राजनैतिकशिक्षा

मजदूरों का पलायन

-सिद्वार्थ शंकर-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

लॉकडाउन के डर के चलते एक बार फिर प्रवासी मजदूरों का पलायन शुरू हो गया है। ये लोग अपने घर लौटने लगे हैं। मुंबई में लोकमान्य तिलक टर्मिनस स्टेशन से यूपी जाने वाली ट्रेनों में पैर रखने की जगह नहीं है। जनरल डिब्बों में तो लोग एक-दूसरे के ऊपर सवार होकर यात्रा कर रहे हैं। पुणे और नागपुर में भी यही हालात हैं। ये ट्रेनें सुपर स्प्रेडर बन सकती हैं और संक्रमण का खतरा और बढ़ सकता है। घर लौट रहे यात्रियों का कहना है कि लॉकडाउन की आशंका के चलते काम नहीं मिल रहा है। यहां क्या करेंगे इसलिए वापस जा रहे हैं। पिछली बार की तरह पैदल घर जाने से बेहतर है कि इस तरह ट्रेन में खड़े-खड़े 30-35 घंटे का सफर कर लें। वहीं रेलवे का कहना है कि ट्रेनों में टिकट की बुकिंग को लेकर फैल रही अफवाहों से घबराएं नहीं। रेलवे गर्मियों की छुट्टियों में अधिक विशेष ट्रेनें चलाती है। लोगों से अपील है कि वे महामारी की चुनौती को ध्यान में रखते हुए स्टेशनों पर भीड़-भाड़ न करें। ट्रेन छूटने से 90 मिनट पहले ही स्टेशन पर पहुंचें। टिकट वालों को ही यात्रा की इजाजत है। कोविड प्रोटोकॉल का ध्यान रखें। लॉकडाउन के बाद ट्रेनों को कोविड गाइडलाइंस के अनुसार चलाया जा रहा है। नए नियम के मुताबिक, जनरल कम्पार्टमेंट में भी बिना रिजर्वेशन के कोई यात्रा नहीं कर सकता।

यात्रियों की घर लौटने की बेबसी अनायास नहीं है। याद कीजिए…एक साल पहले आज का ही समय था। तपती धूप में लोगों का रेला सड़कों पर था। काम छूट जाने और भूख से बचने लोग पैदल ही घरों को निकल लिए थे। इस बार वैसी स्थिति से बचने वे टे्रनों में ठुंसकर जा रहे हैं। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में कह चुके हैं कि देशव्यापी लॉकडाउन की जरूरत नहीं है। राज्य अपने हिसाब से पाबंदी लगाएं। मतलब साफ है पिछली बार जैसा सन्नाटा नहीं दिखने वाला। तो लोगों को भी धैर्य रखना चाहिए। प्रवासी मजदूरों, पटरी पर कारोबार करने वालों, रिक्शा चलाने वालों आदि की समस्याओं से सरकारें भी वाकिफ हैं, उनके भोजन वगैरह की व्यवस्था अभी से की जा रही है। माना कि कई राज्यों में काम-धंधा बंद हो गया है और फिर आगे कब शुरू हो पाएगा, निश्चित नहीं है, लेकिन आपाधापी में इस तरह घर लौटना क्या सुरक्षित है। संक्रमण इस समय पूरे जोर पर है। भीड़ जुटने से संक्रमण विस्फोटक हो सकता है। यह संकट का समय है और जिस तरह रोज कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, उसमें भीड़भाड़ से इसके फैलने का खतरा अधिक है। इसलिए लोगों से धैर्य पूर्वक सुरक्षित दूरी बनाए रख कर इस संक्रमण के चक्र को तोडने में सहयोग अपेक्षित है। पर ऐसा क्यों हो रहा है कि लोगों का धैर्य जवाब दे रहा है और उन्हें भूख से पार पाने में मदद नहीं मिल पा रही है, यह सरकारों को सोचने की जरूरत है।

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