बिहार से आकर दिल्ली में मुफ्त इलाज कराने वाले मरीजों पर बयान देकर फंसे केजरीवाल
नई दिल्ली, 30 सितंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उस बयान की कड़ी निंदा की जिसमें उन्होंने कहा था कि बिहार के लोग 500 रुपये का टिकट लेकर दिल्ली आते हैं और पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज कराकर चले जाते हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि केजरीवाल का यह बयान इंसानियत को शर्मसार करने वाला है। यह केजरीवाल की पूर्वांचल और अन्य राज्यों से दिल्ली में आकर बसने वाले लोगों के प्रति नफरत का भी प्रमाण है। उन्होंने कहा कि भाजपा उनके इस बयान से सदमें में है और जनता उन्हें माफ नहीं करेगी।
बिहार में बाढ़ की विभीषिका का जिक्र करते हुए तिवारी ने कहा कि वहां हालात ऐसे हैं कि जहां पिछले 40 साल में कभी पानी नहीं गया वहां भी लोग डूब रहे हैं। ऐसी प्राकृतिक आपदा के समय जहां पूरा देश बिहार के साथ खड़ा है, दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल उनके इलाज के शत्रु हो रहे हैं। वो भी उस इलाज के जो मोदी सरकार की योजना के तहत दी जा रही है। मोदी सरकार आयुष्मान भारत योजना के तहत तमाम देशवासियों को पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मुहैया करा रही है।
मनोज तिवारी ने कहा कि पड़ोसी व अन्य राज्यों से उपचार के लिए दिल्ली आने वालों से यहां के डॉक्टरों और अस्पतालों को कोई समस्या नहीं है लेकिन केजरीवाल को इससे कष्ट हो रहा है। केजरीवाल ने पूर्वांचलियों और अन्य राज्यों के दिल्ली आने वालों के प्रति जो नफरत का भाव दिखाया है, यह दर्शाता है कि केजरीवाल की असल पहचान क्या है।
तिवारी ने राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्ट्रर (एनआरसी) को दिल्ली में लागू करने के मुद्दे पर केजरीवाल के एक बयान का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने इस पर भी मनोज तिवारी को अर्थात् दूसरे राज्यों के लोगों को पहले दिल्ली से बाहर करने की बात कही थी। असल में वह दूसरे राज्यों के लोगों को यहां से निकालने की नीयत रखते हैं।
उल्लेखनीय है कि केजरीवाल ने रविवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि बिहार से एक आदमी 500 रुपये का टिकट लेकर दिल्ली में आता है और पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज कराकर वापस लौट जाता है। उन्होंने कहा कि हालांकि इससे हमें खुशी मिलती है लेकिन दिल्ली की अपनी एक क्षमता है। दिल्ली पूरे देश की जनता का इलाज कैसे कर सकती है, इसलिए व्यवस्था को सुधरना चाहिए।इतना ही नहीं उन्होंने एक सर्वे का हवाला देते हुए कहा दिल्ली के बॉर्डर से सटे अस्पतालों में तो 80 प्रतिशत मरीज बाहर के होते हैं। इससे यहां के मूल निवासियों को समस्या होती है।