैल-मई में होने वाले चुनाव की तिथियों की घोषणा कर सकता है। इसलिए हो सकता है कि उप राज्यपाल चुनाव का इंतजार करें अथवा केंद्र सरकार के कानून मंत्रालय से कानूनी सलाह लें। इन सब चीजों का कानूनी तौर पर अध्ययन करके वह कोई फैसला कर सकती हैं।

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