डीएमआरसी बोर्ड में गैर-आधिकारिक उम्मीदवारों के लिए कोई जगह नहीं है: पुरी
नई दिल्ली, 23 जुलाई (सक्षम भारत)।
केन्द्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को संकेत दिये कि केन्द्र डीएमआरसी बोर्ड में आप नेताओं राघव चड्ढा और आतिशी के नामांकन को स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि बोर्ड में गैर-आधिकारिक लोगों के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि 2003 में भाजपा के तत्कालीन सांसद मदनलाल खुराना ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के उनकी नियुक्ति पर आपत्ति जताये जाने के बाद डीएमआरसी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। पुरी ने कहा, मेरे पास ऐसी स्थिति है जहां मंत्रालय में सेवारत सचिव द्वारा डीएमआरसी बोर्ड को बड़ी क्षमता के साथ संभाला जाता है। उस बोर्ड में गैर-आधिकारिक लोगों के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) पर निशाना साधते हुए पुरी ने कहा, हमारे पास अब अलग स्थिति है जहां मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक सांसद का नाम नहीं सुझा रहे हैं और वे दो ऐसे लोगों के नामों का सुझाव दे रहे हैं जो सांसद के लिए चुनाव हार गए थे। दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने डीएमआरसी निदेशक मंडल के लिए चड्ढा और आतिशी समेत चार प्रतिनिधियों को नामित किया है। गहलोत द्वारा नामांकित किये गये अन्य दो लोगों में दिल्ली संवाद और विकास आयोग (डीडीसी) के उपाध्यक्ष जैस्मीन शाह और आप के राज्यसभा सांसद एन डी गुप्ता के पुत्र नवीन गुप्ता शामिल हैं। केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चड्ढा ने कहा कि मोदी सुनामी के बावजूद पुरी ने भाजपा के टिकट पर अमृतसर से लोकसभा चुनाव हार कर अविश्वसनीय कमालकिया है। खुराना के बारे में पुरी के दावे को खारिज करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने कहा कि मदनलाल खुराना ने दिसम्बर 2003 में लोकसभा से और डीएमआरसी अध्यक्ष पद से इसलिए इस्तीफा दिया था क्योंकि उन्हें राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया था। कांग्रेस नेता ने ट्वीट किया, खुराना जी ने 24 दिसम्बर 2003 को लोकसभा और डीएमआरसी के अध्यक्ष पद से इसलिए इस्तीफा दिया था क्योंकि उन्हें राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया था। शीला जी के विपक्षी नेताओं के साथ बेहतरीन संबंध थे।