राजनैतिकशिक्षा

कांग्रेस के करारे जवाब

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

कांग्रेस का रायपुर अधिवेशन बिना किसी विघ्न-बाधा के सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। देश भर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में इस अधिवेशन से नया उत्साह भर गया है। आगामी विधानसभा चुनावों और फिर आम चुनावों में रायपुर से उठी हुंकार की गूंज सुनाई देगी, इसका अनुमान राजनैतिक विश्लेषक लगा रहे हैं। भारत जोड़ो यात्रा के तुरंत बाद कांग्रेस का एक और सफल आयोजन हुआ है। हाथ से हाथ जोड़ो अभियान भी हुआ और उम्मीद लगाई जा रही है कि भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा चरण भी अगले चुनावों के पहले आयोजित किया जाएगा। लगातार 9 सालों से विपक्ष में बैठी कांग्रेस को बहुत से लोगों ने चुका हुआ मान लेने की भूल की थी। दरअसल कांग्रेस जब भी चुनाव हारती और भाजपा की सत्ता स्थापित होती, तो भाजपा ये दावा करती कि कांग्रेस मुक्त भारत की ओर एक और कदम बढ़ा लिया गया है।

भाजपा के इस दावे पर देश के कई लोगों ने यकीन करना शुरु कर दिया था कि वाकई देश से कांग्रेस का सफाया हो जाएगा। मगर अब कांग्रेस जिस मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है, हार मिलने के बावजूद चुनावी मैदान में टक्कर के लिए तैयार हो रही है, इसके साथ ही आंतरिक गुटबाजी को भी काफी हद तक दूर कर लिया गया है, उससे कांग्रेस विरोधियों का परेशान होना स्वाभाविक है। जैसे भारत जोड़ो यात्रा में शुरु से इस तबके की नजरें इस बात पर थीं कि कहीं से कोई चूक पकड़ में आ जाए, जिस पर कांग्रेस को कटघरे में खड़ा किया जा सके, वैसा ही रवैया रायपुर अधिवेशन को लेकर था।

भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत होते ही केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी के विवेकानंद स्मारक न जाने पर तंज कसकर की थी। लेकिन राहुल गांधी का स्मारक जाने का वीडियो पेश कर दिया गया और फिर इस मुद्दे पर कोई बात नहीं हुई। गलत आरोप लगाने के कारण माफी मांगने वाली नैतिकता के दिन अब रहे नहीं। इसके बाद राहुल गांधी की टी शर्ट पर विवाद शुरु किया गया, जो उनके श्रीनगर पहुंचने तक जारी रहा। इसके अलावा विभिन्न महिलाओं के साथ राहुल गांधी की पदयात्रा करती तस्वीरों को लेकर भी उन पर उंगलियां उठाने की कोशिश की गई।

लेकिन कांग्रेस विरोध का एक भी दांव भारत जोड़ो यात्रा को प्रभावित नहीं कर सका। ऐसी ही कोशिश रायपुर अधिवेशन में गलतियां निकालने की गईं। जैसे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का स्वागत घास और बांस की विशेष माला को पहनाकर किया। सुनहरे रंग की इस माला को सोशल मीडिया पर सोने की माला कहकर प्रचारित किया गया और बात फैल गई कि कांग्रेस अधिवेशन में नेताओं का स्वागत सोने की माला पहनाकर किया गया। सोशल मीडिया में गलत सूचनाएं प्रसारित करने का यह ताजा उदाहरण है।

इस खबर को फैलाने वालों ने इतनी बुद्धि नहीं लगाई कि ईडी और आईटी के छापे का सामना करने वाली कांग्रेस ऐसा कोई भी कदम क्यों उठाएगी, जिससे आ बैल मुझे मार, वाली बात सच हो जाए। बहरहाल, मुख्यमंत्री बघेल ने इस गलत खबर का सटीक जवाब दिया कि ये माला सोने से भी ज्यादा कीमती है। ये हमारी विशेष पिछड़ी जनजाति के बैगा आदिवासी बनाते हैं।

सोने की माला वाला आरोप नाकाम हो गया। इधर कर्नाटक से प्रधानमंत्री मोदी ने मल्लिकार्जुन खड़गे को लेकर कांग्रेस को निशाना बनाना चाहा। लेकिन ये वार भी नाकाम ही रहा। दरअसल रायपुर अधिवेशन की एक तस्वीर है, जिसमें कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के सिर पर छतरी है, लेकिन श्री खड़गे के सिर पर नहीं। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस दो लोगों के लिए दो छतरियों का इंतजाम नहीं कर सकती होगी। लेकिन शायद स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के कारण श्रीमती गांधी का छतरी के नीचे रहना जरूरी होगा। और अगर मौके पर छतरी एक ही हो, तो महिलाओं को प्राथमिकता देने यानी लेडीज़ फर्स्ट वाले संस्कार के नाते भी सोनिया गांधी के सिर पर छतरी तानना सही था। वैसे यह कोई इतना बड़ा मुद्दा नहीं था, जिस पर देश के प्रधानमंत्री को बात करनी चाहिए थी। फिर भी उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कर्नाटक का अपमान किया।

छत्तीसगढ़ में पार्टी के अधिवेशन के दौरान मल्लिकार्जुन खड़गे धूप में खड़े रहे और उनको छाता तक नसीब नहीं हुआ। याद रहे कि चंद महीनों में कर्नाटक में चुनाव हैं, जहां कांग्रेस इस बार भी मजबूत दिख रही है। श्री खड़गे कर्नाटक से आते हैं, तो प्रधानमंत्री मोदी ने उनके बहाने अपने लिए सहानुभूति वोट बटोरने की कोशिश की। वैसे कर्नाटक की जनता ने भी देखा है कि कैसे श्री खड़गे को बाकायदा कांग्रेस का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया है और अब कांग्रेस में फैसले लेने के लिए वही जिम्मेदार हैं। उन्होंने कभी ऐसी कोई शिकायत नहीं की जिससे लगे कि उनका पार्टी में अपमान हो रहा है। फिर भाजपा के सांसद श्री मोदी को कांग्रेस के सांसद की फिक्र क्यों हो रही है, ये समझना कठिन नहीं है।

भाजपा को इस मुद्दे पर भी मात मिली क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने प्रधानमंत्री मोदी की बात के जवाब में ट्वीट कर कहा कि हम तो तिरंगे की छाँव में खड़े कांग्रेसी हैं जिसने ‘कंपनी राज’ को हराकर देश को स्वतंत्र बनाया और देश को ‘कंपनी राज’ कभी बनने नहीं देंगे। इसके साथ ही उन्होंने फिर श्री मोदी से पूछा कि अडानी मामले पर जेपीसी कब गठित होगी। मल्लिकार्जुन खड़गे के अपमान की बात उठाने वाले श्री मोदी ने सोचा नहीं होगा कि ये बात घूम-फिर कर अडानी मामले तक पहुंच जाएगी। लेकिन अब कांग्रेस ने जिस तरह के तेवर अख्तियार कर लिए हैं, उसमें भाजपा नेताओं को ऐसे करारे जवाबों की आदत शायद डाल लेना चाहिए।

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