राजनैतिकशिक्षा

मानवता पर बदनुमा दाग है ‘लखीमपुर’…?

-प्रभुनाथ शुक्ल-

-: ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस :-

पश्चिमी उत्तर प्रदेश का जिला लखीमपुर एकबार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्र उर्फ़ टेनी के बेटे को लेकर नहीं बल्कि दुष्कर्म की घटना को लेकर है। निघासन थाना इलाके में दो दलित बेटियों की दुष्कर्म के बाद हत्या कर शव गन्ने के खेत में पेड़ लटका दिया गया। मामला दलित परिवार से जुड़ा है इसलिए उत्तर प्रदेश की राजनीतिक गर्म हो चली है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, मायावती और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कानून व्यवस्था को लेकर योगी सरकार पर विफलता का आरोप मढ़ा है। निश्चित रूप से लखीमपुर खीरी की घटना योगी सरकार की कानून व्यवस्था को कटघरे में खड़ा करती है।
दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर यह जिला सुर्खियों में बना रहता है। विपक्ष इस घटना की तुलना हाथरस की घटना से करने लगा है। दोनों सगी बहनों को दुष्कर्म के बाद गला घोंट कर फांसी के फंदे पर लटकाया गया। यह घटना पूरी तरह मानवता को शर्मसार करने वाली है। घटना पर मानवाधिकार आयोग ने राज्य के डीजीपी से तीन दिन के अंदर रिपोर्ट मांगी है। लखीमपुर की घटना ने साबित कर दिया है कि समाज में दलित होना पाप है। वैसे भी बलात्कार की घटनाओं में सबसे अधिक दलित परिवार पीड़ित होता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना को खुद संज्ञान लिया है। दुष्कर्म के आरोप से जुड़े सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। सभी एक विशेष समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। राजनीतिक बयानों में कहा गया है कि दोनों बहनों को जबरन अपहरण कर ले जाया गया और फिर उनके साथ बलात्कार की घटना को अंजाम दिया गया। लेकिन लखीमपुर खीरी के पुलिस अधीक्षक संजीव सुमन ने इस बात से इनकार किया है। दुष्कर्म के मनोविज्ञान की यह अपने आप में अनूठी घटना है। हालांकि पश्चिमी यूपी इस तरह की बलात्कार की घटनाओं को लेकर सुर्खियों में रहता है। ऑनर किलिंग और दुष्कर्म जैसी घटनाएं वहां आम हैं। साल 2014 में ठीक इसी तरह बदायूं जिले में घटना हुई थी जहां दो बहनों का शव पेड़ से लटकता मिला था। इस घटना को कवर करने विदेशी मीडिया भी यहां आयी थी। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इस पर कड़ा बयान जारी किया था।
अपराधियों पर लगाम कसने के लिए उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुलडोजर संस्कृत का इजाद किया। योगी की बुलडोजर संस्कृत देश की मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरी। अन्य भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी बुलडोजर संस्कृत को आगे बढ़ाने का काम किया। मध्य प्रदेश और आसाम में भी बुलडोजर संस्कृत को आगे बढ़ाया गया। उत्तर प्रदेश में अपराधियों माफियाओं के खिलाफ बाबा का बुलडोजर जमकर गरजा, लेकिन अपराधियों के हौसले पस्त नहीं हुए। अपराध के प्रति ऐसे लोगों का मनोविज्ञान नहीं बदला। दलित बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने वाले लोग अगर बुलडोजर से डरते तो शायद इस तरह की घटना को अंजाम नहीं देते। इससे साबित होता है कि अपराधियों में बुलडोजर संस्कृत का खौफ नहीं है।
दुष्कर्म की यह घटना लखीमपुर के निघासन थाने के एक गांव में हुई। जहां दो सगी दलित बहनों के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया। परिजनों का आरोप है कि पड़ोस के गांव से तीन युवक आए और बेटियों को उस समय उठाकर ले गए जब वे खेत में काम कर रहीं थीं।फिर दुष्कर्म की घटना को अंजाम देने के बाद हत्या कर दिए। घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने निघासन चौराहे पर प्रदर्शन भी किया। हालांकि इस तरह की घटनाओं को पुलिस रोक नहीं सकती है क्योंकि अचानक ऐसी घटनाएं होती हैं। किसी भी राज्य की पुलिस के लिए दुष्कर्म करने वालों के मनोविज्ञान को पढ़ना मुश्किल है। इस तरह की घटनाएं कई स्थितियों में होती हैं। लेकिन कुछ भी हो इस तरह की घटनाएं शर्मनाक और मानवता के खिलाफ हैं।
लखीमपुर खीरी की घटना के बाद बुलडोजर वाले बाबा को घेरने की कवायद शुरू हो गई। मायावती, प्रियंका गांधी वाड्रा ने इसे सरकार की विफलता बताया है। अखिलेश यादव ने इस घटना की हाथरस से तुलना की है। मायावती ने ट्वीट करते हुए योगी सरकार पर आरोप लगाया है कि मां के सामने दोनों बेटियों का अपहरण कर दुष्कर्म को अंजाम दिया गया। उत्तर प्रदेश में अपराधी बेखौफ हैं और सरकार की प्राथमिकताएं गलत हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया कि अखबारों में विज्ञापन देने से कानून व्यवस्था दुरुस्त नहीं होती। उत्तर प्रदेश में महिलाओं के प्रति अपराध दिनों दिन बढ़ रहे हैं।
लखीमपुर खीरी किसान आंदोलन के दौरान उस समय सुर्खियां बना जब केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी की बेटे ने आंदोलनकारी किसानों पर अपनी गाड़ी चढ़ा दिया था। इस घटना में चार किसानों की मौत हो गई थी। घटना को लेकर केंद्र की मोदी और राज्य की योगी सरकार की फजीहत हुई थी। विपक्ष के लाख दबाव के बाद भी मंत्रालय से नहीं हटाया गया। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के प्रति अपराध को लेकर लखीमपुर खीरी चर्चाओं में रहा है। वर्ष 2020 के अगस्त और सितंबर महीने में तीन नाबालिग किशोरियों के साथ अलग-अलग बलात्कार और हत्या की घटनाएं हुई थी। साल 2011 में इसी थाना कैंपस में एक लड़की की लाश लटकती हुई मिली। इस मामले में एक निरीक्षक समेत 11 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया था। जिले के पुलिस अधीक्षक संजीव सुमन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि पीड़ित परिवार की सभी जायज़ मांगों को माना जाएगा, लेकिन क़ानून व्यवस्था संभालना हमारी प्राथमिकता है।
निर्भया की घटना के बाद बलात्कार को लेकर देश में कड़े कानूनों का प्रावधान किए गया। उम्मीद जताई गई थी कि अब ऐसी घटनाओं पर विराम लगेगा। लेकिन कड़े कानूनों का कोई फायदा नहीं निकला। एनसीआरबी की तरफ से साल 2021 में जारी रिपोर्ट के अनुसार देश में हर रोज 86 से अधिक दुष्कर्म की घटनाएं होती है। इस दौरान दुष्कर्म के कुल 31,677 मामले दर्ज हुए। 2020 के मुकाबले दुष्कर्म के मामलों में करीब 13 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी। दुष्कर्म के मामलों में सबसे टॉप पर राजस्थान, मध्य प्रदेश तीसरे नंबर को उत्तर प्रदेश का स्थान आता है। कुल अपराधों में उत्तर प्रदेश का स्थान 23 वां है। जबकि महिला अपराधों में इसका 16 वां है। उत्तर प्रदेश में हर दिन तकरीबन 11 दुष्कर्म की घटनाएं होती हैं। राज्य में हर 2 से 3 घंटे में एक बलात्कार की घटना दर्ज की जाती है। साल 2019 की रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे अधिक 11 फीसदी दलित समुदाय के लोग दुष्कर्म की घटनाओं से पीड़ित हुए।
फिलहाल बलात्कार और दुष्कर्म की घटनाओं को रोकने के लिए हमें त्वरित उपाय करने होंगे। दुष्कर्म की घटनाओं को अंजाम देने वाले व्यक्तियों में कानून व्यवस्था का डर भरना होगा। इस पर प्रभावी नियंत्रण के लिए और अत्यधिक कठोर कानूनों की आवश्यकता है। महिलाओं के प्रति हमें समाज की सोच बदलनी होगी। निश्चित रूप से लखीमपुर की घटना हमें शर्मसार करती है और राज्य की कानून व्यवस्था को पर सवाल खड़े करती है। राज्य पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामूहिक दुष्कर्म और गला दबाने की पुष्टि भी हो गई है। अब दलित बेटियों को सजा दिलाने का काम सरकार का है। निश्चित रूप से दुष्कर्म के आरोपियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *