राजनैतिकशिक्षा

केंद्र के कदम से पाक की सियासत को झटका

-डॉ. अनिल कुमार निगम-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस तरीके से पंचायती राज दिवस के अवसर पर जम्मू-कश्मीर को विभिन्न विकास योजनाओं की सौगात दी है, वह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि राज्य की न केवल तस्वीर बदलने वाली है बल्कि पाकिस्तान सहित संपूर्ण विश्व को यह संदेश है कि भारत अपनी आंतरिक सुरक्षा को लेकर बेहद सजग, सतर्क एवं संजीदा है। यही नहीं, भारत सरकार ने आज यह भी जता दिया है कि उसके पास आतंकवाद नामक बीमारी का समुचित उपचार भी है। यह जम्मू कश्मीर के भूले-भटके युवाओं को स्पष्ट संकेत है कि अब वे किसी के बहकावे में न आकर भारत द्वारा शुरू किए गए अमन चैन की धारा में शामिल हो जाएं।

गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में धारा 370 के तहत अक्टूबर 1947 में कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने भारत सरकार के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत इस राज्य को विशेष दर्जा मिला हुआ था। 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने एक पुनर्गठन कानून पास कर जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर इसे केंद्र शासित प्रदेश और अक्टूबर महीने में लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया। धारा 370 हटाए जाने के बाद वहां पर केंद्र सरकार के वे सभी 890 केंद्रीय कानून लागू हो गए जो पहले वहां के लिए मान्य नहीं थे।

सर्वविदित है कि भारत सरकार के इस कदम से सबसे ज्यादा तकलीफ भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान को हुई। पाकिस्तान के सियासतदानों की राजनीति का केंद्र बिंदु रहा जम्मू-कश्मीर उसकी जकड़ से बाहर निकलने लगा। यही कारण है कि भारत के इस कदम से बौखलाए पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियां और तेज कर दीं। आतंकियों ने पुलवामा जैसी आतंकी घटना को अंजाम देने के कई बार प्रयास किए लेकिन सतर्क भारत सरकार और सेना ने हमेशा उनकी मंशा को तहस नहस कर दिया। अनेक मुठभेड़ों में सैकड़ों आतंकियों को अभी तक ढेर किया जा चुका है।

ऐसा नहीं है कि सरकार आतंकियों पर सिर्फ गोलियां चलाकर उनको मौत के घाट उतार रही है। वह वहां के स्थानीय लोगों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए लगातार प्रयासरत है। इसी श्रृंखला में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पंचायती राज दिवस के अवसर पर 38 हजार करोड़ रुपये की लागत की विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेस वे की आधारशिला रखी और सांबा में 108 जन औषधि केंद्रों के साथ पल्ली गांव में 500 किलोवाट सौर ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन किया। अब पल्ली गांव सौर ऊर्जा से रोशन होगा। उन्होंने 3100 करोड़ की लागत से बनी बनिहाल-काजीगुंड रोड टनल का उद्घाटन किया। 8.45 किमी लंबी सुरंग बनिहाल और काजीगुंड के बीच सड़क की दूरी को 16 किमी कम कर देगी और यात्रा के समय को लगभग डेढ़ घंटे कम कर देगी। इसके अलावा उन्होंने किश्तवाड़ जिले में चिनाब नदी पर 850 मेगावाट की रतले जलविद्युत परियोजना और 540 मेगावाट की क्वार जलविद्युत परियोजना की आधारशिला रखी।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के नौजवानों को मैं विश्वास दिलाता हूं कि आपके माता-पिता, दादा-दादी और आपके नाना-नानी को जिन मुसीबतों से जिंदगी जीनी पड़ी, आपको कभी ऐसी मुसीबतों से नहीं गुजरना पड़ेगा। प्रत्येक जिले में 75 जल निकायों का विकास और कायाकल्प किया जाएगा। उन्होंने यह वायदा किया कि वह यह सब करके दिखाएंगे।

वास्तविकता तो यह है कि आजादी के बाद से ही जम्मू-कश्मीर के युवा पाकिस्तान के इशारे से संचालित होते रहे। इस राज्य में सियासत करने वाले राजनेता तुष्टीकरण की सभी सीमाएं लांघ कर आतंकियों के दबाव से आतंकित होकर समाज और राष्ट्र विरोधी कार्य करते रहे। यही कारण है कि जम्मू-कश्मीर से बहुत बड़ी आबादी पलायन करने को मजबूर हो गई। पूर्व सरकारों की लचर और तुष्टीकरणवादी नीतियों के चलते पृथ्वी का स्वर्ग कही जाने वाली कश्मीर घाटी में देश और विदेश के पर्यटक जाने से डरने लगे और वहां का पर्यटन उद्योग लगभग ठप हो गया।

लेकिन धारा 370 की समाप्ति के बाद सुरक्षा बलों द्वारा चलाए गए अभियान से स्थानीय लोगों और पर्यटन में वहां जाने वाले लोगों में सुरक्षा का भाव पैदा होने लगा है। यही नहीं, सरकार ने जिस तरीके से वहां अमन चैन वापसी के लिए रोजगार और विकास योजनाओं का पिटारा खोला है, वह न केवल प्रशंसनीय है बल्कि यह पाकिस्तान के मुंह पर करारा तमाचा है। विकास की यह धारा जो शुरू हुई है, अब यह सिलसिला अनवरत पल्वित, पुष्पित और पोषित होना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो निःस्संदेह, भारत का यह प्रयास जम्मू-कश्मीर को देश का एक श्रेष्ठ भूभाग विकसित करने में मील का पत्थर साबित होगा।

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