राजनैतिकशिक्षा

डिजिटल कारोबार का परिदृश्य

-डा. जयंतीलाल भंडारी-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

इन दिनों राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हो रही रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि कोविड-19 की चुनौतियों के बीच भारत में जहां डिजिटल कारोबार बढ़ने से लोगों की सुविधाएं बढ़ी हैं, वहीं विदेशी कंपनियों के डिजिटल कारोबार पर लगाया गया डिजिटल टैक्स यानी गूगल टैक्स भारत की आमदनी का तेजी से बढ़ता हुआ चमकीला स्रोत बन गया है। हाल ही में वित्त मंत्रालय के द्वारा जारी किए गए पिछले वर्ष 2020-21 में कर संग्रह संबंधी आंकड़ों के अनुसार देश में इक्वलाइजेशन लेवी या गूगल टैक्स 2057 करोड़ रुपए रहा, जबकि वर्ष 2019-20 में यह 1136 करोड़ रुपए ही था। इससे पता चलता है कि वित्त वर्ष 2020-21 में गूगल टैक्स पूर्ववर्ती वर्ष के मुकाबले करीब दो गुना बढ़ गया है। यह भी कोई छोटी बात नहीं है कि देश की सिलिकॉन वैली कहे जाने वाले बेंगलूरु की गूगल टैक्स संग्रह में 1020 करोड़ रुपए के साथ करीब आधी हिस्सेदारी रही है। गौरतलब है कि भारत में दो करोड़ रुपए से अधिक का वार्षिक कारोबार करने वाली विदेशी डिजिटल कंपनियों के द्वारा किए जाने वाले व्यापार एवं सेवाओं पर भारत में अर्जित आय पर दो फीसदी गूगल टैक्स लगाया जाता है। इस कर के दायरे में भारत में काम करने वाली अमरीका और चीन सहित दुनिया के विभिन्न देशों की ई-कॉमर्स करने वाली कंपनियां शामिल हैं।

देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच ई-कॉमर्स जितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है, उसी तेजी से विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों की आमदनी बढ़ती जा रही है। देश में ई-कॉमर्स कितनी तेजी से बढ़ रहा है, इसका अनुमान ई-कॉमर्स से संबंधित कुछ नई रिपोर्टों से लगाया जा सकता है। विश्व प्रसिद्ध ग्लोबल प्रोफेशनल सर्विसेज फर्म अलवारेज एंड मार्सल इंडिया और सीआईआई इंस्टीट्यूट ऑफ लॉजिस्टिक्स द्वारा तैयार रिपोर्ट 2020 के मुताबिक भारत में ई-कॉमर्स का जो कारोबार वर्ष 2010 में एक अरब डॉलर से भी कम था, वह वर्ष 2019 में 30 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है और अब 2024 तक 100 अरब डॉलर के पार पहुंच सकता है। निःसंदेह देश बढ़ते डिजिटलीकरण, इंटरनेट के उपयोगकर्ताओं की लगाकर बढ़ती संख्या, मोबाइल और डेटा पैकेज दोनों का सस्ता होना भी भारत में ई-कॉमर्स और डिजिटल कारोबार के बढ़ने के प्रमुख कारण हैं। मोबाइल ब्रॉडबैंड इंडिया ट्रेफिक (एमबीट) इंडेक्स 2021 के मुताबिक डेटा खपत बढ़ने की रफ्तार पूरी दुनिया में सबसे अधिक भारत में है। पिछले वर्ष 2020 में 10 करोड़ नए 4जी उपभोक्ताओं के जुड़ने से देश में 4जी उपभोक्ताओं की संख्या 70 करोड़ से अधिक हो गई है। ट्राई के मुताबिक जनवरी 2021 में भारत में ब्राडबैंड उपयोग करने वालों की संख्या बढ़कर 75.76 करोड़ पहुंच चुकी है। विश्व प्रसिद्ध रेडसीर कंसल्टिंग की नई रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2019-20 में जो डिजिटल भुगतान बाजार करीब 2162 हजार अरब रुपए का रहा है, वह वर्ष 2025 तक तीन गुना से भी अधिक बढ़कर 7092 हजार अरब रुपए पर पहुंच जाना अनुमानित है।

इस समय जब देश में ई-कॉमर्स तेजी से बढ़ रहा है और विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां भारी कमाई कर रही हैं, तब देश के ई-कॉमर्स परिदृश्य पर एक ओर देश के छोटे उद्योग-कारोबारियों के द्वारा तो दूसरी ओर वैश्विक ई-कॉमर्स कंपनियों के द्वारा दो अलग-अलग तरह की शिकायतें लगातार बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं। देश के विभिन्न औद्योगिक संगठनों और छोटे उद्योग-कारोबारियों का कहना है कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा गलाकाट प्रतिस्पर्धा करने के लिए अपने मार्केट प्लेटफॉर्मों के संचालन के लिए भारत में लाखों करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। देश के छोटे उद्योग कारोबारियों के द्वारा यह भी कहा गया है कि एमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों के द्वारा अपने प्लेटफॉर्म पर विक्रेताओं द्वारा गुपचुप तरीके से भारी छूट उपलब्ध कराकर छोटे उद्योग-कारोबार के भविष्य के सामने चिंताएं की लकीरें खींची जा रही हैं। दूसरी ओर भारत के द्वारा लगाए गए गूगल टैक्स पर एमेजॉन, फेसबुक और गूगल जैसी अमरीका की कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने गूगल टैक्स की न्यायसंगतता पर आपत्ति लेते हुए अमरीकी व्यापार प्रशासन के समक्ष आपत्ति दर्ज की है। इसमें कहा गया है कि भारत की ओर से दो फीसदी का डिजिटल कर लगाया जाना अनुचित, बोझ बढ़ाने वाला और अमरीकी कंपनियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण है। ऐसे में अब देश में नई ई-कॉमर्स नीति तैयार करते समय सरकार का दायित्व है कि ई-कॉमर्स से देश की विकास आकांक्षाएं पूरी हों तथा उपभोक्ताओं के हितों और उत्पादों की गुणवत्ता संबंधी शिकायतों के संतोषजनक समाधान के लिए नियामक भी सुनिश्चित किया जाए। साथ ही नई ई-कॉमर्स नीति के तहत डेटा की अहमियत को समझते हुए विदेशी डिजिटल कंपनियों से टैक्स वसूली की व्यवस्था बनाने के लिए ठोस पहल और कारगर नियमन सुनिश्चित किए जाने होंगे।

इसमें कोई दोमत नहीं है कि डिजिटल कर लगाने का कदम भारत का संप्रभु अधिकार है। यह कर अमरीकी कंपनियों के लिए ही नहीं, बल्कि सभी डिजिटल कंपनियों के लिए समान नियम से लागू है। भारत द्वारा लगाया गया गूगल टैक्स विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों का उल्लंघन नहीं है। वस्तुतः डेटा एक ऐसी सम्पत्ति है जिस पर भारत के हितों का ध्यान रखा जाना जरूरी है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि कोविड-19 के बाद नई वैश्विक आर्थिक व्यवस्था के तहत भविष्य में डेटा की वही अहमियत होगी जो आज पेट्रोलियम पदार्थों और सोने की है। चूंकि डिजिटल कारोबार का आधार डेटा है, अतएव जब तक डेटा पर कोई स्पष्ट, ठोस और प्रभावी कानून नहीं बनेगा, तब तक विदेशी डिजिटल कंपनियों से पूरे टैक्स की वसूली में मुश्किलें आती ही रहेंगी और उनकी आपत्ति भी बढ़ती ही जाएगी। ऐसे में यह जरूरी है कि सरकार के द्वारा गूगल टैक्स के लिए अपने पक्ष को अमरीका के व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय और विश्व व्यापार संगठन सहित विभिन्न वैश्विक संगठनों के समक्ष सम्पूर्ण इच्छाशक्ति और न्यायसंगतता के साथ दृढ़तापूर्वक प्रस्तुत किया जाए। निःसंदेह देश में सरकार ने डिजिटल कारोबार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नीतिगत स्तर पर कई सराहनीय कदम उठाए हैं और इससे डिजिटलीकरण को बढ़ावा मिला है। लेकिन अभी इस दिशा में बहुआयामी प्रयासों की जरूरत बनी हुई है।

हमें डिजिटलीकरण के लिए आवश्यक बुनियादी जरूरतों संबंधी कमियों को दूर करना होगा। चूंकि देश की ग्रामीण आबादी का एक बड़ा भाग अभी भी डिजिटल रूप से अशिक्षित है, अतएव डिजिटल भाषा से ग्रामीणों को सरलतापूर्वक शिक्षित-प्रशिक्षित करना होगा। चूंकि बिजली डिजिटल अर्थव्यवस्था की महत्त्वपूर्ण जरूरत है, अतएव ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की पर्याप्त पहुंच बनाई जाना जरूरी है। अभी ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोगों के पास डिजिटल पेमेंट के तरीकों से भुगतान के लिए बैंक-खाता, इंटरनेट की सुविधा वाला मोबाइल फोन या क्रेडिट-डेबिट कार्ड की सुविधा नहीं है। अतएव ऐसी सुविधाएं बढ़ाने का अभियान जरूरी होगा। साथ ही वित्तीय लेन-देन के लिए बड़ी ग्रामीण आबादी को डिजिटल भुगतान तकनीकों के प्रति प्रेरित करना होगा। देश में डिजिटल कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए मोबाइल ब्रॉडबैंड स्पीड के मामले में देश को आगे बढ़ाया जाना होगा। निश्चित रूप से ऐसे प्रयासों से देश में डिजिटल कारोबार और आगे बढ़ेगा, अधिक लोग डिजिटल कारोबार से लाभान्वित हो सकेंगे तथा सरकार डिजिटल टैक्स से अधिक आमदनी प्राप्त करते हुए दिखाई दे सकेगी।

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