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पद्मश्री प्रो. रामयत्न शुक्ल के निधन पर पीएम मोदी-सीएम योगी ने व्यक्त किया शोक

लखनऊ/नई दिल्ली, 21 सितंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। काशी विद्वत परिषद व संस्कृत व्याकरण प्रकांड विद्वान के अध्यक्ष महामहोपाध्याय पद्मश्री प्रो. रामयत्न शुक्ल नहीं रहे। उनका निधन विश्वनाथ नगरी काशी में मंगलवार की शाम छह बजकर दो मिनट पर हुआ। तबीतय खराब होने पर उनको 19 सितंबर को अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। ऑक्सीजन लेवल लगातार गिरने की वजह से डॉक्टर भी उनको नहीं बचा सके। उनके निधन की खबर मिलते ही संस्कृत जगत में शोक की लहर दौड़ गई। इतना ही नहीं उनके निधन से पांडित्य परंपरा के एक युग का अंत हो गया।

संस्कृत भाषा और पारंपरिक शास्त्रों का किया संरक्षण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि काशी विद्वत्परिषद् के अध्यक्ष प्रो. रामयत्न शुक्ल जी का निधन शैक्षणिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने संस्कृत भाषा और पारंपरिक शास्त्रों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शोक की इस घड़ी में उनके परिजनों के प्रति मेरी संवेदनाएं। ओम शांति!

शैक्षणिक तथा सांस्कृतित जगत की अपूरणीय क्षति
वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी पद्मश्री पुरस्कृत प्रोफेसर के निधन में शोक जताते हुए कहा है कि संस्कृत के प्रकांड विद्वान, काशी विद्वत्परिषद् के अध्यक्ष ‘पद्म श्री’ प्रो. रामयत्न शुक्ल जी का निधन शैक्षणिक तथा सांस्कृतिक जगत की अपूरणीय क्षति है। प्रभु श्री राम दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान व शोकाकुल परिजनों को यह दु:ख सहन करने की शक्ति दें। ॐ शांति!

रामयत्न शुक्ल को 2021 में मिला था पद्मश्री सम्मान
आपको बता दें कि साल 2021 में प्रो. रामयत्न शुक्ल को पद्मश्री से तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सम्मानित किया था। इतना ही नहीं साल 1999 में राष्ट्रपति पुरस्कार, साल 2000 में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से केशव पुरस्कार, साल 2005 में महामहोपाध्याय सहित अनेक पुरस्कार व सम्मान मिल चुका है। इन सबके अलावा आपका दर्जनों पुस्तकों व लेख व शोध पत्र विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुका है। वह तीस सालों से लगातार काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष भी रहे हैं।

1976 में प्रोफेसर रामयत्न आए थे बीएचयू
प्रो. रामयत्न शुक्ल का जन्म 15 जनवरी 1932 में काशी में हुआ था। पिता की जिद ने काशी के रत्न प्रो. रामयत्न शुक्ल को प्रकांड विद्वान बनाया और गुरु रामयश त्रिपाठी के सानिध्य में शास्त्र ज्ञान लिया था। प्रो. रामयत्न शुक्ल ऐसे विद्वान हैं कि देश की जानी-मानी विद्वत संस्था काशी विद्वत परिषद के लगातार तीस वर्षों से अध्यक्ष थे। उन्होंने यह पद दर्शन केशरी प्रो. केदारनाथ त्रिपाठी से ग्रहण किया था। साल 1961 में उन्होंने संयासी संस्कृत महाविद्यालय में बतौर प्राचार्य का कार्यभार संभाला। उसके बाद 1974 में आप संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में बतौर प्राध्यापक नियुक्त हुए। इसके पश्चात 1976 में आप संस्कृत विश्वविद्यालय छोड़कर बीएचयू चले गए।

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