राजनैतिकशिक्षा

दिल्ली में ‘आप’ व कांग्रेस एलायंस आसान नहीं

-युसुफ अंसारी-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

2024 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन होगाया नहीं यह इस बात पर निर्भर करेगा कि दोनों पार्टियों एक दूसरे को कितना जगह देने को तैयार हैं। 2014 के आंकड़ों के हिसाब से 2019 में आम आदमीपार्टी कांग्रेस को दो से ज्यादा सीटें देने पर तैयार नहीं थी तो अबकांग्रेस भी उसे दो ज्यादा सीटे देने को तैयार नहीं है। दोनों पार्टियोंकी यही जिद गठबंधन में असली रोड़ा है।

लोकसभा चुनाव 2024

क्या आगामी लोकसभा चुनाव में दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी केबीच गठबंधन हो पाएगा? यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि क्योंकि कांग्रेस की एक अहम बैठक में दिल्ली के नेताओं को दिल्ली की सभी सातों लोकसभासीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी करने को कहा गया। इस बैठक के बाद दिल्लॉ कांग्रेस के कुछ नेताओं के ऐसे बयान आए जिनसे यह लगा कि शायद कांग्रेसअकेले चुनाव लड़ने के मूड में है। हालांकि आम आदमी पार्टी की आपत्ति केबाद कांग्रेस को इस मुद्दे पर अपना रुख साफ करना पड़ा। लेकिन दोनों तरफसे होने वाली बयानबज़ी की वजह से संभावित गठबंधन पर संकट के बादल तोमंडरा ही रहे हैं।

सवाल अपनी जगह बना हुआ है कि क्या कांग्रेस वाकई आम आदमी पार्टी केसाथ गठबंधन करने के मूड में है? बता दें कि 18 जुलाई को बेंगलुरु में 26विपक्षी दलों ने ‘इंडिया’ नाम के गठबंधन के तहत लोकसभा का चुनाव लड़ने काऐलान किया था। इस बैठक में अरविंद केजरीवाल भी शामिल थे। जाहिर है किदोनों पार्टियों के बीच मिलकर चुनाव लड़ने पर सैद्धैंतिक सहमति बन चुकीहै। फिर कांग्रेस के नेताओं के सभी सातों सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारीजैसे बयानों से आम आदमी पार्टी का आग बबूला होना लाज़िमी है। इसी तरह की

बयानबाज़ी की वजह से 2019 में दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन नहीं होपाया था। फिलहाल कांग्रेस आलाकमान ने दिल्ली के नेताओं के बयानों पर सफाईदेकर इस बार मामले को संभालन की कोशिश की है। दरअसल कांग्रेस आलाकमान ने दिल्ली प्रदेश इकाई के साथ चुनावी तैयारियोंको लेकर बैठक बुलाई थी। इससे पहले कांग्रेस 18 राज्यों में चुनाव कीतैयारियों को लेकर इसी तरह की बैठकें कर चुकी है। इस बैठक में कांग्रेस

अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी,संगठन महायचिव केसी वेणुगोपाल, दिल्ली के प्रभारी दीपक बावरिया के साथदिल्ली प्रदश संगठन के नेता शामिल थे। बैठक में लोकसभा चुनाव कीतैयारियों का जायज़ा लिया गया। लोकसभा चुनावों के मद्देनजर संगठन कोमजबूत करने और पिछले चुनावी आंकड़ों पर चर्चा हुई। यह फैसला किया गया किकांग्रेस सातों सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ने की तैयारी करे। बैठक मेंआम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर कल चर्चा नहीं हुई। इस बारे मेंबाद में चर्चा होगी। बैठक के बाद इस बात को दीपक बावरिया साफ कर चुके थे।

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर कांग्रेस नेता अलकाके बयान से विवाद हुआ। हालांकि अलका ने यह नहीं कहा था कि कांग्रेसदिल्ली में अकेले चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा, ‘2024 कैसे जीतना है इसकोलेकर हमें आदेश हुआ है कि सातों सीटों पर मजबूती के साथ संगठन के हर नेताको निकलना है। सात महीने, सात सीटें हैं। मीटिंग में ये बात हुई कि जिसकीदिल्ली उसका देश होता है। ये दिल्ली का इतिहास बताता है। इसलिए कहा गयाहै कि सातों सीटों पर तैयारी रखनी है। संगठन से जो भी जिम्मेदारियां तयहोंगी उस पर हम लोग काम करेंगे।’ गठबंधन के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभीकोई फैसला नहीं हुआ है। 2019 के चुनावों में हम हम सातों सीटों पर दूसरेनंबर पर रहे हैं। अब भारत जोड़ो यात्रा के बाद हम देख रहे हैं कि लोगबीजेपी के खिलाफ एक मजबूत विकल्प के रूप में देश में कांग्रेस को देख रहेहैं। राहुल गांधी ने हमें अपने अनुभव भी बताए। मुद्दों को लेकर जनता मेंजाना है।

अलका लांबा का ‘आप’ पर हमला

दरअसल आम आदमी पार्टी पर अलका लांबा के हमले से बात बिगड़ी। एक सवाल केजवाब में अलका ने मनीष सिसोदिया और संत्येंद्र जैन के जेल में होने कीबात कही। साथ ही कजरीवाल पर भी कानूनी शिकंजा कसने की बात कह दी। अलकालांबा ने कहा, ‘बैठक में ये चिंता जरूर जाहिर की गई कि हमारा वोट उनकी(आम आदमी पार्टी) तरफ गया है। बीजेपी की स्थिर लाइन है। हमारी लड़ाईबीजेपी के साथ है लेकिन वोट हमारा आम आदमी पार्टी की तरफ गया है। इसकेसाथ ही उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के दो बड़े नेता भ्रष्टाचार केआरोप में इस समय जेल में हैं, मुख्यमंत्री पर भी शिकंजा कस सकता है इसबात की भी चिंता जाहिर की गई लेकिन लड़ेंगे या नहीं लड़ेंगे इस पर कोईबात नहीं हुई है। हम अपनी तैयारी पूरी रखेंगे जो फैसला होगा वो देखाजाएगा।‘

अलका लांबा के बयानों से तिलमिलाई आम आदमी पार्टी ने तब जमकर पलटवार किया।‘आप’ की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने अलका लांबा पर बड़बोलेपन का आरोपलगाया लगाया। उन्होंने कहा कि उनकी इन्हीं हरकतों की वजह से उन्हें आमआदमी पार्टी से निकाला गया था। उन्होंने कांग्रेस से अलका लांबा के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी कर डाली। वहीं स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज नेअलका लांबा के बयान को पूरी तरह महत्वहीन करार देते हुए कहा कि इस तरह केबयानों का कोई मतलब नहीं है। जब बड़े नेता बैठकर फैसला करेंगे तो सब कोमानना होगा। उन्होंने अलका पर तंज कसते हुए कहा कि ऐसे नेताओं के बयानोंपर क्या बात की जाए जो पिछले चुनाव में अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए।

दरअसल आलका लांबा और ‘आप’ के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। दरअसल कांग्रेसमें एनएसयूआई और युवा कांग्रेस से अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत करनेवाली अलका लांबा 2015 में चांदनी चौक सीटे से आम आदमी पार्टी के टिकट परजीत कर पहली और आखिरी बार विधायक बनी थीं। अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के साथ विवादों के चलते उन्हें पार्टी से निकाला दिया गया था।2020 के विधानसभा में वो कांग्रेस के टिकट पर चांदनी चौक सीट से चुनावलड़ी थी। लेकिन आम आदमी पार्टी के प्रह्लाद साहनी से बुरी तरह हार गईंथीं। 2105 में उन्होंने प्रह्लाद साहनी को हराया था। तब साहनी काग्रेस केउम्मीदवार थे। आम आदमी पार्टी से निकाले जाने की वजह से अलका अक्सर ‘आप’और खासकर अरविंद केजरीवाल पर हमलावर रहती हैं। उनके बयान से ज्यादा उनकालहजा आक्रामक था। इसीलिए विवाद हुआ।

जिसकी दिल्ली, उसका देश

कहते है कि कांग्रेस की बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि‘जिसकी दिल्ली, उसका देश।’ पिछले छह लोकसभा चुनाव के नतीजे तो यही बतातेहैं दिल्ली पर जिसने कब्जा किया है जिसकी केंद्र की सत्ती भी उसी के हाथआई है। 2014 और 19 2019 में दिल्ली के सातों सीटें बीजेपी ने जीती हैं।दोनों ही बार केंद्र में उसकी सरकार बनी है। इससे पहले 2009 में कांग्रेसने दिल्ली की सभी सातों सीटें जीती थीं। 2004 में कांग्रेस ने 6 औरबीजेपी ने एक सीट जीती थी। 1998 में अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व मेंकेंद्र में एनडीए की सरकार बनी थी तब दिल्ली की 6 सीटें बीजेपी ने और एककांग्रेस ने जीती थी। 1999 में भी केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी थी तबदिल्ली की सभी सातों सीटें बीजेपी ने जीती थी।

दरअसल कांग्रेस का दिल्ली की सातों सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी करनेका ऐलान आम आदमी पार्टी पर दबाव की रणनीति है। दिल्ली के समीकरण ऐसे हैंजिनमें ना अकेले कांग्रेस बीजेपी को टक्कर दे सकती है और नहीं आम आदमीपार्टी दोनों अगर आपस में गठबंधन कर ले तो शायद कुछ सीटें जीत जाएं इसजमीनी सच्चाई को समझने के लिए दोनों ही पार्टियां तैयार नहीं है। जब तकदोनों पार्टियां इस सच्चाई को नहीं समझेंगी तब तक गठबंधन का रास्ता आसाननहीं होगा। 2019 की तरह इस बार भी गठबंधन खटाई में पड़ सकता है। 2019 केलोकसभा चुनाव से पहले 30 नवंबर 2018 को रामलीला मैदान में भारतीय किसानसंघर्ष मोर्चा समन्वय समिति की रैली में राहुल गांधी और अरविंद केजरीवालने मंच साझा किया था। दिल्ली के तत्कालीन प्रभारी पीसी चाको और आम आदमीपार्टी के सांसद संजय सिंह के बीच गठबंधन को लेकर मुलाकात भी हुई थी। 13फरवरी 2019 को शरद पवार के घर राहुल गांधी और केजरीवाल मिले भी थे लेकिनइसके बावजूद सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई थी।

दरअसल 2014 में सभी सातों सीटें बीजेपी जीती और आम आदमी पार्टी सभी सीटोंदूसरे स्थान पर रही थी। कांग्रेस तीसरे स्थान पर खिसक गई थी। तब बीजेपीको 46.40 फीसदी आप को 32.90 फीसदी और कांग्रेस को सिर्फ 15.10 फीसदी वोट ही मिले थे।2019 में इन आंकड़ों के अधार पर आप कांग्रेस को 2 से ज्यादा सीटे देने कोतैयार नहीं थी। लेकिन अब 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले 2019 के आंकड़ेहैं। इनमे पासा पलट गया है। 2019 में एक बार फिर सभी सातों सीटें बीजेपीजीती। लेकिन इस बार कांग्रेस जबरदस्त वापसी करते हुए पांच सीटों पर दूसरेस्थान पर आ गई। आप सिर्फ दो ही सीटों पर आगे रही। मोदी की दूसरी लहर मेंबीजेपी को 46.40 फीसदी वोट मिले। यानि उसे 10.46 फीसदी वोटो का फायदा हुआ।कांग्रेस को 46.40 फीसदी 7.42 फीसदी वोटों का फायदा हुआ और उसे 22.51 फीसदी वोट मिले।जबकि 2014 में 32.90 फीसदी वोट हासिल करने वाली ‘आप’ 18.11 फीसदी वोटों पर सिमट गई।उसे 14.79 फीसदी वोटों का नुकसान हुआ।

2024 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन होगाया नहीं यह इस बात पर निर्भर करेगा कि दोनों पार्टियों एक दूसरे को कितनाजगह देने को तैयार हैं। 2014 के आंकड़ों के हिसाब से 2019 में आम आदमीपार्टी कांग्रेस को दो से ज्यादा सीटें देने पर तैयार नहीं थी तो अबकांग्रेस भी उसे दो ज्यादा सीटे देने को तैयार नहीं है। दोनों पार्टियोंकी यही जिद गठबंधन में असली रोड़ा है। इसीलिए यह सवाल उठ रहा है कि क्यावाकई 2024 में दोनों के बीच गठबंधन हो पाएगा?

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