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फूलों की खेती से मूल्यवर्धित उत्पाद बनाएं: तोमर

नई दिल्ली/पुणे, 04 जनवरी (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने फूलों की खेती से मूल्यवर्धित उत्पाद बनाने पर जोर देते हुए कहा है कि इससे किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है। श्री तोमर ने भारतीय पुष्प अनुसंधान संस्थान में बुनियादी सुविधा के रूप में ‘प्रक्षेत्र कार्यालय-सह-प्रयोगशाला भवन’ का लोकार्पण करने के बाद कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए फूलों की खेती जैसा वैल्यू एडिशन करना होगा, इसे ज्यादा से ज्यादा किसानों को अपनाना चाहिए और प्रोसेसिंग से भी जुड़ना चाहिए।
उन्होंने कहा कि फूलों की आवश्यकता देश की परंपराओं, धार्मिक-सामाजिक-राजनीतिक आदि आयोजनों के अनुसार आज भी है। फूलों के व्यापार में निर्यात की दृष्टि से भी काफी गुंजाइश है, वहीं हमारे देश की विविध जलवायु इतनी समृद्ध है कि फूलों की खेती काफी फूल-फूल सकती है। उन्होंने किसानों को फूलों के मूल्यवर्धित उत्पादों जैसे गुलाब में गुलकंद और अन्य फूलों के उत्पादों को समयानुरूप परिवर्तित करने व मार्केट बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया, जिससे आय बढ़ सकें।
श्री तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र के विकास के लिए अनेक योजनाएं बनाई गई है। इनके साथ-साथ किसानों को तकनीकी रूप से भी सुदृढ़ होना होगा। फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए भी सरकार योजनाबद्ध तरीके से काम कर रही है। उन्होंने ‘वेस्ट टू वैल्थ मिशन’ का जिक्र किया, साथ ही कहा कि कृषि उत्पाद वैश्विक मानकों पर खरे उतरने वाले होना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा अनुसंधान के माद्यम से खेती को इस तरह से विकसित किया जाना चाहिए कि युवा इस ओर आकर्षित हो और नए रोजगार का सृजन हो सकें।
श्री तोमर ने कहा कि नई किस्मों के विकास व अनुसंधान में इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि फूलों की सुगंध कम नहीं हो, खुशबू का अपना ही महत्व है।
राज्य मंत्री कैलाश चैधरी ने प्रयोगशालाओं में विकसित प्रौद्योगिकियों के खेतों में प्रसार का महत्व बताते हुए लैब टू लैंड पहल के माध्यम से किसानों के बीच किस्मों को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बेहतर किस्मों एवं प्रौद्योगिकियां विकसित करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के संस्थानों के वैज्ञानिकों की सराहना की।
आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र, उप महानिदेशक (बागवानी विज्ञान) डॉ. ए.के. सिंह ने भी संबोधित किया। भारतीय पुष्प अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. के. वी. प्रसाद ने आभार माना। कार्यक्रम में बागवानी से जुड़े किसान, नर्सरीमैन, निर्यातक, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि और अन्य हितधारक मौजूद थे।

 

 

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