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सॉवरिन ग्रीन बॉन्डों में संभावना तलाशेंगी एनबीएफसी

नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। प्रमुख गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) देश के पहले सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड इश्युएंस पर दांव लगाने को तैयार हैं। इसकी घोषणा केंद्र सरकार के 2022 के बजट में की गई थी। बिजली क्षेत्र की सरकारी एनबीएफसी बिजली वित्त निगम (पीएफसी) और ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय से इस सिलसिले में संपर्क साधा है।

उन्होंने भारत सकार से बड़े ग्रीन बॉन्ड इश्युएंस का अनुरोध किया है। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि दो एनबीएफसी घरेलू व अंतरराष्ट्रीय दोनों बॉन्ड इश्युएंस को लेकर सहज हैं क्योंकि इसमें उन्हें पहले से अनुभव है।

इस मसले पर हो रही चर्चा में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘पीएफसी और आरईसी ने सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड इश्युएंस में भूमिका निभाने की इच्छा जताई है। दो एनबीएफसी अंतरराष्ट्रीय बॉन्ड बाजार के साथ घरेलू बाजार से फंड के एक माध्यम का काम कर सकते हैं। वहीं ये दोनों फंड के उपयोग में मदद कर सकते हैं क्योंकि उम्मीद की जा रही है कि इसका इस्तेमाल डिकार्बनाइजेशन परियोजनाओं में किए जाने की उम्मीद की जा रही है, जो मुख्य रूप से ऊर्जा और संबंधित क्षेत्रों में होता है, जहां पीएफसी और आरईसी काम करते हैं।’

इसमें हिस्सेदारी को लेकर वित्त मंत्रालय को अभी वित्त मंत्रालय को अपनी तरफ से पुष्टि करना और बॉन्ड इश्युएंस का व्यापक खाका देना बाकी है। हाल में बिजनेस स्टैंडर्ड ने खबर दी थी कि बिजली मंत्रालय ने वैश्विक जलवायु वित्तपोषण और देश में शुद्ध शून्य निवेश संचालित करने के लिए पीएफसी को विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) का दर्जा देने की वकालत की थी। आरईसी ने एक सार्वजनिक बयान में कहा था कि वह भी डीएफआई दर्जे के लिए विचार कर रहा है।

ग्रीन बॉन्ड पर भारतीय रेल वित्त निगम (आईआरएफसी) की भी नजर है। यह रेलवे की वित्तपोषण इकाई है। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि आईआरएफसी इस वित्त वर्ष में ग्रीन बॉन्ड पर दांव लगाने पर विचार कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय ग्रीन बॉन्ड जारी करने के लिए पहले से प्रमाणित वित्तीय संस्थान केंद्र द्वारा पहले ग्रीन बॉन्ड पेश किए जाने का इंतजार कर रही हैं, जिससे घरेलू बाजारों का रुख पता चल सके।

अधिकारी ने कहा, ‘इस ढांचे की रूपरेखा तैयार होने के बाद आईआरएफसी भी इस सेग्मेंट में आ सकता है।’ आईआरएफसी सस्ते लागत पर धन जुटाने के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार पर दांव लगा रहा है, जिससे ट्रैक के विद्युतीकरण, इलेक्ट्रिक इंजनों की खरीद, माल ढुलाई के सामान का विविधीककरण आदि जैसी टिकाऊ रेल परियोजनाओं का दीर्घावधि वित्तपोषण हो सके। यूएनएफसीसी के जलवायु लक्ष्यों को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता के मुताबिक रेलवे अपनी इकाई को 2030 तक शून्य कार्बन वाला करेगा।

 

 

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