लुभावने चुनाव घोषणापत्र किसे जिताएंगे
-रमेश पठानिया-
-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-
सुंदरनगर में भारतीय जनता पार्टी की बड़ी चुनावी जनसभा में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आप कमल के फूल को वोट डालेंगे तो मोदी को वोट मिल जाएगा, आप प्रत्याशी के नाम की परवाह न करें। यह ऐसा वाक्य है जिससे आम आदमी जो राजनीतिक अंकगणित ठीक से नहीं समझता, वह भी आसानी से समझ जाता है कि मैंने इस चुनाव चिन्ह पर वोट डालना है। और वह फलां आदमी को ही मिलेगा। हिमाचल प्रदेश में बाकी राज्यों की तरह प्रधानमंत्री के चाहने वालों की कमी नहीं है। 2014 के चुनाव में इसी तरह से लहर बनी थी जिसने भारतीय जनता पार्टी को अभूतपूर्व विजय दिलाई थी। हिमाचल में इस बार 68 विधानसभा सीटों के लिए 412 उम्मीदवार मैदान में हैं जिनमें 388 पुरुष और 24 महिलाएं हैं। 5592828 मतदाता 12 नवंबर को इन उम्मीदवारों के भविष्य का निर्णय करेंगे। 193106 मतदाता पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 2854995 पुरुष मतदाता हैं और 2737845 महिला मतदाता हंै।
लगभग 50 प्रतिशत मतदाता महिलाएं हैं। कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की रैलियों में महिलाओं को लुभाने के कई प्रयास किए जा रहे हैं। कांग्रेस ने चुनावी घोषणा पत्र जारी कर दिया है जिसमें उन्होंने 300 यूनिट बिजली मुफ्त में देने की बात कही है। स्कूलों की बात और कर्मचारियों की बकाया पेंशन की बात का उल्लेख भी किया है। न्यूनतम मजदूरी बढ़ाकर 500 रुपए, महिलाओं को 1500 मासिक भत्ता, एक लाख युवाओं को रोजग़ार और पर्यटन व पशुपालन की नई योजनाएं तथा राज्य में सडक़ों का निर्माण जैसे वादे किए गए हैं। किसानों-बागवानों को और सुविधाएं एवं अनुदान की बातें। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने रविवार को पीटरहॉफ होटल शिमला में पार्टी का संकल्प पत्र जारी किया जिसमें 11 संकल्प हैं।
समान नागरिकता संहिता, छोटे किसानों को 3000 रुपए की अतिरिक्त आय, आठ लाख नए रोजगारों की व्यवस्था, प्रदेश के सभी गांव सडक़ों द्वारा जोड़े जाएंगे, प्रदेश के सभी तीर्थ स्थलों को जोडऩे का काम सरकार आने वाले पांच सालों में करेगी, हिमतीर्थ पर्यटक सर्किट के द्वारा, बागवानों को जीएसटी का लाभ, पांच नए मेडिकल कालेज खोले जाएंगे और मोबाइल क्लीनिक की संख्या दुगुनी कर दी जाएगी। कांग्रेस ने 850 करोड़ रुपए के स्टार्टअप फंड की घोषणा की थी तो भारतीय जनता पार्टी ने इसे बढ़ा कर 900 करोड़ कर दिया है। जो सैनिक युद्ध भूमि में शहीद होंगे उनकी अनुग्रह राशि भी बढ़ा दी जाएगी, वक्फ बोर्ड की सम्पत्तियों का सर्वे और सरकारी कर्मचारियों की वेतन सम्बन्धी मांगों पर गौर होगा। यही नहीं, छात्राओं को साइकिल, स्कूटी देने और महिलाओं को नौकरियों में 33 प्रतिशत आरक्षण का वादा भी किया। दोनों प्रमुख दलों ने इस चुनाव में अपने संकल्प पत्र और चुनावी घोषणा पत्र जारी कर दिए हैं। कांग्रेस ने प्रदेश में लम्बे समय तक राज किया। अगर वह अपने सारे घोषणा पत्रों पर ठीक से काम करती तो शायद प्रदेश से कांग्रेस को कोई हटा नहीं सकता था। बहुत बार पार्टियां चुनाव के नतीजे निकलते ही और सत्ता बनने के बाद चुनावी वादों को ठंडे बस्ते में डाल देती हैं और फिर अधिकतर नेतागण अपने विकास की ओर ध्यान देने लगते हैं।
पिछले पांच सालों में हिमाचल में भाजपा ने विकास की राह चुनी और अपने अधिकतर वादे पूरे किए। यह बात अलग है कि सरकारी कर्मचारियों और सेवानिवृत्त पेंशनधारी कर्मचारियों की मांगों का पूरी तरह से समाधान नहीं कर पाए। भारतीय जनता पार्टी का संकल्प पत्र ऐसा है जिसे अगर उनकी सरकार बनती है तो पूरा किया जा सकता है। भारतीय जनता पार्टी को अपनी पार्टी से अलग हुए असंतुष्टों, जो निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं, उनकी बदौलत कुछ सीटों का खामियाज़ा भुगतना होगा। कांग्रेस पार्टी भी पूरी कोशिश में है कि किसी तरह से हिमाचल में उनकी सरकार बने। शिमला तथा आसपास के कई इलाकों में दोनों पार्टियों के बड़े बैनर और होर्डिंग लगे हैं। प्रधानमंत्री से लेकर उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री व राजनीति के चाणक्य अमित शाह ने भी प्रदेश में जनसभाओं को संबोधित किया। कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी हिमाचल में जनसभाओं को संबोधित किया और लोगों से सीधा संपर्क स्थापित करने की कोशिश की। लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का हिमाचल की जनता से सीधा संवाद उन्हें बाकी सब नेताओं से अलग करता है।
चुनावों में राजनीतिक दलों द्वारा जारी किए गए घोषणा पत्र, मेनिफेस्टो या संकल्प पत्र वादों की वह सूची होती है जो मतदाताओं को लुभाने का प्रयत्न करती है कि आने वाले पांच वर्षों में जो पिछले पांच वर्षों में नहीं हो पाया, वह हो जाएगा और आने वाले पांच वर्षों के लिए ऐसे वादे होते हैं जो सत्ता में आने के बाद सरकार पूरे करने की कोशिश करेगी। यह मैनिफेस्टो अगर कोई भी दल सत्ता में आने के बाद ईमानदारी से पूरा करने की कोशिश करे तो बिना किसी इंजन के भी काम हो जाएगा, लेकिन केवल दस प्रतिशत पर ही अमल होता है। कुछ योजनाएं केंद्र सरकार की भी होती हैं जिन्हें आदमी राज्य सरकार की उपलब्धि मान कर दिल को तसल्ली देता है। हिमाचल में चुनाव प्रचार अपने पूरे चरम पर है। हर राजनीतिक दल की कोशिश है कि वह ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं से संपर्क स्थापित कर सके। हर पार्टी का सोशल मीडिया सैल दिन-रात काम कर रहा है ताकि सभी लोग पार्टी से सीधे जुड़ जाएं। 12 नवंबर को होने वाले मतदान के लिए 5093 पोस्टल मतपत्र डाले जा चुके हैं। स्वतंत्र भारत के सबसे पहले और वयोवृद्ध मतदाता कल्पा (किन्नौर) से श्याम शरण नेगी 106 साल की उम्र में अपने पोस्टल मताधिकार का प्रयोग कर इस दुनिया से विदा ले चुके हैं। हिमाचल की राजनीति में यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। क्या रिवाज बदलेगा, यह हिमाचल का जागरूक मतदाता बिना किसी के झांसे में आए, तय करेगा।