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दिल्ली के उत्तरी-पश्चिमी जिला क्षेत्रों में मेडिकल स्टोर के नकली पफार्मासिस्ट दे रहे है 30रू की दवाई की तीन खुराक की पुड़िया

-: विजय कुमार भारती :-

-: सक्षम भारत :-

देश में कोरोना वायरस की खतरनाक दुसरी लहर
दिल्ली के मेडिकल स्टोर के लाईसेंस लेने के लिए असली पफार्मासिस्ट की डिग्री लगाकर लाईसेंस ले लेते है परन्तु ड्रग्स विभाग की मिलीभगत से नकली पफार्मासिस्ट दवाईयां सरेआम बेच कर करते है लोगो की जान से खिलवाड़
नई दिल्ली । मानवाध्किार संरक्षण स्कंध् संस्था ने कार्यालय संवाददाता को बताया कि उत्तरी-पश्चिमी जिला के क्षेत्रा सुल्तानपुरी, मंगोलपुरी, बादली, नांगलोई, किराड़ी, मुण्डका, नरेला, रोहिणी, बवाना और रिठाला में मेडिकल स्टोरों पर कोरोना वायरस आड़ में सरेआम लोगो की जान से खेल रहे है। मेडिकल स्टोरो पर आने वाले मरीजो की लम्बी-लम्बी कतारें देखी जा सकती है और यह भी देखा जा सकता है कि किस तरह से नकली पफार्मासिस्ट सर्दी, जुखाम, बुखार, खांसी, टाईपफेड, मलेरिया या पिफर कोरोना वायरस इन सभी की दवाईयां सरेआम बेच रहे है। मेडिकल स्टोरो पर ना तो सोशल डिस्टेसिंग का ध्यान रखा जा रहा है और ना ही मास्क का अध्कितर मेडिकल स्टोर असली पफार्मासिस्ट के लाईसेंस की डिग्री लगाकर स्टोरो का लाईसेंस ले रखा है।
परन्तु मेडिकल स्टोरो पर आठ वीं पास के नकली पफार्मासिस्ट दवाईयां बेचने के लिए रखे हुऐं है। जिनको दवाईयों का ज्ञान किसी भी प्रकार का नही है। यह स्वंय डाॅक्टर बने बैठे है। 30रू की दवाई की तीन खुराक बनाकर मरीज को बेच रहे है।
सरकार ने आम नागरिक की सहूलियत को देखते हुए, मेडिकल स्टोरो को इसलिए खोला गया है कि बीमार व्यक्ति व आम नागरिक को डाॅक्टरो द्वारा लिखी गई दवाईयां सही समय पर मिल सके। लेकिन नकली पफार्मास्टि के साथ-साथ दवाईयों की काला बाजारी करके मेडिकल स्टोरों के मालिक अपनी तीजोरी भरने के लिए आम जनता से खुदरा मूल्य, एमआरपी से ज्यादा रूपयें वसूलने में लगे हुऐं है।
नकली पफार्मासिस्ट के साथ मेडिकल स्टोर के मालिक भी कोरोना वायरस की आड़ में अपने कमिशन के लिए दबा का ज्ञान पैल रहे है, मरीजों को बताते है कि कौन से प्राईवेट नसिंग होम, अस्पतालों में जाना है, उसके पूरे पते की जानकारी दे रहे है और कहां कितनी सस्ती और महेंगी आक्सीजन मिल रही है, इन सभी के नाम व पते इनके पास मिल जाएगें और महेंगी से महेंगी दवाईयां, इंजेक्शन रेडमेसिवर एक पफोन पर मिल जाएगी और तो और घरेलू आक्सीजन बनाने वाली मशीने व आॅक्सी मीटर भी इनके पास प्राप्त की जा सकती है। जिसके यह ओने पोने दाम लेकर लोगो की आर्थिक स्थिति से खेल रहे है।
नकली पफार्मासिस्ट से ली गई दवाई से जब मरीज तीन से चार दिनो के अन्दर ठीक नही होता है और ज्यादा हालत खराब हो जाती है तो नकली पफार्मासिस्ट और मेडिकल स्टोर के मालिक कोरोना वायरस ;कोविड-19द्ध टेस्ट कराने के लिए और अस्पताल जाने के लिए बोल देते है। जब तक जाते-जाते बहुत देर हो चुकी होती है, मरीजों की आक्सीजन कम हो जाती है या पिफर मृत्यु की काल में चले जाते है।
अस्पताल वाले कोरोना वायरस के कारण मृत्यु बता देते है। जिससे इन मेडिकल स्टोर वालो पर कोई भी आंच व जांच तक नही की जाती। लेकिन इन मेडिकल स्टोर वालों का क्या इनका तो ध्ंध चलता रहना चाहिए। शेष अगले अंक में पढें़……..

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