राजनैतिकशिक्षा

राहुल गांधी को दो साल की सजा क्यों?

-सनत कुमार जैन-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

सूरत की कोर्ट से राहुल गांधी को मोदी उपनाम के मानहानि प्रकरण में 2 साल की सजा सुनाई है। न्यायालय ने उन्हें 1 माह का समय दिया है वह उच्च न्यायालय में जाकर अधीनस्थ न्यायालय के आदेश पर अपील कर सकते हैं। जैसे ही यह फैसला आया उसके बाद सारे देश में एक बवाल मच गया। सत्ता पक्ष और विपक्ष अपने अपने तरीके से प्रतिक्रिया व्यक्त करने लगा। राहुल गांधी ने कहा कि वह माफी नहीं मांगेंगे। भले उन्हें जेल जाना पड़े। वहीं भारतीय जनता पार्टी के नेता और सरकार के नेता इसे न्यायालय का आदेश बताकर राहुल गांधी की सदस्यता संसद से समाप्त करने की पैरवी करने लगे। वहीं विपक्षी दल इस मामले में राहुल गांधी के पक्ष में खड़े होते हुए दिख रहे हैं। पिछले 2 माह से देश और दुनिया के मीडिया में राहुल गांधी छाए हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी ने राहुल गांधी की छवि पप्पू की बनाई थी। भाजपा काफी हद तक सफल भी रही। लेकिन वही भाजपा अब राहुल गांधी को हीरो बनाने पर तुल गई है। भाजपा जो काम मनोयोग से करती है, उसमें सफल जरूर होती है। राहुल गांधी यदि हीरो बन रहे हैं, तो वह भी भाजपा के कारण ही बन रहे हैं। यह चर्चा सियासी हलकों में हो रही है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी मामले को लेकर संसद के बजट सत्र के दोनों चरण में कामकाज नहीं हो पाया। राहुल गांधी के संसद में दिए गए बयान को रिकॉर्ड से हटा दिए जाने, और उसके बाद लंदन कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में दिए गए, उनके बयान के बाद राहुल गांधी लगातार मीडिया की सुर्खियों में बने हुए हैं। जिसने कैंब्रिज में दिए गए उनके भाषण को सुना है। उसमें उन्होंने कहीं पर भी नहीं कहा कि अंतरराष्ट्रीय ताकत भारत के लोकतांत्रिक मामले में हस्तक्षेप करें। बजट सत्र के दूसरे चरण में राहुल गांधी माफी मांगे को लेकर, सदन की कार्यवाही नहीं चल रही है। विपक्ष का आरोप है, कि अडानी मामले में सरकार जेपीसी गठित नहीं करने और अडानी मामले की सदन में चर्चा नहीं कराना चाहती है। सत्ता पक्ष ही सदन की कार्यवाही नहीं चलने दे रहा है। वहीं राहुल गांधी भी सदन में अपनी बात कहने के लिए अड़े हुए हैं। जिस राहुल गांधी को गोदी मीडिया या देश का मीडिया कवर नहीं करता था। अब राहुल और कांग्रेस मीडिया में छाए हुए हैं। रही-सही कसर सूरत की कोर्ट ने मानहानि वाले मामले में अधिकतम 2 साल की सजा देने के बाद पूरी कर दी है। भारतीय जनता पार्टी राहुल गांधी को हीरो बनाने पर तुली हुई है। कोर्ट से एक दिन की सजा मिलती या एक साल की। वह ज्यादा मायने रखती। अधिकतम 2 साल की सजा सुनाने को संसद की सदस्यता समाप्त करने से इसे जोड़ा जा रहा है। इसका फायदा राहुल गांधी को मिल रहा है। सदन के अंदर भाजपा के सांसद राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त करने की मांग कर रहे थे। अब यह काम न्यायालय के माध्यम से हो गया है। अब इसी मानहानि के मामले में 12 अप्रैल को सशरीर राहुल गांधी को पटना की अदालत में पेश होना है। सूरत की कोर्ट से उन्हें 2 साल की सजा मिल गई है। हो सकता है पटना की कोर्ट भी उन्हें दो साल की सजा सुना दे। यह मामला अन्य भी कई न्यायालयों में लगा हुआ है। एक ही मामले में कितनी बार सजा राहुल को मिलेगी। इसी बीच बनारस की कोर्ट से लंदन के बयान को आधार बनाकर जो मानहानि का मुकदमा दर्ज हुआ था। बनारस की विशेष अदालत एसीजेएम न्यायालय के न्यायाधीश उज्जवल उपाध्याय ने परिवाद को खारिज कर राहुल गांधी को निर्दोश करार दिया है। न्यायालय ने कहा उन्होंने लंदन में ऐसा कुछ नहीं बोला। जिससे मानहानि का मामला बने। भारतीय जनता पार्टी के निशाने पर इन दिनों राहुल गांधी मुख्य केंद्र बिन्दु बने हुए हैं। राहुल गांधी भी आर-पार की लड़ाई-लड़ने की मुद्रा में आ गये है। जो राहुल गांधी, भारत जोड़ो यात्रा के पहले राजनीति का पप्पू था। अब वह एक सशक्त नेता के रूप में देश और दुनिया में रोजाना नई पहचान बना रहा है। विपक्षी दल अब यह सोचने पर विवश हो गए हैं, कि एक-एक करके सभी को इसी तरह की प्रताड़ना का शिकार होना पड़ेगा। अतः विपक्षी दल भी अब इकट्ठे होने लगे हैं। कांग्रेस बार-बार भाजपा को उकसा रही है। राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त करे। वह माफी नहीं मांगेंगे, भले उन्हें न्यायालय के आदेश पर जेल भेज दे। कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार किसी को भी मानहानि के मामले में जेल की सजा नहीं हुई है। मानहानि की धारा 499 और 500 में इस तरह के मामले में अपवाद पर न्यायालय द्वारा विचार नहीं किया गया है। सामूहिक मामले में बोली गई, किसी बात को लेकर कोई व्यक्ति विशेष मानहानि का प्रकरण दायक नहीं कर सकता है। इसका फायदा राहुल गांधी को मिलेगा। अब राहुल गांधी के प्रति सभी को सहानुभूति होने लगी है। जनता के बीच में भी अब यह धारणा बन रही है, कि राहुल गांधी सरकार का विरोध कर रहे हैं। इसलिए सरकार उन्हें जेल भेज रही है। 6 माह पहले कांग्रेस के नेता कांग्रेस छोड़कर जा रहे थे। अब भाजपा के नेता कांग्रेस में प्रवेश कर रहे हैं। 2 महीने बाद कर्नाटक का विधानसभा चुनाव है। कांग्रेस को लगता है, कि सत्ता पक्ष राहुल गांधी को जितना प्रताड़ित करेगा। राहुल गांधी और कांग्रेस उतनी ही मजबूत होगी।

 

 

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