राजनैतिकशिक्षा

हम किसी से कम नहीं!

डॉ.भरत मिश्र प्राची-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

देश में फिलहाल दो राज्य गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव एवं देश के अन्य भागों में खाली पड़ें विधान सभा एवं लोकसभा के उपचुनाव सम्पन्न हो गये जहां कि वस्तुस्थिति सभी के सामने है। इन चुनावों में कहीं लगााव-प्रभाव तो कहीं सहानुभूति मत तो कहीं सत्ता परिवर्तन दिखाई दिया। इन चुनावों में हम किसी से कम नहीं के चलते विपक्ष के आपसी मतभेद भी उभर कर सामने आये जिसका प्रतिकूल प्रभाव भी देखने को मिला। विधानसभा के हुये मुख्य चुनाव में हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने सत्ता पर अपना जीत का डंका तो बजा दिया पर गुजरात में उसे करारी हार मिली जहां पूर्व चुनाव से उसे 61 सीट कम मिली। यह आकड़ा गुजरात में आप के जोरदार धमाके से हुआ उसे पंजाब की तरह सफलता तो नहीं मिली कांग्रेस को कमजोर कर गई। बची खुची कमी उवैसी की पार्टी कर गई।

आप ओवैसी की पार्टी एवं कांग्रेस फिलहाल तीनों विपक्षी राजनीतिक दल की भूमिका निभा रहे है। इनमें आपसी सामंजस्य होता तो चुनाव में मत का बिखराव नहीं होने का लाभ मिलता तब शायद गुजरात में सत्ता पक्ष की वर्तमान स्थिति नहीं उभर पाती। गुजरात राज्य देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह का गृह प्रदेश तो है हीं जिसका लगााव प्रभाव का लाभ सत्ता पक्ष को मिलना स्वाभाविक था मिला भी पर उसे तीनों विपक्ष के अलग अलग लड़ने से वोटों के बिखराव का लाभ भी मिला। जिससे उसे पूर्व चुनाव से 57 सीट ज्यादा हाथ लगी।

पूर्व विधानसभा चुनाव में पंजाब में कांग्रेस के तत्तकालीन मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह को हटाकर नये मुख्यमंत्री बनाये जाने से कांग्रेस में उभरी प्रतिकूल परिस्थिति का पूरा लाभ आप को मिला जो पंजाब में कांग्रेस का विकल्प बन सत्ता तक पहुंच गई। पंजाब में भाजपा की स्थिति पहले से ही कमजोर रही। पंजाब में मिली सफलता से आप को गुजरात में सत्ता पाने के सपने आने लगे वह भूल बैठी कि गुजराज पंजाब नहीं है जहां कांग्रेस मुख्य विपक्षी की भूमिका निभा रही है जहां कांग्रेस में पंजाब की तरह असंतोष नहीं उभरा है। दिल्ली एवं पंजाब की तरह गुजरात राज्य के निवासियों को मुफ्त बिजली का चकमा देकर सत्ता तक पहुंचने का प्रयास तो उसने किया पर उसका यह प्रयास लगाव- प्रभाव के आगे अधूरा रह गया। सत्ता तो दूर मात्र 5 सीट ही हाथ लगी और कांग्रेस को किनारे कर गई। कांग्रेस की ओर से चुनाव में प्रचार-प्रसार जोर शोर से नहीं देखा गया। ओवैसी ने भी कांग्रेस के मतों को प्रभावित किया। जिसके चलते गुजरात में सत्ता पक्ष को भारी भरकम जीत हासिल हुई।

आगामी दौर में लोकसभा चुनाव से पूर्व देश में प्रमुख राज्यों के विधानसभा चुनाव होने वाले है जहां कुछ राज्यों में कांग्रेस की फिलहाल सरकार है जिसको डवाडोल करने की भूमिका में विपक्ष भाजपा की ओर से लगातार प्रयास होते रहे है। इन राज्यों में भी आप जोर शोर से चुनाव मैदान में उतर सकती है जब कि इन हिन्दी राज्यों में मुख्य रूप से कांग्रेस एवं भाजपा के बीच ही टक्कर है पर अन्य दल स्थिति को बदल सकते है। कांग्रेस की स्थिति अब पूर्व जैसी नहीं रही विपक्ष में अन्य राजनीतिक दलों से कांग्रेस के ही मत में विभाजन होना है इस तथ्य को आज के समय में कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों को समझना जरूरी है। हम किसी से कम नहीं की मानसिकता विपक्षी एकता को कमजोर ही करेगी जिसका पूर्णरूप से लाभ सत्ता पक्ष को मिलता रहेगा। लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव विपक्ष के बिखराव से सत्ता पक्ष की सत्ता सदैव सत्ता पक्ष के पास ही रहेगी।

 

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