राजनैतिकशिक्षा

किसानों के हक की लड़ाई लड़ने वाली बुलंद आवाज थे चैधरी अजित सिंह

-दीपक कुमार त्यागी-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

कोरोना की दूसरी प्रचंड लहर देश के आम व खास सभी वर्ग के जनमानस को जीवन भर ना भूल पाने वाले बहुत गहरे जख्म दे रही है। दूसरी लहर में देश में शायद ही कोई ऐसा परिवार बचा हो जिसके सगे संबंधियों को कोरोना संक्रमण ने अपनी चपेट में ना लिया हो। आम जनमानस में बहुत बड़े वर्ग का अक्सर यह मानना होता है कि उसके अपने को समय से बेहतर चिकित्सा सुविधा प्राप्त नहीं हुई, इसलिए उसके किसी अपने प्यारे परिजन का निधन हो गया, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते देश में दिग्गज बड़ी हस्तियाँ जिनको बेहतरीन चिकित्सा सुविधाएं समय से मिल रही थीं, वो भी बहुत बड़ी संख्या में काल का ग्रास बन रही हैं। इस कड़ी में किसानों व मजदूरों की सशक्त आवाज व पूर्व केन्द्रीय मंत्री चैधरी अजीत सिंह का नाम भी जुड़ गया है। वह कई दिनों से कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए गुरुग्राम के प्रतिष्ठित निजी अस्पताल में भर्ती थे, जहां पर चैधरी साहब ने गुरुवार की प्रातः अंतिम सांस ली। जिसके बाद देश की किसान राजनीति में अचानक ही अब एक बहुत बड़ा खालीपन आ गया है, क्योंकि जिस समय भयंकर कोरोना काल में भी तीनों कृषि कानूनों को लेकर किसान लगातार सड़कों पर लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं, उस वक्त में किसानों की सशक्त आवाज का अचानक यूं चले जाना किसान आंदोलन को बहुत बड़ा झटका है। चैधरी साहब जिस तरह से लगातार दमदार ढंग से किसानों के साथ मिलकर उनकी आवाज को बुलंद कर रहे थे, उसको सभी देशवासियों ने बेहद करीब से देखा है।

हालांकि चैधरी अजीत सिंह के पुत्र जयंत चैधरी भी पिता के साथ मिलकर किसानों की आवाज लगातार उठा रहे थे, वह भी सांसद रह चुके हैं और कुछ माह पूर्व घटित हाथरस कांड में सभी देशवासियों ने जनहित के मसले पर उनके आक्रामक अंदाज वाले तेवर को देखा है, वह कृषि कानूनों के विरोध प्रदर्शन में लगातार धरना प्रदर्शन और रैली करके किसानों के बीच में मजबूत पैठ बना रहे थे। वैसे जब पूर्व प्रधानमंत्री चैधरी चरण सिंह का निधन हुआ था तो बेहद कम लोगों उम्मीद थी की भारत की राजनीति में विदेश से आकर चैधरी अजीत सिंह अपना एक विशेष स्थान बना लेंगे, सभी को लगने लगा था कि चैधरी चरण सिंह व चैधरी महेंद्र सिंह टिकैत के निधन के बाद देश में किसान हितों वाली राजनीति हमेशा के लिए खामोश हो गई है। लेकिन उन दोनों की विरासत को चैधरी अजीत सिंह ने बहुत ही शानदार तरीकों से संजोकर उसको निभाने का काम किया था।

चैधरी अजीत सिंह कई बार सांसद बने और केन्द्रीय मंत्री बनकर महत्वपूर्ण मंत्रालयों के प्रभार को संभालने का कार्य बिना किसी विवाद के सफलतापूर्वक किया। वैसे देखा जाये तो चैधरी अजीत सिंह का आकस्मिक निधन दुनिया से केवल एक राजनेता का जाना मात्र नहीं है, हाल के वर्षों में वह किसानों के हक की एक मात्र बुलंद आवाज थे जो सत्ता के गलियारों से लेकर सड़क तक पर गूंजती रहती थी। उनके निधन से भविष्य में देश में किसानों की बुलंद आवाज एकबार फिर से कमजोर हो सकती है और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नये राजनीतिक समीकरण बन सकते हैं। चैधरी अजीत सिंह के जाने के बाद देश में बेहद व्यवहार कुशलता पूर्ण राजनीति के उस एक लंबे समय का पटाक्षेप हो गया है, जहां किसान, समाज और राजनीति के सर्वोच्च शिखर पर रहने के बाद भी लोग बिना किसी अहंकार में आये अपनी जमीन से बेहद ईमानदारी व पूर्ण शालीनता के साथ जुड़े रहते थे।

चैधरी अजीत सिंह का व्यवहार ऐसा था कि जो भी उनसे मिल लेता था, वह व्यक्ति खुद को उनका बेहद नजदीकी महसूस कर पाता था। उनका अचानक निधन हो जाने से देश की राजनीति में चैधरी चरण सिंह, चैधरी देवीलाल और चैधरी महेंद्र सिंह टिकैत जैसे दिग्गज किसान नेताओं की विरासत सम्हाल कर किसान राजनीति को आगे बढ़ाने के कार्य को एक बहुत बड़ा झटका लगा है। खैर ईश्वर के निर्णय पर किसी का कोई बस नहीं चलता है, उसके निर्णय को मानना हर व्यक्ति की मजबूरी होता है। ईश्वर चैधरी अजीत सिंह के पुत्र जयंत चैधरी को इतनी शक्ति प्रदान करें कि वो पिता की विरासत के साथ-साथ किसानों के हितों की सशक्त आवाज संसद से लेकर के सड़क तक उठायें और किसान राजनीति को एक नया आयाम प्रदान करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *