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सरकार ने एबीजी मामले की जांच में देरी होने के विपक्ष के आरोप को खारिज किया

नई दिल्लीए 15 मार्च ;ऐजेंसी सक्षम भारत । केंद्र सरकार ने एबीजी शिपयार्ड कंपनी से जुड़े बैंकिंग धोखाधड़ी मामले की जांच में देरी किए जाने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए मंगलवार को संसद में कहा कि पड़ताल में विलंब के कारणों में कुछ राज्यों से सहमति मिलने में देरी भी था।

वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों का जवाब देते हुए कहा कि महाराष्ट्र सहित कई राज्यों ने या तो मंजूरी देने में देरी की थी या दी गयी सहमति वापस ले ली थी। उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए दावा किया कि यह घोटाला मुख्य रूप से पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के कार्यकाल में हुआ।

सदन में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह सही उत्तर देने के बदले कांग्रेस पर दोषारोपण कर रही है ताकि मीडिया में सुर्खियां बन सके। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी सदन में इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है और इसके लिए वह नोटिस भी देगी।

कराड ने कहा कि जांच एजेंसी द्वारा मामले को अपने हाथ में लेने के बाद भी कई प्रक्रियाओं का पालन किया गया जिनके चलते मामले की पड़ताल में विलंब हुआ। उन्होंने कहा कि इसके तहत हर संबंधित राज्य से अनुमति लेनी पड़ी। उन्होंने अब तक हुयी कार्रवाई का ब्योरा देते हुए कहा कि आठ लोगों के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया गया है।

उन्होंने कहा कि एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड ;एबीजीएसएलद्ध को आईसीआईसीआई बैंक के नेतृत्व में सहायता संघ व्यवस्था के तहत ऋण सुविधाएं स्वीकृत की गई थीं। ऋणदाता बैंकों द्वारा 2013 में खाते को अनर्जक आस्ति के रूप में घोषित किया गया था।

वर्ष 2014 में कॉर्पोरेट ऋण पुनर्गठन ;सीडीआरद्ध तंत्र के तहत ऋण सुविधाओं के पुनर्गठन का अनुमोदन किया गया था। इसके बाद बैंकों ने फोरेंसिक लेखा परीक्षा करने के लिए अर्न्स्ट एंड यंग लिमिटेड को नियुक्त करने का निर्णय लिया।

उन्होंने कहा कि इस संबंध में भारतीय स्टेट बैंक ने नवंबर 2019 में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ;सीबीआईद्ध में एक शिकायत दर्ज कराई थी।

 

 

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