राजनैतिकशिक्षा

इस बार हालात ज्यादा खराब हैं..

-कौशल-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

कोरोना की इस दूसरी लहर में कुछ राज्यों ने अपने यहां 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षाएं स्थगित कर दीं। अब केन्द्र सरकार ने भी सीबीएसई बोर्ड की एक परीक्षा के निरस्तीकरण व दूसरे के स्थगन की सूचना दी है। दसवीं बोर्ड के लिए आंतरिक मूल्यांकन का प्रावधान तय किया जाएगा, जबकि 12वीं की परीक्षा के लिए हालात के मद्देनजर नई तारीख घोषित की जाएगी।

आपको याद होगा कि पिछले साल कोरोना महामारी का कहर शुरू हुआ तो वैक्सीन नहीं थी, लेकिन तब भी बोर्ड की परीक्षाएं हुई थीं। भले ही व्यवस्थाओं में समय लगा, काफी परेशानी हुई, मशक्कत हुई, लेकिन देश ने हिम्मत के साथ बोर्ड की परीक्षाओं का आयोजन किया। बच्चों ने भी उतने ही हौसले से मास्क पहने -फासला बनाए रखते हुए परीक्षा दी। यहां तक कि दोस्तों से भी दूर से ही बतियाने का अनुभव उन्होंने लिया। ऐसे में इस बार परीक्षाओं को स्थगित और निरस्त करने के ऐलान ने सीधे-सीधे संकेत दे दिए हैं कि हालात पिछले साल से ज्यादा भयावह हैं। यह तब है, जबकि वैक्सीनेशन भी आशानुरूप गति से हो रहा है।

हम उदयपुर की बात करें, तो यहां दूसरी लहर में कोरोना ने सबसे पहले छात्र-छात्राओं को ही चपेट में लिया। अंध विद्यालय के बच्चे चपेट में आए, जनजातीय छात्राओं का छात्रावास चपेट में आया, फिर गांवों से भी खबरें आने लगीं। ध्यान रहे कि पिछले साल गांवों से कोरोना विस्फोट जैसी खबरें ज्यादा नहीं थी, लेकिन इस नई लहर ने गांवों को भी चपेट में ले लिया है।

लगातार सावधानी बरतने की सरकार और प्रशासन की अपील ने भी असर नहीं किया और आखिरकार देश में हालात बिगड़ते गए। महाराष्ट्र में नहीं – नहीं करते भी लाॅकडाउन जैसी पाबंदियों वाला कोरोना कर्फ्यू लागू करना पड़ गया है। मध्य प्रदेश के कई शहरों में तो मार्च से ही शनि-रवि को कोरोना कर्फ्यू कर दिया गया था। रात का कर्फ्यू तो अमूमन आधे देश में चल रहा है। इसके बावजूद कोरोना का आंकड़ा सुरसा के मुंह की तरह बड़ा होता जा रहा है। ऊपर से चिंता इस बात की है कि लक्षण दिखाई ही नहीं दे रहे हैं। आपके पास मौजू व्यक्ति कोरोना लेकर खड़ा है, इसका अंदाज आपके साथ उसे भी नहीं है। ऐसे में उपाय एक ही है कि हम जरूरत के मुताबिक ही घर से निकलें, यूं ही ‘रबड़ें’ नहीं। मेवाड़ी का शब्द है, ‘रबड़ना’ यानी फालतू घूमना। इससे बचने के साथ ही मास्क और 2 गज फासले को अनिवार्य नियम बनाना जरूरी हो गया है।

सरकार ने नई पीढ़ी को कोरोना के खतरे से बचाने के लिए सोच-समझ कर निर्णय किया है, लेकिन अब जिम्मेदारी अभिभावकों की भी है। अभिभावक बच्चों को पूरी दुनिया में पैदा हुए नए हालात के मुताबिक लाइफस्टाइल बदलने को कहें। महामारी के प्रति गंभीरता, मास्क पहनने और सुरक्षित फासले की सीख दें। ऐसा नहीं हो जाए कि एक्जाम नहीं हैं तो सैर का लुत्फ उठाने की छूट मिल जाए। जिन बच्चों ने परीक्षा के चलते चाट-पकौड़ी का कुछ दिन त्याग रखा है, वे इस त्याग को जारी रखें।
स्वस्थ रहें – सुरक्षित रहें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *