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दिल्ली उच्च न्यायालय ने धनशोधन मामले में पत्रकार की जमानत याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय से जवाब मांगा

नई दिल्ली, 26 अगस्त (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने चीनी खुफिया अधिकारियों को संवेदनशील जानकारी कथित रूप से लीक करने से जुड़ी धनशोधन जांच के संबंध में गिरफ्तार दिल्ली के स्वतंत्र पत्रकार राजीव शर्मा की जमानत याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से बृहस्पतिवार को जवाब मांगा। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने एजेंसी को दो सप्ताह में अपनी स्थिति रिपोर्ट दायर करने और कथित अवैध वित्तीय लेन-देन से पत्रकार के संबंध पर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया। न्यायाधीश ने निदेशालय के वकील से कहा, ‘‘कृपया अपने अधिकारियों से कहिए कि वे मामले में याचिकाकर्ता के संबंध का औचित्य साबित करें। यदि उसने मुखौटा कंपनियों से धन प्राप्त किया है, तो यह एक अपराध है, लेकिन इस संबंध को साबित करने के लिए स्वीकार्य सबूत होने चाहिए।’’निदेशालय के वकील जोहेब हुसैन ने कहा कि शर्मा ने चीनी नागरिकों द्वारा संचालित एक मुखौटा कंपनी से नकद राशि ली और इस मामले में जांच जारी है। उन्होंने कहा, ‘‘अपराध के संबंध में जांच जारी है। अभी तक उन्हें 48 लाख रुपए की राशि के लेन-देन के बारे में पता चला है।’’ शर्मा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर ने कहा कि कथित धनशोधन मामला शासकीय गोपनीयता अधिनियम (ओएसए) के तहत एक पुलिस मामले के आधार पर दर्ज किया गया है। पुलिस के मामले में उनके मुवक्किल को पिछले साल जमानत पर रिहा कर दिया गया था। उन्होंने अपने मुवक्किल के हवाले से कहा, ‘‘उच्च न्यायालय ने दिसंबर, 2020 में मेरी जमानत मंजूर कर ली थी। इसके बाद फरवरी, 2021 में ईसीआईआर (प्रवर्तन निदेशालय के मामले में प्राथमिकी) दर्ज की गई। मैं कार्यवाहियों में शामिल होता हूं। मुझे एक जुलाई को बुलाया गया और गिरफ्तार कर लिया गया। कुछ भी सामने नहीं आ रहा है। यह एक चलन बनता जा रहा है कि कोई कुछ भी कह देता है।’’ माथुर ने कहा कि शर्मा ने वित्तीय लेन-देन और बैंक खातों संबंधी सभी जानकारियां पहले की एजेंसी को मुहैया करा दी हैं। उन्होंने शर्मा के हवाले से कहा, ‘‘शासकीय गोपनीयता अधिनियम के तहत अपराध अनुसूचित अपराध नहीं है। वे मुझे धारा 120बी (साजिश) के आधार पर फंसा रहे हैं।’’ मामले में आगे की सुनवाई के लिए नौ सितंबर की तारीख तय की गई है। इससे पहले, यहां एक सत्र अदालत ने शर्मा की जमानत याचिका 17 जुलाई को खारिज कर दी थी। सत्र अदालत ने आरोपी को राहत देने से इनकार करते हुए कहा था कि अगर उसे जमानत पर रिहा किया जाता है, तो वह निश्चित रूप से सबूत मिटाने और छिपाने का प्रयास करेगा। पत्रकार की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए न्यायाधीश ने कहा था, ‘‘शर्मा को कई मौकों पर संदिग्ध स्रोतों से लाखों रुपये नकद में मिले’’ और वह उक्त धन की प्राप्ति के संबंध में कोई उचित स्पष्टीकरण देने में विफल रहा। न्यायाधीश ने कहा था, ष्यह और भी दिलचस्प है कि आरोपी की वार्षिक आय बमुश्किल 8.6 लाख रुपये बताई गई थी और फिर भी वह विदेश में अपने बेटे की शिक्षा पर काफी पैसे खर्च कर रहा है, कई विदेश यात्राओं का आनंद ले रहा है और यहां तक कि निवेश के लिए अपने दोस्तों और परिचितों को लाखों रुपये उधार दे रहा है।’’ एजेंसी ने सत्र अदालत को बताया कि उसकी जांच में पाया गया कि शर्मा ने ‘‘पैसों के लिए चीनी खुफिया अधिकारियों को गोपनीय और संवेदनशील जानकारी दी थी और इस तरह उसने देश की सुरक्षा और राष्ट्रीय हित को खतरे में डाला’’। ईडी ने शर्मा के खिलाफ शासकीय गोपनीयता अधिनियम (ओएसए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत दिल्ली पुलिस की दर्ज प्राथमिकी के आधार पर मामला दर्ज किया है। दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने पत्रकार को पिछले साल 14 सितंबर को गिरफ्तार किया था और भारतीय सेना की तैनाती एवं देश की सीमा रणनीति के बारे में संवेदनशील जानकारी चीनी खुफिया अधिकारियों को देने का आरोप लगाया था। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उसे पिछले साल दिसंबर में इस मामले में जमानत दे दी थी।

 

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