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सशस्त्र बलों के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों की दिशा में बढ़ना होगा निजी उद्योगों को: सीडीएस

नई दिल्ली, 11 अक्टूबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने सोमवार को कहा कि भारतीय निजी उद्योग क्षेत्र को देश के सशस्त्र बलों की अभियान संबंधी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी तथा उत्पाद मुहैया कराने की दिशा में काम करना होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘शांति और संघर्ष, सभी क्षेत्रों में अभियान चलाने की हमारी क्षमता के लिए अंतरिक्ष और साइबर क्षेत्र महत्वपूर्ण बन गये हैं।’’

जनरल रावत ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) नेतृत्व और मार्गदर्शन प्रदान करता रहेगा, वहीं देश तथा सशस्त्र बलों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए निजी उद्योगों को सहभागिता के साथ आगे बढ़ना होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘सशस्त्र बल इस बात को लेकर आशान्वित हैं कि भारतीय उद्योग युद्ध जीतने की क्षमताओं के लिए उत्पाद और नवोन्मेषी तकनीकों के साथ अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां प्रदान करेंगे।’’

वह इंडियन स्पेस एसोसिएशन की शुरुआत के अवसर पर समारोह को संबोधित कर रहे थे। यह अंतरिक्ष क्षेत्र के उद्योग जगत का एक संगठन है जिसमें भारती एयरटेल, लार्सन एंड टूब्रो, अग्निकुल, ध्रुव स्पेस तथा कावा स्पेस जैसी कंपनियां शामिल हैं।

जनरल रावत ने कहा कि भारत में निजी उद्योगों के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र के द्वार खोलना निश्चित रूप से ऐतिहासिक निर्णय है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल जून में लिया था।

सीडीएस ने कहा कि अंतरिक्ष उद्योग का निजीकरण इस क्षेत्र को राष्ट्र निर्माण के अहम केंद्र के रूप में भविष्य की ओर बढ़ाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘अवधारणा है कि उच्च खोजपूर्ण अंतरिक्ष क्षेत्र, अनुसंधान और विकास गतिविधियां, नई प्रौद्योगिकियां, मानव अंतरिक्ष उड़ानें आदि इसरो के कार्यक्षेत्र में हैं, वहीं कई अंतरिक्ष उत्पादों के साथ-साथ तकनीकी नवाचारों को निजी उद्योग द्वारा अपनाया जाना एक ऐसा विचार है जिसका समय अंततः आ गया है।’’

जनरल रावत ने कहा कि इस पहल से भारत को आने वाले वर्षों में नए वैश्विक अंतरिक्ष केंद्र के रूप में स्थापित करने में निश्चित रूप से मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि दुनिया भर के देशों के सशस्त्र बलों की तरह भारतीय सशस्त्र बल संचार, स्थिति नौवहन और समय गणना समेत विविध अंतरिक्ष उत्पादों के अहम उपयोगकर्ता हैं और इसके साथ ही वे खुफिया, निगरानी और टोही तकनीकों का भी उपयोग करते हैं।

सीडीएस के अनुसार, ‘‘और इसके अलावा अंतरिक्ष की स्थितियों को लेकर जागरुकता तथा हमारी अंतरिक्ष की परिसंपत्तियों का संरक्षण महत्वपूर्ण क्षेत्र बन गये हैं।’’

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