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आरबीआई ने नॉन-बैंक भारत बिल पेमेंट यूनिट्स के लिए नेट-वर्थ घटाया, अब नहीं होगी 100 करोड़ की जरूरत

नई दिल्ली, 27 मई (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नॉन-बैंक यूनिट्स के लिए भारत बिल भुगतान ऑपरेटिंग यूनिट्स की स्थापना के लिए नियमों में काफी ढील दे दी है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि इस सेगमेंट में अधिक कंपनियों को लाने के लिए नेटवर्थ की जरूरत को घटाकर 25 करोड़ रुपये कर दिया गया है। वर्तमान में किसी नॉन-बैंक यूनिट्स के लिए भारत बिल भुगतान ऑपरेशन यूनिट्स स्थापित करने के लिए नेटवर्थ की सीमा 100 करोड़ रुपये है। बता दें कि भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) बिल भुगतान के लिए एक ‘इंटरऑपरेबल’ प्लेटफॉर्म है।

वर्तमान में एक गैर-बैंक बीबीपीओयू (भारत बिल भुगतान ऑपरेशन यूनिट्स) के लिए प्राधिकरण प्राप्त करने के लिए 100 करोड़ रुपये के नेट मूल्य की आवश्यकता थी। भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) बिल भुगतान के लिए एक इंटरऑपरेबल प्लेटफॉर्म है। बीबीपीएस का दायरा और कवरेज उन सभी कैटेगिरी के बिलर्स तक फैला हुआ है, जो आवर्ती बिल को बढ़ाते हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि गैर-बैंक भारत बिल भुगतान परिचालन यूनिट्स (बीबीपीओयू) के लिए न्यूनतम नेट-वर्थ की आवश्यकता को घटाकर 25 करोड़ रुपये कर दिया गया है। बीबीपीएस के उपयोगकर्ता स्टैंडर्ड बिल भुगतान इक्सपीरियंस, सेंट्रलाइज्ड कस्टूमर कंप्लेन सॉल्यूशन मैकेनिज्म और निर्धारित कस्टूमर फैसेलिटी चार्ज जैसे लाभों का फायदा उठाते हैं। अप्रैल में केंद्रीय बैंक द्वारा की गई घोषणा के बाद नेट-वर्थ को घटाया गया है।

आरबीआई ने बयान में कहा था कि बीबीपीएस ने लेन-देन की मात्रा के साथ-साथ ऑनबोर्ड बिलर्स की संख्या में बढ़ोतरी देखी है। आरबीआई ने कहा था कि प्राधिकरण प्राप्त करने के लिए एक गैर-बैंक बीबीपीओयू के लिए 100 करोड़ रुपये की नेट-वर्थ बहुत बड़ी हो जाती है, जिसके कारण ज्यादा से ज्यादा प्लेयर्स इसमें भाग नहीं ले पाते हैं। इसीलिए, आरबीआई ने भागीदारी बढ़ाने के लिए नॉन-बैंक बीबीपीओयू की नेट-वर्थ की आवश्यकता को अन्य गैर-बैंक प्रतिभागियों के साथ एलाइन करने का निर्णय लिया है।

 

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