राजनैतिकशिक्षा

चुनौतियों के बीच भारत की मजबूत आर्थिकी

-डा. जयंतीलाल भंडारी-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

हाल ही में 18 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक महत्वपूर्ण कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कहा कि आज वैश्विक आर्थिक संकट के बीच भी भारत का अर्थतंत्र मजबूत है। दुनिया में भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था का चमकता हुआ देश बताया जा रहा है। इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। जहां भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ रहे हैं, वहीं भारत से निर्यात भी बढ़ रहे हैं। भारत वैश्विक सप्लाई चेन का अहम हिस्सा बन रहा है। प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (पीएलआई) से देश का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और आत्मनिर्भर भारत अभियान आगे बढ़ रहा है। इन दिनों पूरी दुनिया में दो ख्याति प्राप्त वैश्विक संगठनों के द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में हाल ही में प्रकाशित रिपोर्टों को गंभीरतापूर्वक पढ़ा जा रहा है। जहां अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की बढ़ी हुई अनिश्चितताओं के बीच भारत का मजबूत आर्थिक प्रदर्शन दुनिया में भारत की अहमियत बढ़ा रहा है। वर्ष 2023 में कुल वैश्विक विकास में भारत 15 फीसदी से भी अधिक का योगदान देगा। जहां चालू वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की विकास दर दुनिया में सबसे अधिक करीब 6.8 फीसदी होगी, वहीं आगामी वित्त वर्ष 2023-24 में भी भारत की विकास दर 6.1 फीसदी के साथ फिर दुनिया में सर्वोच्च होगी। वहीं संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक-सामाजिक मामलों के विभाग के द्वारा प्रस्तुत ‘विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएं 2023’ रिपोर्ट में भारत को उद्योग-कारोबार और निवेश के मद्देनजर विश्व का प्रमुख और आकर्षक स्थल बताया गया है।

यह कोई छोटी बात नहीं है कि 15 मार्च को वाणिज्य मंत्रालय के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022-23 के पहले 11 महीनों में वस्तु निर्यात 400 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है। वैश्विक निर्यात चुनौतियों के बीच भारत से निर्यात भी बढ़ रहे हैं। वर्ष 2021-22 में उत्पाद एवं सेवा निर्यात का जो मूल्य करीब 676 अरब डॉलर था, वह चालू वित्त वर्ष 2022-23 में बढक़र 770 अरब डॉलर से भी अधिक हो सकता है। एक ओर जहां प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए भारत को चमकता स्थान (स्पाट) माना जा रहा है, वहीं दुनिया के देश भारत से दवाई और कृषि सहित विभिन्न उत्पादों और सेवाओं के निर्यात बढ़ाने की पहल करते हुए दिखाई दे रहे हैं। पिछले 8 वर्षों में 160 से अधिक देशों की कंपनियों ने भारत में अर्थव्यवस्था के 61 क्षेत्रों में निवेश किया है। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत के रिकॉर्ड स्तर पर 84 अरब डॉलर का विदेशी निवेश मिला था। यह भी भारत की बढ़ती हुई वैश्विक आर्थिक साख की सफलता है कि रिजर्व बैंक आरबीआई ने जुलाई 2022 में डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए विदेशी व्यापार का लेन-देन रुपए में करने का प्रस्ताव किया था।

15 मार्च तक रूस, मारीशस व श्रीलंका के द्वारा भारतीय रुपए में विदेशी व्यापार शुरू करने के बाद अब तक 18 देशों के बैंकों ने रुपए में व्यापार करने के लिए विशेष वोस्ट्रो खाते खोले हैं। 35 से अधिक देशों ने रुपए में व्यापार करने में रुचि दिखाई है। इससे भारत को कई मोर्चों पर लाभ मिलेगा। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि जैसे-जैसे भारत बौद्धिक संपदा, शोध एवं नवाचार (रिसर्च एंड इनोवेशन) में आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है। हाल ही में 4 मार्च को माइक्रोसॉफ्ट के सह संस्थापक बिल गेट्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट की और कहा कि इस समय दुनिया में रेखांकित हो रहा है कि भारत बौद्धिक सम्पदा, शोध और नवाचार की डगर पर आगे बढक़र विभिन्न क्षेत्रों में विकास को अपनी मुठ्ठियों में कर रहा है। अमेरिका के ग्लोबल इनोवेशन पॉलिसी सेंटर के द्वारा प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक संपदा (आईपी) सूचकांक रिपोर्ट 2023 में बौद्धिक संपदा आधारित नवाचार मामले में भारत को दुनिया की 55 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में 42वें स्थान पर चिन्हित किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का आकार और आर्थिक रसूख वैश्विक पटल पर बढ़ रहा है, ऐसी स्थिति में भारत आईपी-प्रेरित नवाचारों की मदद से अपनी अर्थव्यवस्था का कायाकल्प करने की मंशा रखने वाली उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक अग्रणी देश बन सकता है।

भारत के नवाचार दुनिया में सबसे प्रतियोगी, किफायती, टिकाऊ, सुरक्षित और बड़े स्तर पर लागू होने वाले समाधान प्रस्तुत कर रहे हैं। भारत में इंटरनेट ऑफ थिंग्स, कृत्रिम बुद्धिमता और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में शोध और विकास और जबरदस्त स्टार्टअप माहौल के चलते ख्याति प्राप्त वैश्विक फार्मेसी कंपनियां, वैश्विक फाइनेंस और कॉमर्स कंपनियां अपने कदम तेजी से बढ़ा रही हैं। अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों की बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत में तेजी से अपने ग्लोबल इन हाउस सेंटर (जीआईसी) तेजी से शुरू करते हुए दिखाई दे रही हैं। यह भी कोई छोटी बात नहीं है कि भारत की अर्थव्यवस्था चीन की अर्थव्यवस्था की तुलना में लगातार तेज गति से आगे बढ़ रही है। आईएमएफ के मुताबिक इस वित्त वर्ष 2022-23 में चीन की अर्थव्यवस्था में करीब 3.3 फीसदी वृद्धि होने का अनुमान है और आगामी वित्त वर्ष 2023-24 में चीन की वृद्धि दर 4.4 फीसदी रह सकती है। दो वर्षों की चीन की यह वृद्धि भारत की वृद्धि दर से बहुत कम है।

वस्तुत: भारतीय अर्थव्यवस्था चीन से होड़ करने में इसलिए भी सफल होते हुए दिखाई दे रही है क्योंकि जहां कई उभरते हुए वैश्विक आर्थिक परिदृश्य भारत के हित में हैं, वहीं चीन के सामने कई आर्थिक मुश्किलें हैं। इस समय चीन में युवा कामगारों का अभाव है, चीन में अचल संपत्ति गिरावट के दौर में है। चीन में विनिर्माण और वित्त की समस्या है। चीन के प्रति वैश्विक नकारात्मकता और अमेरिका के साथ चीन के व्यापार संबंधों में कड़वाहट का भी चीन की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा है। यद्यपि दुनियाभर में भारत सबसे तेज और आकर्षक अर्थव्यवस्था वाले देश के रूप में रेखांकित हो रहा है, लेकिन अभी वैश्विक सुस्ती के कारण देश के द्वारा निर्यात बढ़ाने और व्यापार घाटे की चुनौती को कम करने के लिए रणनीतिक कदम उठाए जाने की जरूरत बनी हुई है। हमें देश की नई लॉजिस्टिक नीति 2022 और गति शक्ति योजना की अभूतपूर्व रणनीतियों से भारत को आर्थिक प्रतिस्पर्धी देश के रूप में तेजी से आगे बढ़ाकर देश की अर्थव्यवस्था को निर्यात प्रधान अर्थव्यवस्था बनाना होगा।

दुनिया के विभिन्न देशों के साथ शीघ्रतापूर्वक मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए)को आकार देना होगा। शोध और नवाचार पर सकल घरेलू उत्पाद का दो फीसदी तक व्यय बढ़ाया जाना होगा। हम उम्मीद करें कि भारत के द्वारा इस वर्ष 2023 में जी-20 की अध्यक्षता के बीच ऐसे रणनीतिक प्रयत्न बढ़ाए जाएंगे जिनसे चीन प्लस वन की जरूरत के मद्देनजर भारत दुनिया के नए आपूर्ति केंद्र, मैन्युफैक्चरिंग हब, अधिक निर्यात, अधिक विदेशी निवेश और अधिक विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने की डगर पर तेजी से आगे बढऩे की संभावनाएं मुठ्ठियों में ली जा सकेगी। हम उम्मीद करें कि देश के आर्थिक विकास के लिए मील का पत्थर कहे जाने वाले आगामी वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट के विभिन्न प्रावधानों का नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत के साथ ही इस तरह सफलतापूर्वक कार्यान्वयन किया जाएगा जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र ऊंचाई पर पहुंचेंगे एवं देश 2030 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने तथा 2047 तक विकसित देश बनने की डगर पर आगे बढ़ेगा।

 

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