सियासी पिच पर इमरान क्लीन बोल्ड
-श्याम सुंदर भाटिया-
-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-
नए पाकिस्तान बनाने का ख़्वाब दिखाकर सत्ता में काबिज हुए दिग्गज क्रिकेटर इमरान खान नियाजी हर मोर्चे पर फ्लॉप साबित रहे हैं। दशकों तक दुनिया के करोड़ों-करोड़ क्रिकेट प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले इमरान की पार्टी-पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ-पीटीआई सत्ता में आई तो न केवल पाकिस्तानी अवाम बल्कि दुनिया के सियासतदानों को उम्मीद बंधी थी, वह आतंकवाद पर तो लगाम कसेंगे ही, बल्कि सरकार के कामकाज में सैन्य दखल अंदाजी के दरवाजे भी बंद कर देंगे। पाक खुशहाली के रास्ते पर दौड़ेगा। पड़ोसी देश सुकून महसूस करेंगे। पाक कर्ज मुक्त होगा। विपक्षी दलों को विश्वास में लेकर अपनी सरकार को विकास के पथ पर ले जाएंगे। बेरोजगारी शब्द बारोजगारी में तब्दील हो जाएगा। भ्रष्टाचार को जड़ों से उखाड़ फेकेंगे। मानवाधिकारों के प्रबल प्रहरी के रूप में उभरेंगे। नई भोर के संग सूर्योदय होगा, लेकिन सारी की सारी उम्मीदें धूल-धूसरित हो गई। पाक में चैतरफा त्राहिमाम-त्राहिमाम का आलम हैं। न तो घरेलू हालात अनुकूल हैं और न ही मित्र देश अब खास तवज्जो दे रहे हैं। अवाम के चेहरों की रंगत उड़ी है तो फंड रुपी कटोरा एकदम खाली है। पाई-पाई को मोहताज इमरान सरकार के खिलाफ विपक्षी सियासत नई करवट ले रही है। आतंकी गुटों और सैन्य ताकतों के सामने इमरान सरकार कठपुतली के मानिंद है। पाक के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक सरीखा अटैक जारी है। अमेरिका और भारत के बाद ईरान ने सर्जिकल स्ट्राइक करके उसकी काली करतूतों का आईना दुनिया को दिखा दिया है। अमेरिका, सऊदी अरब, यूएई, मलेशिया, चीन सरीखे मित्र देशों ने इमरान सरकार से मुँह फेर लिया है। 11 विपक्षी दलों के सांसदों का सामूहिक आंदोलन और अब इस्तीफों की धमकी से इमरान सरकार का दिन का चैन और रातों की नींद उड़ी है। सियासी कुप्रबंधन के चलते सिंध, बलूचिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर के बाशिंदे अलग देश की आवाज और बुलंद कर रहे हैं।
गुलाम कश्मीर के कोटली शहर में कश्मीर दिवस पर इमरान खान ने फिर से कश्मीर का राग अलापा है। तल्ख तेवर में बोले, हर मंच से कश्मीरियों की आवाज उठाता रहूँगा। फिर चाहे वह संयुक्त राष्ट्र हो विश्व के नेता या फिर यूरोपीय संघ हो। हरेक मंच पर कश्मीर का दूत बनकर जाऊंगा। उन्होंने भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला। संयुक्त राष्ट्र संघ पर वायदा खिलाफी का आरोप लगते हुए कहा, यूएनओ अपना वायदा भूल गया है। कश्मीरियों को उनके स्वयं के भाग्य के फैसले लेने का अधिकार भारत को देना चाहिए। यकीनन, जब कश्मीरी अपनी किस्मत का फैसला करेंगे तो पाक के हक में ही होगा। ऐसे में हम कश्मीर के लोगों को अपनी पसंद चुनने का हक देंगे। वे ही फैसला करेंगे वे आजाद रहना चाहते हैं या पाक के साथ। इमरान इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने यहां तक कहा, जो लोग एक अल्लाह की गुलामी करते हैं, वे किसी और की गुलामी नहीं कर सकते हैं। इसीलिए कभी यह न समझना, जब हम भारत से कहते हैं कि हम दोस्ती करेंगे तो हमें किसी का खौफ या डर है। हम चाहते हैं, कश्मीरी लोगों को उनका हक मिले। यह जुल्म खत्म हो। कश्मीरी भी अपनी जिंदगी का खुद फैसला करें। ये उनका मानवाधिकार है और लोकतांत्रिक अधिकार भी है।
आतंकवाद बतौर संरक्षक उसका चेहरा दुनिया के सामने एक बार फिर बेनकाब हो गया। पाकिस्तान पर एक और सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दे दिया गया। इस बार ईरान ने पाकिस्तान के अंदर घुसकर आतंकियों को मारा और अपने दो सैनिकों को मुक्त करा लिया। इसके साथ ही ईरान तीसरा देश बन गया है, जिसने पाक में घुसकर आतंकियों को मारा है। इससे पहले 2011 में अमेरिका और 2016 में भारत भी ऐसा कर चुके हैं। बकौल तेहरान की एनाडूलो समाचार एजेंसी, इस ऑपरेशन में कई पाक सैनिक भी मारे गए हैं, जो आतंकवादियों को कवर फायर दे रहे थे। यह सच है, ईरान एलीट रिवोल्यूशनरी गार्ड्स- आईआरजीसी ने पाक के काफी अंदर घुसकर ऑपरेशन को अंजाम दिया। ईरान के सैनिकों ने पाक के अवैध रूप से कब्जाए गए बलूचिस्तान में आतंकी संगठन जैश अल-अदल के कब्जे से अपने दो सैनिकों को मुक्त करा लिया। मुक्त कराए गए ईरान के दोनों जवान उन 12 जवानों में शामिल थे, जिन्हें साल 2018 में अगवा किया गया था। इनमें से पांच को पाकिस्तानी सेना से पहले ही छुड़ा लिया था। जैश उल-अदल या जैश अल-अदल एक सलाफी जेहादी आतंकी संगठन है, जो मुख्य तौर पर दक्षिणी-पूर्वी ईरान में सक्रिय है। यह आतंकवादी संगठन ईरान में नागरिक और सैन्य ठिकानों पर कई हमले कर चुका है। बलूचिस्तान में निर्दोष लोगों के नरसंहार के लिए इस आतंकी संगठन को पाकिस्तानी सेना से पूरा समर्थन मिलता है।
आर्थिक मोर्चे पर भी पाक की हालत बेहद पतली है। गले तक कर्ज में डूबे पाक से कभी सऊदी अपना पैसा मांग रहा है तो कभी यूएई। एक लोन चुकाने के लिए उसे दूसरा लोन लेना पड़ रहा है। हालात इतने खराब हो गए हैं, नया पाकिस्तान बनाने के वादे के साथ सत्ता में आए इमरान खान ने कुबूल किया है, मुल्क अब और कर्ज लेने की स्थिति में नहीं रह गया है। पाक में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत बढ़ाए जाने के बाद इमरान ने कहा है, तेल की कीमतों में इजाफे का बोझ ग्राहकों पर इसीलिए डालना पड़ा ताकि देश को और अधिक कर्ज के बोझ से बचाया जा सके। एक प्राइवेट टेलीविजन को दिए इंटरव्यू में इमरान ने यह भी स्वीकारा, उनके कार्यकाल में पाकिस्तानी करेंसी की वैल्यू बहुत घट गई है। रुपए की वैल्यू में गिरावट की वजह से पेट्रोलियम उत्पादों, दालों, घी और आयात की जाने वाली अन्य वुस्तुएं महंगी हो गई हैं। इमरान ने स्वीकारा, मौजूदा सरकार में डॉलर की वैल्यू 107 रुपए से बढ़कर 160 रुपए हो गई है। इससे भी कीमतें बढ़ी हैं। पाक को कर्ज की वजह से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बार-बार जिल्लत का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में मलेशिया में लीज पर लिए गए उसके एक विमान को किराया नहीं चुकाने की वजह जब्त कर लिया गया है। हाल ही में सऊदी अरब ने उससे कर्ज वापस मांग लिया तो चीन से उधार लेकर चुकाना पड़ा। अब यूएई भी जल्दी लोन चुकाने को कह रहा है। पाक की हालत इतनी खराब है , जनता की जान बचाने के लिए वह कोरोना वैक्सीन खरीदने की स्थिति में नहीं है।
इमरान सरकार के खिलाफ करीब छह माह से आवाज बुलंद करने वाले पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट- पीडीएम के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान का मानना है, पीडीएम इमरान सरकार को हटाने के लिए कोई भी कुर्बानी देने को तैयार है। यह मूवमेंट को इमरान सरकार के खिलाफ जेहाद है। पीडीएम के नेतृत्व में अब तक मालाकंद के अलावा बहावलपुर, पेशावर, कराची, मुल्तान, क्वेटा और लाहौर में भी विशाल रैलियां हो चुकी हैं। पीडीएम मानती है, इमरान सरकार देश में जिया उल हक और जनरल परवेज मुशर्रफ की सरकार की ही तरह शासन कर रही है। देश में मार्शल लॉ लगाना चाहती है। मौजूदा वक्त मुशर्रफ और जिया उल हक से भी ज्यादा खतरनाक है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के ताजा करप्शन पर्सेप्शन्स इंडेक्स-सीपीआई 2020 में पाक चार पायदान और नीचे खिसक गया है। कुल दुनिया के 180 देशों की इस रैंकिंग में पाक 124वें स्थान पर है। पाक वर्ष 2020 और वर्ष 2019 में 120वें स्थान पर था। हकीकत यह है, बड़ी-बड़ी डींगे हांकने वाला और बात-बात पर भारत को परमाणु हमले की धमकी देने वाले पाक का असल चेहरा आज पूरी दुनिया के सामने है। पाक अर्थव्यवस्था की पोल वहां की संसद में खुल गई है। संसद में पेश रिपोर्ट में बेहिचक स्वीकार किया गया है, हर पाकिस्तानी पर एक लाख 75 हजार रुपये का कर्ज है।