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यौन उत्पीड़न मामला: शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार के निलंबित अधिकारी के बच्चों को अग्रिम जमानत दी

नई दिल्ली, 09 जनवरी (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सरकार के निलंबित अधिकारी प्रेमोदय खाखा की बेटी और बेटे को एक नाबालिग लड़की के कथित यौन उत्पीड़न के मामले में अग्रिम जमानत दे दी है।

न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने यह कहते हुए आरोपियों को राहत दी कि याचिकाकर्ता जांच में शामिल हो गए हैं।

पीठ ने सोमवार को एक आदेश में कहा, ”बयान पर गौर करने और दोनों पक्षों के वकीलों को सुनने और रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री को देखने के बाद, हमारा विचार है कि इन विशेष अनुमति याचिकाओं का निपटारा किया जा सकता है, जिसमें याचिकाकर्ताओं को 25,000 रुपये के मुचलके पर गिरफ्तारी की स्थिति में जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जा सकता है। यह जांच अधिकारी की संतुष्टि और सीआरपीसी की धारा 438 (2) के तहत निर्धारित शर्तों का विषय है।”

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता शुभाशीष आर सोरेन और भक्ति सिंह पेश हुए।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल 11 अक्टूबर को खाखा की बेटी और बेटे को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि इस चरण में प्रथम दृष्टया उनसे ‘व्यापक पूछताछ’ की जरूरत है।

पीठ ने कहा था कि भाई-बहन का कोई अता-पता नहीं है और उन्हें अग्रिम जमानत देना समझदारी नहीं होगी क्योंकि इससे जांच पटरी से उतर सकती है जो अभी शुरुआती चरण में है।

अपराध के लिए उकसाने के आरोपी अधिकारी के बेटे और बेटी ने निचली अदालत से राहत नहीं मिलने पर मामले में अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

खाखा ने कथित तौर पर नवंबर 2020 और जनवरी 2021 के बीच कई बार नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार किया था। अगस्त में गिरफ्तारी के बाद से वह जेल में है।

पुलिस ने बताया था कि नाबालिग पीड़िता आरोपी के एक परिचित व्यक्ति की बेटी है।

अधिकारी की पत्नी सीमा रानी भी इस मामले में आरोपी है और वह भी न्यायिक हिरासत में है। उसने कथित तौर पर लड़की को गर्भपात के लिए दवा दी थी।

पीड़िता द्वारा एक अस्पताल में मजिस्ट्रेट के समक्ष अपना बयान दर्ज कराने के बाद दंपति को गिरफ्तार कर लिया गया था।

 

 

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