कोरोना के कारण यूपीएससी परीक्षा देने से चूके छात्रों को दोबारा मौका देने पर विचार करे केंद्र : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली, 01 अप्रैल (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वो कोरोना की वजह से यूपीएससी की मुख्य परीक्षा देने से चूक गए छात्रों को दोबारा परीक्षा में शामिल होने देने की मांगों पर दो हफ्ते के अंदर विचार करे। जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने संसदीय समिति की एक रिपोर्ट पर गौर किया, जिसमें कोरोना से प्रभावित अभ्यर्थियों को छूट देने की अनुशंसा की गई है।
यूपीएससी ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि यूपीएससी की मुख्य परीक्षा देने से चूक गए छात्रों को अगर परीक्षा में शामिल होने का मौका दिया गया तो दूसरी परीक्षाओं के शेड्यूल गड़बड़ा जाएंगे और इससे अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। यूपीएससी ने कहा था कि सिविल सेवा परीक्षा आयोजित करने में केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग की भी भूमिका होती है, इसलिए उसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता है।
यूपीएससी ने कहा था कि सिविल सेवा की परीक्षा में हिस्सा लेने के लिए 21 वर्ष से 32 वर्ष की उम्र के लोग हिस्सा ले सकते हैं। उम्र सीमा में कुछ वर्गों को छूट दी गई है। इसके अलावा अधिकतम छह बार परीक्षा में शामिल होने का भी प्रावधान है। यूपीएससी ने कहा था कि सिविल सेवा की परीक्षा के लिए वह काफी पहले से तैयारी करती है, ताकि समय से नियुक्तियां की जा सकें।
याचिका तीन छात्रों ने दायर की थी। तीनों छात्रों ने यूपीएससी की प्रीलिम्स 2021 की परीक्षा क्लियर कर लिया था। दो छात्रों ने मुख्य परीक्षा बीच में ही छोड़ दी थी, जबकि तीसरा कोरोना से संक्रमित हो गया था। याचिका में मांग की गई थी कि तीनों छात्रों को यूपीएससी की मुख्य परीक्षा में शामिल होने का एक मौका और दिया जाए। याचिका में मांग की गई थी कि जिन दो छात्रों की परीक्षा बीच में छूट गई थी उनकी बची परीक्षा का वैकल्पिक इंतजाम किया जाए।