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डीसीबी को जमा करने ही होंगे 20 करोड़ रूपये: एनजीटी ने अपना निर्देश बदलने से किया मना

नई दिल्ली, 19 अगस्त (सक्षम भारत)। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली छावनी बोर्ड (डीसीबी) को गाजीपुर, भलस्वा और ओखला ठोस अपशिष्ट भराव स्थल (लैंडफिल साइट) से कूड़े के ढेर की सफाई के लिए 20 करोड़ रूपये का योगदान देने के अपने पूर्व के निर्देश में कोई बदलाव करने से इनकार कर दिया है। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि 17 जुलाई के आदेश को बदलने का कोई आधार नहीं है। हालांकि उसने यह भी कहा कि छावनी बोर्ड किसी अन्य उपयुक्त प्रबंध के लिए मुख्य सचिव से बातचीत करने के लिए स्वतंत्र है।अधिकरण ने कहा कि डीसीबी से मांगी गयी राशि उससे निकलने वाले कूडे के समानुपात नहीं हो सकती है लेकिन ऐसा निर्देश मुख्य सचिव के सुझाव पर व्यावहारिक ढंग से सोच विचार के बाद जारी किया जा रहा है। पीठ ने हाल ही में अपने आदेश में कहा, यद्यपि डीसीबी का दायित्व मात्र ओखला डंप साइट को लेकर है जहां छावनी का कूड़ा डाला जाता है किंतु उपयुक्त होगा कि डीसीबी दिल्ली की बेहतर हवा गुणवत्ता के लिए कूड़ा हटाने पर आने वाली विशाल लागत के मकसद से इतनी राशि का योगदान करें क्योंकि दिल्ली की आबोहवा अन्य डंप स्थलों से भी प्रभावित होती है। उसने कहा कि दिल्ली की हवा गुणवत्ता में सुधार दिल्ली छावनी के लोगों समेत समूचे दिल्लीवासियों के लिए लाभप्रद होगा। पीठ ने कहा, हमें उक्त आदेश में बदलाव करने का कोई आधार नजर नहीं आता, किंतु डीसीबी कोई अन्य उपयुक्त प्रबंध के लिए मुख्य सचिव से बातचीत के लिए स्वतंत्र है। अधिकरण डीसीबी की उस अर्जी पर सुनवाई कर रहा है जिसमें प्रदूषण नियंत्रण के लिए बोर्ड ने गाजीपुर, भलस्वा और ओखला के लिए क्रमशः 10 करोड़, पांच करोड़ और पांच करोड़ रूपये देने के एनजीटी के आदेश में संशोधन की मांग की है। एनजीटी ने पहले कहा था कि इन लैंडफिल साइटों से कूड़े हटाने का काम मानसून के समापन के बाद एक अक्टूबर से शुरू होना चाहिए।

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