राजनैतिकशिक्षा

कोरोना और कुंभ-स्नान

-डॉ. वेदप्रताप वैदिक-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

यह प्रसन्नता की बात है कि हरिद्वार में चल रहे कुंभ-मेले को स्थगित किया जा रहा है। यहाँ पहले शाही स्नान पर 35 लाख लोग जुटे थे। 27 अप्रैल तक चलनेवाले इस कुंभ में अभी लाखों लोग और भी जुटते याने हजारों-लाखों लोग कोरोना के नए मरीज बनते। यदि यह कुंभ चलता रहता तो कोरोना भारत के गांव-गांव में फैल जाता। गरीब लोगों का मरण हो जाता। दिल्ली, मुंबई, इंदौर और पुणें जैसे शहरों में रोगियों को पलंग, दवाइयाँ और ऑक्सीजन के बंबे नहीं मिल पा रहे हैं तो इन करोड़ों गंगाप्रेमी ग्रामीणों का हाल क्या होता ? भारत भयंकर संकट में फंस जाता।

इस नाजुक मौके पर इन अखाड़ों के मुखियाओं ने बहुत साहस दिखाया है। वे पाखंड में नहीं फंसे। इसका अर्थ यह नहीं कि कुंभ-जैसे मेले निरर्थक हैं। उनका होना काफी अच्छा और लाभदायक है। वे मानव की पर्यटनवृति, वन-विहार और राष्ट्रीय एकात्म को सबल बनाते हैं। हमारे साधु-संतों ने इस मेले के शेष स्नानों को मोटे तौर पर स्थगित करके सभी धर्मावलंबियों को यह संदेश दे दिया है कि हर धर्म, हर अनुष्ठान और हर कर्मकांड देश और काल की उपेक्षा नहीं कर सकता। यदि गंगा-स्नान स्थगित हो सकता है तो मस्जिदों में नमाज के लिए और गिरजाघरों में प्रार्थना के लिए भीड़ लगाने की भी कोई जरुरत नहीं है। रमजान के इन दिनों में इफ्तार की पार्टियां बिल्कुल भी जरूरी नहीं हैं। मुसलमान अपना ईद का त्यौहार भी घरों में ही मनाएं तो बेहतर होगा। खुदा को आप यदि सर्वव्यापक मानते हैं तो वह आपके घर में भी उतना ही होगा, जितना मस्जिद में होगा।

संकट की इस घड़ी में जनता को सरकार से आगे निकलकर दिखाना चाहिए। सरकार तो कोरोना की लड़ाई में जो कुछ कर सकती है, कर ही रही है लेकिन जब तक जनता सरकार से भी ज्यादा जागरुकता नहीं दिखाएगी, इस पर विजय पाना मुश्किल है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *