इस्लाम के दुश्मन हैं ये हत्यारे
-डॉ. वेदप्रताप वैदिक-
-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-
उदयपुर में कल (28 जून) जिस तरह एक हिंदू दर्जी कन्हैया की दो मुसलमानों ने हत्या की है, उससे अधिक लोमहर्षक घटना क्या हो सकती है? इस घटना की खबर टीवी न्यूज चैनलों पर देखकर सारे देश के रोंगटे खड़े हो गए। इसके पहले भी सांप्रदायिक मूढ़ता के चलते कई इसी तरह की छोटी-मोटी घटनाएं कई मजहबी लोग एक-दूसरे के खिलाफ करते रहे हैं लेकिन यहां असली सवाल यही है कि ऐसा घृणित काम करके ये लोग क्या अपने धर्म या मजहब या संप्रदाय की इज्जत बढ़ाते हैं? बिल्कुल नहीं।
ये लोग अपने कुकृत्य के कारण अपने धर्म और अपने धार्मिक महापुरुषों को कलंकित करते हैं। जिन दो मुसलमान युवकों ने उदयपुर के उस निहत्थे हिंदू दर्जी की हत्या की है, वे इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के भक्त नहीं, पक्के दुश्मन हैं। दर्जी का दोष यही है कि उसने भाजपा प्रवक्ता के पैगंबर संबंधी बयान का समर्थन कर दिया था। अभी तक लोगों को यह पता नहीं है कि प्रवक्ता ने वह बयान क्यों दिया था और उसमें किन शब्दों का प्रयोग किया गया था? सिर्फ कुप्रचार और अफवाहों पर भरोसा करके कोई हत्या-जैसा संगीन अपराध कर दे, इससे क्या संकेत मिलता है? यदि किसी व्यक्ति ने किसी मजहब या उसके महापुरुष पर उंगली उठाई है तो भी क्या उस व्यक्ति की हत्या उसका सही जवाब है? नहीं। इसका उल्टा है। यदि उस व्यक्ति के गलत तथ्यों को मजबूत तर्कों से काटा जाता तो वह सही जवाब होता। उसकी हत्या करके तो आप उसके द्वारा बोली गई अनर्गल बात को करोड़ों लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
यह संतोष का विषय है कि अनेक मुस्लिम संगठनों और मुस्लिम नेताओं ने कन्हैया के हत्यारों की दो-टूक भर्त्सना की है और उन्हें कठोरतम दंड देने की अपील की है। इन हत्यारों को हफ्ते-दो-हफ्ते में ऐसी भयंकर सजा मिलनी चाहिए कि जो सारी दुनिया के लिए सबक बन जाए। यदि कन्हैया को राजस्थान पुलिस की सुरक्षा कुछ दिन और मिली होती तो इस भयानक हादसे से शायद बचा जा सकता था लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हत्यारों को तुरंत पकड़ने और शांति बनाए रखने के लिए काफी मुस्तैदी दिखाई है।
क्या संयोग है कि इधर कन्हैया की हत्या हुई और उधर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा पर पहुंचे। मुझे आश्चर्य है कि जिन अरब देशों ने भाजपा प्रवक्ता के पैगंबर संबंधी बयान को लेकर तूफान खड़ा किया था, अभी तक इस हत्याकांड पर उनकी कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं आई? यह संतोष का विषय है कि इस हत्याकांड को लेकर भारत का हिंदू समुदाय भयंकर दुखी तो है लेकिन उसने अभी तक कोई हिंसक प्रतिक्रिया नहीं की है। देश के लगभग सभी मुसलमान इस क्रूर हत्याकांड को निदंनीय मानते हैं। यह ऐसा नाजुक मौका है, जब भारत के सभी लोगों को सैकड़ों-हजारों वर्ष पहले उनके धर्मग्रंथों में कही गई पोगापंथी बातों की उपेक्षा करनी चाहिए और अपने सार्वजनिक जीवन में भारतीय संविधान को सर्वोपरि मानना चाहिए।