राजनैतिकशिक्षा

भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए सांसद राहुल कस्वां

-रमेश सर्राफ धमोरा-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

राजस्थान में चूरू से भाजपा सांसद राहुल कस्वां सोमवार को नई दिल्ली में कांग्रेस में शामिल हो गए। सोमवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने निवास पर कांग्रेस का तिरंगा दुपट्टा पहनाकर राहुल कस्वां को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई। इस मौके पर राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा तथा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा भी मौजूद थे।
इस अवसर पर सांसद राहुल कस्वां ने कहा कि भाजपा में रहते हुए उन्होने यह महसूस किया कि सामंतवादी सोच आगे बढती जा रही थी। किसान की आवाज को अनसुना किया जा रहा था। इसलिए मैंने फैसला किया और कांग्रेस जॉइन की है। कांग्रेस में रहकर अपने क्षेत्र के लोगों की मजबूती के लिए काम करता रहूंगा। कांग्रेस चूरू से राहुल कस्वां को लोकसभा का टिकट देने की तैयारी में है। कांग्रेस हाईकमान के स्तर पर इसे लेकर चर्चा हो चुकी है। राहुल कस्वां ने भाजपा से व सांसद पद से इस्तीफा दे दिया है।
राहुल कस्वां ने अपना भाजपा टिकट कटने के बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट करके सवाल उठाते हुए पूछा था कि उनका दोष क्या है? इसके बाद शुक्रवार को सादुलपुर में समर्थकों को जुटाकर टिकट कटने पर सवाल उठाते हुए इशारों में पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ पर जमकर निशाना साधा था। कस्वां ने अपने समर्थकों के सामने टिकट कटने पर सवाल उठाते हुए कहा था कि पहले लगता था कि पार्टी लोगों का समूह होती है। कोई बात होगी तो सुनी जाएगी। पहले पिता की टिकट कटवाई इसके बाद एक व्यक्ति के कहने पर मेरी टिकट काटी गई। वो व्यक्ति नहीं चूरू की जनता फैसला करेगी। शुक्रवार को राहुल कस्वां ने अपने समर्थकों को जुटाकर पार्टी छोड़ने के संकेत दे दिए थे।
विधानसभा चुनावों में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ तारानगर से चुनाव हार गए थे। राठौड़ ने राहुल कस्वां और उनके पिता रामसिंह कस्वां पर भीतरघात करके चुनाव हरवाने के आरोप लगाए थे। राठौड़ ने इसे लेकर खुलकर कहा था कि जयचंदों ने हरवाने में भूमिका निभाई है। राठौड़ ने बीजेपी हाईकमान से इसकी शिकायत की थी। राहुल कस्वां का चूरू से लोकसभा टिकट कटने के पीछे यही बड़ा कारण रहा। राहुल कस्वां के पिता पूर्व सांसद रामसिंह कस्वां और राजेंद्र राठौड़ के बीच भी सियासी मतभेद रहे हैं। कुछ समय दोनों के बीच सुलह हो गई थी, लेकिन बाद में फिर तल्खी बढ़ गई।
रविवार को ही पूर्व मंत्री लालचंद कटारिया, राजेंद्र यादव, पूर्व विधायक रिछपाल मिर्धा, विजयपाल मिर्धा सहित कांग्रेस के दर्जन भर से ज्यादा नेता कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। कांग्रेस अब लोकसभा चुनाव से पहले राहुल कस्वां को पार्टी में शामिल करके भाजपा को सियासी जवाब देने की तैयारी में है। राहुल कस्वां को भाजपा से टिकट कटने के बाद अपनी सियासी जमीन बचाए रखने के लिए चुनाव लड़ना जरूरी है। उधर कांग्रेस को भी बीजेपी से एक बड़े चेहरे को तोड़कर सियासी मैसेज देने का मौका मिलेगा। चूरू से कांग्रेस पिछले पांच चुनावों से लगातार हार रही है। राहुल कस्वां को टिकट देकर कांग्रेस बीजेपी के सामने कड़ी चुनौती देने की रणनीति बना रही है।
राहुल कस्वां उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के छोटे भाई कुलदीप धनकड़ के दामाद है। उनके परिवार का चूरू जिले जिले की राजनीति में गहरा प्रभाव है। लगातार दो बार सांसद का चुनाव जीत चुके राहुल कस्वां के पिता रामसिंह कस्वां 1998 में चूरू जिले की सादुलपुर विधानसभा सीट से विधायक तथा 1991, 1999, 2004 व 2009 में चूरू से सांसद रह चुके हैं। राहुल कस्वा के दादा दीपचंद कस्वां 1980 में सादुलपुर से निर्दलीय विधायक रह चुके हैं। राहुल कस्बा की माता कमला कस्वां 2008 में सादुलपुर से विधायक, पंचायत समिति प्रधान व राजस्थान समाज कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष रह चुकी है।
चूरू जिले में राहुल कस्वां के पिता रामसिंह कस्वां ने ही पहली बार भाजपा का लोकसभा चुनाव में खाता खोला था। इस तरह देखे तो राहुल कस्बा के परिवार की तीन पीढ़िया चूरू जिले की राजनीति में सक्रिय है। राहुल कस्वां के कांग्रेस में जाने से कांग्रेस के लिए अभेदय दुर्ग बनी चूरू लोकसभा सीट को इस बार जीतने की संभावना नजर आने लगी है। वैसे भी पिछले विधानसभा चुनाव में चूरू लोकसभा क्षेत्र की आठ में से 6 सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी चुनाव हार गए थे। भाजपा को महज दो सीटों पर ही जीत मिली थी। जबकि 5 सीटों पर कांग्रेस, एक पर बसपा प्रत्याशी जीता था।
इस अवसर पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्ल्किार्जुन खरगे ने कहा कि सामंतवादी लोगों से लड़ने के लिए राहुल कस्वां ने कांग्रेस जॉइन की है। ऐसी विचारधारा के लोग ज्यादा से ज्यादा कांग्रेस से जुड़ेंगे तो बीजेपी कहीं की नहीं रहेगी। ऐसी सोच रखने वाले राहुल कस्वां जैसे नेताओं की कांग्रेस को जरूरत है। मोदी और शाह तो पहले भी डराते धमकाते रहे हैं। अब भी नेताओं को डराने धमकाने का काम कर रहे हैं। राहुल कस्वां जिन उसूलों को लेकर कांग्रेस में आए हैं उन पर काम करेंगे। राहुल कस्वां को कांग्रेस में शामिल करने से पहले सभी नेताओं की राय लेकर सर्वसम्मति बनाई गई। मैंने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सचिन पायलट, सुखजिंदर रंधावा, अशोक गहलोत, गोविंद सिंह डोटासरा, टीकाराम जूली सहित सभी नेताओं से राहुल कस्वां को लेने के बारे में पूछा है और सर्वसम्मति बनाकर इन्हें पार्टी में लिया है।
(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं। )

 

 

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