राजनैतिकशिक्षा

दुनिया के देशों के लिए सबक है अमेरिका की मास्क की लापरवाही

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

एक छोटी-सी लापरवाही अमेरिका सहित दुनिया के देशों पर भारी पड़ने लगी है। दरअसल अमेरिका में कोरोना संक्रमण का ग्राफ एकबार फिर बढ़ने लगा है और इसका प्रमुख कारण सरकार द्वारा मास्क हटाने के जल्दबाजी के निर्णय को माना जा रहा है। हालात की गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि अमेरिका में वैक्सीनेशन की दोनों डोज लगा चुके नागरिकों को भी अब बंद स्थानों पर भी मास्क लगाए रहने के निर्देश दिए गए हैं। दरअसल मास्क की लापरवाही के चलते अमेरिका में संक्रमण का ग्राफ 145 फीसदी तक बढ़ गया है। 28 जुलाई को अमेरिका संक्रमण के मामले में एकबार फिर शीर्ष पर आ गया और 61 हजार नए मामले सामने आए हैं। चिंता की बात यह है कि भारत भी संक्रमण के मामले में दूसरे नंबर पर और ब्राजील तीसरे नंबर पर चल रहे हैं। हांलाकि कोरोना के मौत के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है। पर हालात की गंभीरता को इसी से समझा जाना चाहिए कि केरल और महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है।

दरअसल अमेरिका में 14 मई को एक आदेश जारी कर वैक्सीनेशन की दोनों डोज लगा चुके लोगों को सार्वजनिक और इनडोर स्थानों पर भी मास्क न लगाने की छूट दे दी गई। लोगों को मौका मिल गया और फिर कोरोना प्रोटोकाल की पालना नहीं होनी ही थी। इससे कोरोना के नए अवतार डेल्टा का संक्रमण बढ़ने लगा और परिणाम सबके सामने हैं। यह सब तो तब है जब अमेरिका में 49 प्रतिशत आबादी को वैक्सीनेशन की दोनों डोज लग चुकी है। ऐसा नहीं है कि अमेरिका में ही यह हालात हो, इंग्लैण्ड की स्थिति सबके सामने हैं। इसी तरह कमोबेश स्थितियां अन्य देशों में सामने आ रही है। वैज्ञानिकों द्वारा कोरोना की तीसरी लहर की घोषणा पहले ही की जा चुकी है। यहां तक माना जा रहा है कि यूरोपीय देशों में तो तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है। यह तो संपन्न और शिक्षित देशों के हालात है। ऐसे में पिछड़े देशों के हालात की कल्पना आसानी से की जा सकती है।

देश में कोरोना की दूसरी लहर के हालातों ने जितनी जनहानि की है वह त्रासद स्थिति भुलाए नहीं भूली जा सकती। ऑक्सीजन के लिए तड़पते संक्रमितों और उनके परिजनों को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल जाते, बेड नहीं मिलने के कारण अस्पताल की बाहर ही दम तोड़ते लोगों के जो हालात सामने रहे हैं वह इसकी भयावहता को बयां करने को काफी है। वेंटिलेटर बेड, ऑक्सीजन बेड के लिए जो मारामारी रही और जिस तरह से कुछ असामाजिक लोगों ने इन हालातों का बेजा फायदा उठाने का प्रयास किया वह मानवता को शर्मसार करने के लिए काफी है। कोरोना इलाज के लिए आवश्यक दवाओं की जिस तरह से जमाखोरी कालाबाजारी सामने आई और एक-एक लाख तक में इंजेक्शन ब्लैक करने वालों द्वारा उपलब्ध कराए जाना अपने आप में चिंतनीय है। ब्लैक करने वालों द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन नकली होने के समाचार भी आम हैं। ऐसे में तीसरी लहर के लिए गंभीर होना जरूरी हो जाता है। खासतौर से तीसरी लहर में बच्चों के अधिक संक्रमित होने की भविष्यवाणी गंभीर हो जाती है।

दरअसल हमें ही नहीं बल्कि दुनिया के देशों को अमेरिका के ताजा हालातों से सबक लेना होगा। हमारे यहां भी छूट का दायरा तेजी से बढ़ रहा है। बाजारों व सार्वजनिक स्थानों पर आवाजाही आम होती जा रही है। हालांकि अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए देर सबेर हालात सामान्य करना भी आवश्यक है। पर इस सबके साथ कोरोना प्रोटोकाल की पालना भी उतनी ही जरूरी हो जाती है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि कोरोना अभी गया नहीं है। इसका असर बरकरार है। इसलिए लोगों को कोरोना प्रोटोकाल की पालना के प्रति गंभीर रहना ही होगा। दो गज की दूरी, मास्क जरूरी आज भी उतना ही जरूरी है जैसा पहले था। अब स्टे होम-स्टे सेफ की बात करना तो बेमानी होगा। क्योंकि कोरोना के साथ साथ ही हमें जीना है, आगे बढ़ना है, आर्थिक गतिविधियों को संचालित करना है, काम धंधे जारी रखना है। आखिर सरकार की भी एक सीमा है। ऐसे में देश के प्रत्येक नागरिक का दायित्व हो जाता है कि वो आत्म नियंत्रण करना सीखे। यह हमारी सनातन पंरपरा भी कहती आ रही है। इसमें नया कुछ भी नहीं है। निज पर शासन फिर अनुशासन आज की आवश्यकता है। मास्क का उपयोग और दो गज की दूरी उतनी ही जरुरी है जितनी कोरोना के पहले दौर में थी। मास्क लगाना, बार बार हाथ धोना और सेनेटाइजर का उपयोग आने वाले समय में भी जारी रखना होगा। अपनी सुरक्षा अपने हाथ में हैं यह हमें समझना होगा।

हालांकि देश में तेजी से वैक्सीनेशन जारी है। पर हमें अमेरिका से सबक लेना होगा, वैक्सीनेशन का मतलब कोरोना व खासतौर से कोरोना के नए अवतारों से मुक्ति नहीं समझना होगा। देश में एंटीबॉडीज का प्रतिशत बढ़ रहा है। यह भी सही है कि कोरोना की दोनों डोज लेने के बाद भी संक्रमित हुए हैं और ऐसे संक्रमितों को जीवन-मृत्यु से दो चार होते हुए देखा गया है। इसलिए हमें मास्क लगाना, दो गज की दूरी सहित कोरोना प्रोटोकाल की पालना के लिए गंभीर रहना ही होगा। सरकार को भी कोरोना प्रोटोकाल की पालना के प्रति कठोरता बरतनी ही होगी।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *