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शिक्षक ही हमारे सच्चे राष्ट्र निर्माता, नैतिक मूल्यों के ध्वजवाहक हैं : खरगे

नई दिल्ली, 05 सितंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दी और कहा कि शिक्षक ही हमारे सच्चे राष्ट्र निर्माता तथा नैतिक मूल्यों के ध्वजवाहक हैं।
गौरतलब है कि डॉ. राधाकृष्णन की जयंती को शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जाता है। श्री खरगे ने कहा, “आज, हम शिक्षक दिवस मनाते हैं और महान दार्शनिक, शिक्षाविद् और लेखक सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद करते हैं। शिक्षक सच्चे राष्ट्र निर्माता हैं। वे न केवल हमारे मार्गदर्शक हैं बल्कि अच्छे मूल्यों के ध्वजवाहक और नैतिक विवेक के संरक्षक भी हैं। शिक्षक दिवस पर हम देशभर के सभी शिक्षकों को सलाम करते हैं क्योंकि वे ही हैं जो हमारे भविष्य की नियति का निर्धारण करेंगे।”
उन्होंने कहा, “भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एस राधाकृष्णन को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि। वे ऐसे दार्शनिक और राजनेता थे जिनका योगदान, समर्पण और बुद्धिमत्ता हमें पीढ़ी दर पीढ़ी प्रेरित करती है। उनकी पुस्तक ‘द हिंदू व्यू ऑफ लाइफ, इंडियन फिलॉसफी, ईस्टर्न रिलिजन्स एंड वेस्टर्न थॉट, द भगवद गीता, द धम्मपद और द प्रिंसिपल उपनिषद जैसी किताबें सदाबहार क्लासिक्स हैं। किसी भी तरह से राजनीतिक व्यक्तित्व नहीं होने के कारण, राधाकृष्णन को नेहरू ने 1949-52 के दौरान तब के सोवियत संघ-यूएसएसआर में भारत का राजदूत बनने के लिए राजी किया था, जब कम्युनिस्ट समूह भारत को संदेह की दृष्टि से देखता था। बाद में वह 1952-62 तक भारत के पहले उपराष्ट्रपति और फिर 1967 तक राष्ट्रपति रहे।”
श्री खरगे ने कहा, “उनके बेटे, प्रख्यात इतिहासकार सर्वपल्ली गोपाल ने किसी भी महान हस्ती की अब तक लिखी गयी सर्वश्रेष्ठ जीवनी लिखी। पुस्तक में उन्होंने लिखा ‘सेवानिवृत्ति’ के बाद उन्होंने सार्वजनिक मंच साझा नहीं करने का निर्णय लिया। विभिन्न विषयों पर कोई गैरजिम्मेदाराना बात करने जैसे थकाऊ काम करने की बजाय वह खेती करते, दार्शनिक विषयों की पुस्तकें पढ़ने और लिखने में समय बिताते हैं… अंततः 17 अप्रैल 1975 की सुबह राधाकृष्णन ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।”
उन्होंने कहा, “संयोग देखिए, उनकी पोती गिरिजा और उनके पूर्व आईएएस पति वीरराघवन कोडाइकनाल में खेती करते हैं और वह भारत में गुलाब की खेती करने वाले सबसे प्रसिद्ध किसान हैं। उन्होंने अपना आधा जीवन उपमहाद्वीप में गुलाबों की विभिन्न प्रजातियों के संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया है। फिल्म प्रभाग की वर्षों पहले उन पर बना वृतिचित्र भी देखने लायक है।”

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