राजनैतिकशिक्षा

चुनौतियों के बीच भी बढ़ेगी अर्थव्यवस्था

-डा. जयंतीलाल भंडारी-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

इन दिनों प्रकाशित हो रही वैश्विक आर्थिक एवं वित्तीय रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि इस वित्त वर्ष 2023-24 में दुनिया में आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की विकास दर तेजी से बढ़ेगी और दुनिया में सर्वाधिक होगी। ज्ञातव्य है कि पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में देश की विकास दर अनुमानों से अधिक 7.2 फीसदी रही है। हाल ही में एक जून को प्रकाशित अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के अहम आंकड़ों ने वैश्विक आर्थिक और वित्तीय चुनौतियों के बीच चालू वित्त वर्ष 2023-24 में भी अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी का जोरदार संकेत देते हुए विकास दर के 6.5 फीसदी रहने की संभावनाओं को आगे बढ़ाया है। गौरतलब है कि पिछले माह मई 2023 में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), विनिर्माण के लिए पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई), यात्री वाहनों की बिक्री और यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के जरिये हुए लेनदेन में प्रभावी वृद्धि पाई गई है। यदि हम आंकड़ों की और देखें तो पाते हैं कि मई 2023 में जीएसटी संग्रह मई, 2022 के मुकाबले 12 फीसदी बढक़र 1.57 लाख करोड़ रुपये रहा। उत्पादन में तेजी के कारण मई में पीएमआई 58.7 पर पहुंच गया। पिछले 31 महीनों में पीएमआई का यह सबसे ऊंचा स्तर है। मई 2023 में यात्री वाहन उद्योग भी तेजी से आगे बढ़ा। यात्री वाहनों की बिक्री भी मई 2022 के मुकाबले 13.5 फीसदी बढक़र 334802 इकाई हो गई। इसी तरह मई में यूपीआई लेन-देन ने भी रिकॉर्ड बना दिया।

इस महीने में 14.3 लाख करोड़ रुपये के लेन-देन हुए। मई 2023 में कुल 941 करोड़ यूपीआई लेन-देन थे, जो मई 2022 से 6 फीसदी अधिक रहे। ऐसे में चालू वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी और आर्थिक वृद्धि के अनुमान बढ़ गए हैं। निश्चित रूप से हाल ही में प्रकाशित उत्साहवद्र्धक आर्थिक आंकड़ों से देश की वैश्विक क्रेडिट रेटिंग भी बढ़ेगी। यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि विभिन्न वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बीच भी भारत की अनुकूल क्रेडिट रेटिंग का परिदृश्य है। 18 मई को दुनिया की प्रमुख अमेरिका की एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग ने भारत की सॉवरिन रेटिंग स्थिर परिदृश्य के साथ दीर्घावधि के लिए ‘बीबीबी.’ और कम अवधि के लिए ‘।.3’ रखी है। यह परिदृश्य बताता है कि भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था और राजस्व में अच्छी वृद्धि राजकोष को मजबूती प्रदान करेगी। साथ ही एसऐंडपी ने उम्मीद जताई है कि भारत की वास्तविक वृद्धि दर वित्त वर्ष 24 में 6 प्रतिशत रहेगी क्योंकि निवेश और उपभोक्ताओं का रुख वृद्धि में अगले कुछ साल तक मददगार रहेगा। ऐसे में वित्त वर्ष 25 और वित्त वर्ष 26 में भारत के लिए 6.9 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।

गौरतलब है कि प्रमुख वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष 2023-24 मं चुनौतीपूर्ण वैश्विक वित्तीय स्थिति के बावजूद भारत वैश्विक आर्थिक झटकों को इसलिए सरलतापूर्वक झेल जाएगा, क्योंकि भारत का चालू खाते के घाटे (सीएडी) में सुधार हुआ है। चालू खाते का घाटा कम अवधि की प्रमुख विदेशी देनदारी के रूप में पहचाना जाता है। इससे विनिमय दर और विदेशी निवेशकों की धारणा प्रभावित होती है। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत की रेटिंग बीबीबी. बरकरार रखी है। दीर्घ अवधि के ऋण पर भारत का परिदृश्य स्थिर रखा है। रेटिंग निर्धारित करते हुए फिच ने कहा कि भारत में पिछले कुछ वर्षों में सरकार के सहयोग से कंपनियों और बैंकों के बही-खाते में काफी सुधार हुआ है और आधारभूत संरचना के विकास पर भी अधिक ध्यान दिया जा रहा है। निजी क्षेत्र भी बड़े स्तर पर निवेश करने की तैयारी कर रहा है। फिच ने कहा कि बढ़ी महंगाई, ऊंची ब्याज दरों और वैश्विक स्तर पर मांग में कमी की बड़ी चुनौतियों के बीच भारत की आंतरिक वित्तीय स्थिति थोड़ी कमजोर जरूर है और प्रति व्यक्ति आय और विश्व बैंक के मानकों पर भी भारत थोड़ा फिसला है, लेकिन दूसरे देशों की तुलना में भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं काफी मजबूत हैं और विदेश से आने वाले वित्तीय संसाधन भी संतोषप्रद हैं। निवेश की बेहतर संभावनाओं के बीच वित्त वर्ष 2023-24 में देश की विकास दर 6 फीसदी और वित्त वर्ष 2024-25 तक देश की आर्थिक वृद्धि दर बढक़र 6.7 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है।

इसी प्रकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में भी कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की बढ़ी हुई अनिश्चितताओं के बीच भारत का मजबूत आर्थिक प्रदर्शन दुनिया में भारत की अहमियत बढ़ा रहा है। वर्ष 2023 में कुल वैश्विक विकास में भारत 15 फीसदी से भी अधिक का योगदान देगा। जहां पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की विकास दर दुनिया में सबसे अधिक रही है, वहीं आगामी वित्त वर्ष 2023-24 में भी भारत की विकास दर 6 फीसदी से अधिक के स्तर पर रहते हुए फिर सर्वोच्च होगी। इसमें कोई दो मत नहीं है कि भारत का बढ़ता विदेश व्यापार और भारत का बढ़ता निर्यात भारत की वैश्विक क्रेडिट रेटिंग को संतोषप्रद बनाए रखने में अहम भूमिका निभा रहा है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की आर्थिक अस्थिरताओं के बावजूद वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का विदेश व्यापार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचते हुए 1.6 लाख करोड़ डॉलर मूल्य की ऊंचाई पर रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का विदेश व्यापार 1.43 लाख करोड़ डॉलर रहा था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का विदेश व्यापार पिछले वर्ष के विदेश व्यापार से और अधिक ऊंचाई पर पहुंच सकता है। नि:संदेह बढ़ते हुए वैश्विक खाद्यान्न संकट के बीच भारत में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन और खाद्यान्न का बढ़ता निर्यात भारत की दुनिया में आर्थिक व मानवीय साख बढ़ा रहा है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक सरकार ने वर्ष 2021-22 में 50 अरब डॉलर से अधिक का कृषि निर्यात किया है, वह वर्ष 2022-23 में 56 अरब डॉलर से अधिक की ऊंचाई पर है तथा अब नई विदेश व्यापार नीति से कृषि निर्यात नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचेगा। वल्र्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के द्वारा प्रकाशित वैश्विक कृषि व्यापार में रुझान रिपोर्ट 2021 के मुताबिक दुनिया में कृषि निर्यात में भारत ने नौवां स्थान हासिल किया है।

यद्यपि 31 मई को प्रस्तुत जीडीपी के आंकड़ों के मुताबिक दुनियाभर में भारत 7.2 फीसदी विकास दर के साथ सबसे तेज अर्थव्यवस्था वाले देश के रूप में रेखांकित हो रहा है और भारत की वैश्विक आर्थिक साख संतोषप्रद है, लेकिन अभी भी वैश्विक क्रेडिट रेटिंग को सुधारने और चालू वित्त वर्ष 2023-24 में देश की विकास दर को ऊंचाई देने के लिए कई बातों पर ध्यान देना जरूरी है। इस वर्ष 2023 में जी-20 की अध्यक्षता की कमान रखते हुए भारत के मेक इन इंडिया और मेक फॉर ग्लोबल की डगर पर तेजी से आगे बढऩा होगा। देश के द्वारा दुनिया का नया आपूर्ति केंद्र बनने, अधिक विदेशी निवेश और अधिक निर्यात की संभावनाएं मुठ्ठियों में लेनी होगी। दुनिया के विभिन्न देशों के साथ शीघ्रतापूर्वक मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) को आकार देना होगा। देश की नई लॉजिस्टिक नीति 2022 और गति शक्ति योजना की अभूतपूर्व रणनीतियों से भारत को आर्थिक प्रतिस्पर्धी देश के रूप में तेजी से आगे बढ़ाना होगा। ऐसी रणनीति से हम उम्मीद कर सकते हैं कि 30 मई को दुनिया की प्रसिद्ध अमेरिकी एजेंसी मार्गन स्टेनली के द्वारा भारत के संबंध में प्रस्तुत की गई और दुनियाभर में पढ़ी जा रही वह रिपोर्ट साकार हो सकती है जिसमें कहा गया है कि 2032 तक भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक और एशियाई विकास का केंद्र बन जाएगी तथा भारत में प्रति व्यक्ति आय मौजूदा 2200 डॉलर से बढक़र 5200 डॉलर हो जाएगी।

 

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