राजनैतिकशिक्षा

कलकत्ता दुष्कर्म व हत्या: एक और निर्भयाकांड, विश्वगुरुशर्मसार?

-नरेन्द्र भारती-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

एक और निर्भया कांड हो गया विश्वगुरु की एक बार फिर फजीहत हुई हैl कलकत्ता दुष्कर्म व हत्याकांड से एक और दाग लग गयाl देश में बेटियां हर जगह असुरक्षित महसूस कर रही हैं। बेटियों की सुरक्षा के दावे कहां है। यह एक यक्ष प्रशन है यह सुलगते प्रशन है कि बेटियां कब सुरक्षित होगी। हर जगह दरिंदे दरिन्दगी कर रहे हैं ताज़ा घटनाक्रम कलकत्ता मेडिकल कालेज की एक ट्रेनी डाक्टर के साथ गैंगरेप व हत्या का मामला बहुत ही सगीन अपराध है ऐसे दरिंदो को फांसी की सजा देनी चाहिए यह बहुत ही जघन्य अपराध हैl गत वर्ष वाराणसी में घटित हुआ थाजहाँ बीएचयू परिसर कुछ गुंडों द्वारा एक लड़की के साथ अश्लील हरकते करना व और वीडियो बनाना की घटना सामने आई थीl साल के 365 दिन महिलाओं पर अत्याचार होते रहते हैं। आज कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक महिलाओं पर अनगिनत अत्याचार हो रहे है मगर सरकारों की कुम्भकरणी नींद नहीं टूट रही है। आज कोई भी विश्वास के योग्य नहीं रहा है किस पर विशवास करें अपने ही हैवान बन रहे हैं। आज बाबुल की गलियां ही नरक बन गई हैं। अपने रक्षक ही भक्षक बन गए हैं बहु-बेटियां घर में ही असुरक्षित हैं समय पर ऐसे घिनौने कर्म होंतें है कि कायनात कांप उठती है कि आदमी इतने नीच काम क्यों कर रहा है। महिलाएं कही भी महफूज नहीं है। महिलाओं पर बढते अत्याचार रुकने का नाम नहीं ले रहे है। देश में प्रतिदिन घटित हो रही वारदातों से महिलाओं की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह लगता जा रहा है कि महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं है। इन वारदातों से हर भारतीय उद्वेलित है। सुरक्षा के दावों की पोल खुल गई है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुख्ता इतंजाम करने होगें तभी इन पर रोक लग सकती है। जघन्य व दिल दहला देने वाली दुष्कर्म की घटनाओं से जनमानस खौफजदा है। आखिर कब तक बेटियां दरिदगी का शिकार होती रहेगी। ऐसी बारदातें बहुत ही चिंतनीय हैं। बेखौफ दरिदें अराजकता फैला रहे है दरिदों की दरिदगी की वारदातें कब रुकेगी, अपराध की तारीख बदल जाती है, मगर तस्वीर नहीं बदलती। बेशक प्रतिवर्ष 8 मार्च को विश्व महिला दिवस मनाया गया। मगर ऐसे आयोजन केवल मात्र औपचारिकता भर रह गए है क्योंकि हर वर्ष एक संकल्प लिया जाता है कि महिलाओं कों अत्याचारों से मुक्ति दिलाई जाएगी अत्याचारों का खात्मा किया जाएगा सुरक्षा के लिए बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं मगर धरातल की सच्चाईयां बेहद ही खौफनाक तस्वीरें प्रस्तूत कर रही है। आधी दुनिया पर बढतें अत्याचार देंश के लिए अशुभ संकेत है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में सफलता की बुलंदियां छुह रही हैं चांद तक अपनी काबलियत का परचम लहरा रही है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए सैंकड़ों कड़े कानून बनाए गए है मगर यह कानून सरकारी फाईलों की धूल चाट रहे है अगर सही तरीके से लागू किए होते तो इन मामलों में इजाफा नहीं होता। आज महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं है चाहे घर हो दफतर हो, बस, सड़क, गली या चैराहा हो महिलाएं हर जगह असुरक्षित ही महसूस कर रही है। है। 2019, 2020, 2021, 2022, 2023 में भी दरिंदो ने दरिन्दगी जारी रखी l वर्ष 2024 में भी हालात सुधर नहीं रहे है। आंकड़ों के अनुसार 12 सितंबर 2018 को हरियाणा के रेवाड़ी में एक 19 साल की मेधावी छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म कर दिया था। 27 जून 2018 को मध्यप्रदेश के मंदसौर में एक सात साल की नाबालिग स्कली बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म की जघन्य घटना से हर भारतीय उद्वेलित हुआ था। यह बच्ची तीसरी में पढ़ती थी। मासूम से हुई दरिदगी व हैवानियत की यह घटना बहुत ही दिल दहलाने वाली थी। दरिदों ने जिस बर्बरता व हैवानियित से घटना को अंजाम दिया था उससे रौगटे खडे हो जाते है। दरिदों ने दरिदंगी की हदे पार कर दी थी। 16 दिसंबर 2012 सामूहिक दुष्कर्म करने वाले दुष्कर्म की वारदात से हर भारतीय उद्वेलित हुआ था। यह रौंगटे खड़े कर देने वाली घटना बहुत ही दुखद थी। हर रोज अस्मत लूटी जा रही है। दरिदों द्वारा हर राज्य में दरिदगी का सामाज्य बना रहे है। दरिदों की अराजकता बढ़ती ही जा रही है। जंगलराज स्तिथियां बन रही है। कानून को धता बताकर दरिदें दरिदगी का तांडव कर रहे है। दरिदों को सरेआम मौत के घाट उतारना हागा ताकि आने वाले समय में दरिदे कई बार सोचेगें की उनकी करतूतो का क्या अंजाम होगा। अब समय आ गया है कि दरिदों को फांसी की सजा से ही इन मामलों पर विराम लग सकता है। वर्ष 2024 के जनवरी माह से देश के हर राज्य में इन मामलों में बेतहासा वृद्धि होती जा रही है। साल के आठमाह में यह दुष्कर्म रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। सरकार को इन मामलों पर त्वरित कारवाई करनी होगी। हर रोज दरिदें दरिदगी का तमाशा कर रहे है। देश में दुष्कर्म के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे है। इससे पहले कठुआ में भी एक बच्ची के साथ दरिदगी का मामला प्रकाश में आया था। प्रतिदिन इन अपराधों में इजाॅफा होता जा रहा है। देश में दरिदगी की वारदातें कब रुकेगीं। गत वर्ष हिमाचल में भी गुडिया कांड हुआ था। इससे पहले देश की राजधानी दिल्ली में दिल दहला देने वाला कृत्य हुआ था जब द्वारका नार्थ इलाके में देर रात टैक्सी से घर लौट रही एक महिला से उबर जैसे रेप का मामला घटित हो गया था। यह बहुत ही घिनौना कृत्य है कि ऐसे प्रकरण थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। देश में लड़कियां कितनी महफूज है इन घटनाओं से अंदाजा लगाया जा सकता है। 26 मार्च 2017 को उतर प्रदेश के लखीमपुरीमें दो नाबालिग बहनों के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई। ऐसी वारदातें खौफनाक है। रेप व हत्या की ऐसी घटनाएं दिल दहला देने वाली हैं। 26 मार्च को ही नई दिल्ली में एक युवक ने एक बच्ची को टाॅफी दिलाने के बहाने दुष्कर्म किया। देश में हर रोज अबोध बच्चियों से लेकर अधेड़ उम्र की महिलाओं से दुष्कर्म कर रहे है। फांसी की सजा से ही इन मामलो पर विराम लग सकता है। बीते वर्ष 2023 में भी अत्याचारों का सिलसिला बेखौफ चलता रहा दरिदों ने अपनी दरिदगी का नंगा नाच जारी रखा। हजारों महिलाएं व नाबालिग बच्चीयां दुष्कर्मो का शिकार हुई। वर्ष 2024के प्रथम माह जनवरी से ही महिलाओं पर अत्याचारोें की शुरुआत हो चुंकी है जनवरी से लेकर अगस्तमाह तक में देश में हजारों घटनाएं घटित हो चुकी हैं। प्रतिदिन ऐसे मामले हो रहे है और निरंतर इन मामलों में बेतहासा वृद्वि हो रही है। छेड़छाड के अलावा तेजाब व दुष्कर्म की घटनाएं भी बदस्तूर जारी है वर्ष 2019 में एक खौफनाक व दरिदगी की हदें पार करने वाला घटनाक्रम पंजाब के मोगा में हुआ था जब बदमाशों ने चलती बस में लडकी से छेड़छाड़ की और विरोध करने पर बस से फैंक दिया जिस कारण उस लड़की की मौत हो गई थी। गत वर्ष उतर प्रदेश का बंदायू एक बार फिर शर्मसार हुआ था जहां एक बार फिर दो नाबालिग चचेरी बहनों से गैगरेप का मामला प्रकाश में आया था पांच आरोपियों ने शौच को गई नाबालिगों को अगवा करके उनके साथ बदूंक की नोक पर दुष्कर्म किया था। आज बाल-विवाह हो रहे है नाबालिग लड़कियों की शादियां अधेड़ो से की जा रही है ऐसे लोगों के विरुद्व समाज को कारवाई करनी चाहिए। 16 दिसंबर 2012 को जो हादसा दिल्ली में निर्भया के साथ हुआ था उसके बाद देश में महिलाओं से होने वाले दुष्कर्मों की बाढ़ सी आ गई कि हर दिन राजधानी से लेकर शहर व गांवों में सामूहिक दुष्कर्म थमनें का नाम ही नहीं ले रहे हैं। आज हर जगह दुशासन महिलाओं की इज्जत नीलाम कर रहे हैं। विश्व गुरु कहलाने वाले भारत में महिलाओं पर जुल्मों की सूची लम्बी होती जा रही हैं। जब देश की राष्ट्रीय राजधानी ही सुरक्षित नहीं है तो महानगरों व छोटे कस्बों का क्या हाल होगा इससे अदांजा लगाया जा सकता है। देश में आज भ्रूण हत्याएं हो रही हैं नवजात शिशु झाड़ियों व कूड़ेदानों व मंदिरों में मिल रहे है जिनमें ज्यादातर शिशु लड़कियां ही होती है। आज लड़कियों से इतनी नफरत क्यों की जा रही है आदमी यह कैसे भूल रहा है कि जिसने उसे जन्म दिया वह भी एक लड़की ही थी। देश में ऐसे मामले प्रतिदिन घटित हो रहे है। ं नवजात व अबोध बच्चियो से दुष्कर्म हो रहे है। गत वर्ष दिल्ली में गुड़िया के साथ ऐसा ही एक दरिंदगी हुई थी जब एक किराएदार ने उसके साथ रुह कंपा देने वाला घिनौना काम किया था। दरिदें हर जगह दरिंदगी की शरणस्थली बना रहे। कुछ बीमार मानसिकता के लोगो ने भारत की छवि को दागदार किया है जनमानस को अब संकल्प लेना होगा तथा एकजुट होकर ऐसे लोगों का खात्मा करना होगा जो देश के लिए कंलक हैं। फांसी के जितने भी मामले लंबित हैं त्वरित कारवाई करके दरिदों का सर्वनाश करना चाहिए। ताकि आने वाले समय में ऐसे अमानवीय कृत्यो पर लगाम लग सके। यदि अब भी कानूनों में सख्ती न बरती तो ऐसे दरिदें फिर से इन घिनौनी वारदातों को अंजाम देते रहेगें। इसलिए अब ऐसे लोगों को समाज से बहिष्कृत करना चाहिए। केन्द्र सरकार को चाहिए कि देश के सार्वजनिक स्थलों पर हर समय सुरक्षा व्यवस्था कायम की जाए। सादी वर्दी में महिला पुलिस तैनात करनी चाहिए। सरकार को बिना समय गंवाए इन दरिदों का खात्मा करना चाहिए। ऐसे दरिदें देश के लिए घातक हैऐसे दरिदें न जाने कैसे वातावरण में रहते होगें। ऐसे लोगो को समाज की कोई फिक्र नहीं होती कि उनके कृत्यों से पूरा समाज द्रवित होता है। समाज में ऐसे लोग बहुत ही घातक सिद्व हो रहे है। ऐसी घटनाओं पर रोक के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करने होगे। ऐसे दुष्कर्म सामाजिक मूल्यों का पतन दर्शातें है कि समाज में विकृत मानसिकता के लोगों का बोलबाला होता जा रहा है। इन मामलों से इन्सानियत तार-तार हो रही है। समाज को ऐसे अपराधिक प्रवृति के लोगों की पहचान करनी होगी। यदि अब भी समाज के लोगों ने इन दरिदों को सबक नहीं सिखाया तो फिर से कोई और लड़कीयां व महिलाएं दरिदों की दरिदगी का शिकार होती रहेगी। अब समाज को जागना होगा, दरिदों का खात्मा करना होगा। कानून के रखवालो को भी समाज में घटित इन हादसों पर गहराई से चितंन करना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे प्रकरणों पर विराम लग सके। ऐसे लोगो को समाज से बहिष्कृत करना चाहिए। अगर यह प्रवृति बढ गई तो हालात बेकाबू हो जाएगें। पुलिस को भी अपने कर्तव्य का निर्वाह करना होगा ताकि पुलिस की छवि बरकरार रहे और समाज में ऐसे हादसे रूक सके। केन्द्र सरकार को भी इन हादसों पर बिना समय गंवाए इन दुष्कर्मो को रोकने के लिए कारगर कदम उठाने चाहिए ताकि देश में ऐसी वारदातों की पुनरावृति न हो सके। इनका नामोनिशन मिटाना होगा। तभी बहु-बेटियों बेखौफ होकर घूम सकती है हैं। हालातों को देखते हुए सरकार को प्राथमिक स्कूलों से लेकर कालेज स्तर तक की लड़कियों को आत्म रक्षा के गुर सिखाने होगें ताकि दरिदों को सबक मिल सके। कुछ महिलाओं ने ऐसे लोगों के खिलाफ साहस का परिचय देकर मिसाले कायम की है ऐसे लोगों को चोराहो पर सरेआम पीटना चाहिए ताकि अन्य लोगों को ऐसा दुस्साहस करने की हिम्मत न पड़े। देश के नागरिको को महिला के प्रति होने वाले अपराधों को रोकने के लिए एकजुट होना होगा। दहेज हत्या व हिसां के मामलों को रोकना होगा दहेज के लालचीयों को हवालात भिजवाना होगा। सरकारों को चाहिए की महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करने के लिए हर गांव लेकर शहर तक जागरुकता शिविर लगाने चाहिए। महिला संगठनों को भी आवाज उठानी चाहिए तथा महिलाओं की रक्षा करनी चाहिएl

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