राहुल गांधी की टेंशन
-सिद्वार्थ शंकर-
-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस हैट्रिक लगा चुकी है। बंगाल विधानसभा चुनाव के मायने राष्ट्रीय स्तर पर भी देखने को मिल सकते हैं। राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में देखें तो पहली नजर में दिखता है कि ममता बनर्जी की हैट्रिक सीधे-सीधे राहुल गांधी को टेंशन दे सकती है। यह पहले से तय था कि अगर ममता बंगाल में चुनाव जीतती हैं तो मोदी विरोध का बड़ा चेहरा बन सकती हैं। कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर जब सरकार बनाई थी उस वक्त विपक्ष के सारे प्रमुख नेता एक मंच पर जुटकर भाजपा के सामने चुनौती पेश करने की कोशिश की थी। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान सारे विपक्षी नेता बिखर गए थे। इसके बाद से लगातार विपक्ष में नेतृत्व और सर्वमान्य चेहरे की कमी खलती रही है। बंगाल में ममता बनर्जी की हैट्रिक के बाद इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि वह विपक्ष का सबसे बड़ा चेहरा बन जाएंगी। विपक्ष के नेतृत्व में चेहरे की तलाश करें तो पहला नाम राहुल गांधी का आता है। राहुल गांधी के नाम कोई ऐसी उपलब्धि नहीं है। लगातार दो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी हार हुई है। इसके अलावा राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने किसी विधानसभा चुनाव में भी प्रचंड जीत नहीं दर्ज की है। राहुल गांधी की उपलब्धि के नाम पर केवल छत्तीसगढ़ चुनाव में अच्छी जीत दर्ज है। इसके अलावा राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने राजस्थान, मध्यप्रदेश और कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भी जैसे तैसे सरकार बनाने में सफल रही थी। इसमें से मध्य प्रदेश और कर्नाटक में कुछ ही महीने बाद भाजपा सत्ता में आ गई। इसके अलावा राजस्थान में भी अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच खींचतान के हालात बने हुए हैं। इससे जनता में साफ संकेत गया है कि राहुल गांधी सत्ता में रहने के बावजूद अपने विधायकों को एकजुट रख पाने में सक्षम नहीं हैं। राहुल के अलावा अगर बाकी चेहरों पर गौर करें तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव, बीएसपी प्रमुख मायावती, जेडीएस के अगुवा एचडी कुमारस्वामी, वामदल के सीताराम येचुरी समेत तमाम नेताओं में से कोई भी क्षत्रप नहीं है जो भाजपा के सामने अपनी ताकत दिखा पाया हो। केवल ममता बनर्जी ही हैं जो सीधे मुकाबले में भाजपा को परास्त करती दिख रही हैं। बंगाल का विधानसभा चुनाव प्रचार हो या फिर कोई राष्ट्रीय मुद्दे, तमाम मसलों पर ममता बनर्जी विपक्ष की एक मात्र नेता हैं जो सीधे-सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देती रही हैं। पीएम मोदी जिस तरह से भाषण के जरिए विरोधियों पर तीखे वार करते हैं, ठीक उसी अंदाज में ममता बनर्जी भी बीजेपी नेताओं पर प्रहार करती देखी जाती हैं। धारा 370 से लेकर एनआरसी, सीबीआई की राज्यों में कार्रवाई, मां दुर्गा मूर्ति विसर्जन, जय श्री राम का नारा आदि तमाम मसलों पर ममता मजबूती के साथ भाजपा को निशाने पर लेती रही हैं। साल 2015 के विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार ने हाथ मिलाकर जबरदस्त जीत दर्ज की थी। उस दौरान चर्चा थी कि नीतीश कुमार केंद्र में विपक्ष का बन सकते हैं। लेकिन करीब एक साल बाद ही वह दोबारा से एनडीए में चले गए, जिसके चलते विपक्ष लगातार सर्वमान्य चेहरे की तलाश में जुटा हुआ है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी लगातार कोशिश में हैं कि वह किसी भी तरह राहुल गांधी को विपक्ष का चेहरा बना लें, लेकिन ममता की हैट्रिक के बाद ऐसा होने की कम ही संभावना है। क्योंकि बंगाल के साथ असम, केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु में भी विधानसभा चुनाव हुए हैं। इन राज्यों में भी कांग्रेस हारी है। वहीं तमिलनाडु में डीएमके की ताकत से जीत मिली है, ना कि कांग्रेस की ताकत से। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि 2014 से लगभग हर चुनाव में लगातार हार झेल रही कांग्रेस और सोनिया गांधी अपने बेटे राहुल गांधी को कैसे विपक्ष का सर्वमान्य चेहरा स्थापित करते हैं। यह भी देखना होगा कि सोनिया गांधी आगे कौन सी रणनीति अपनाती हैं।