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सुप्रीम कोर्ट में सिंघवी ने बताया- चिदंबरम के खिलाफ बैकडेट में जाकर लगाया नया कानून

नई दिल्ली, 27 अगस्त (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। सुप्रीम कोर्ट में आईएनएक्स मीडिया मामले में सुनवाई जारी है. मंगलवार को सर्वोच्च अदालत में ईडी मामले में सुनवाई हुई, इस दौरान पी. चिदम्बरम के वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें दीं और ईडी के आरोपों का जवाब दिया. अपनी दलील रखते हुए सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि चिदम्बरम पर जो केस चल रहा है, वह शुरू से ही गलत है. पूर्व वित्त मंत्री के वकील की तरफ से कहा गया कि ईडी ने चिदम्बरम के पुराने मामले में वो कानून लगाया, जो उस वक्त था ही नहीं.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में सिंघवी ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कहा गया है कि एफआईपीबी ने अप्रूवल 2007 में दिया, रेवन्यू डिपार्टमेंट ने 2008 में नोट लिया. एफआईपीबी ने बाद में 2008 में क्लीयेरेंस लिया, लेकिन उससे पहले कुछ नहीं था. ये केस शुरू से ही गलत चल रहा है.

अदालत में सिंघवी ने बताया कि एफआईआर के मुताबिक केस 15 मई 2009 को रजिस्टर हुआ. इसके अलावा पीएमएलए एक्ट भी जुलाई 2009 में शेड्यूल हुआ. जब कानून कथित अपराध होने के बाद में बना है, तो फिर वह पहले से क्यों लागू हो रहा है. दरअसल, अपनी बात रखते हुए कोर्ट में सिंघवी पीएमएलए एक्ट पर बहस करने लगे.

उन्होंने कहा कि पीएमएलए एक्ट तो कम से कम 30 लाख की रिश्वत में रहता है, लेकिन इस मामले में तो 10 लाख की रिश्वत के आरोप लगे हैं. जो कानून इसमें लगाया गया है वो कथित क्राइम होने के बाद बना है, ऐसे में ये गलत नीति है.

संवैधानिक कानून कहता है कि किसी व्यक्ति पर उस अपराध का आरोप नहीं लगाया जा सकता है जो अपराध के घटने के समय अपराध नहीं था. इसके अलावा न ही उसे अपराध के लिए निर्धारित से अधिक सजा दी जा सकती है. सिंघवी ने दलील दी कि जब आपातकाल की घोषणा हो तब भी अनुच्छेद 20, 21 बने रहते हैं.

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