महिला आरक्षण बिल से बदलेगा माहौल
-देवदत्त दुबे-
-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-
मोदी सरकार की कैबिनेट की बैठक में 33% महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी गई है। आज यह सदन पारित भी हो जाएगा और उसके साथ ही राजनीतिक माहौल बदल जाएगा। विधानसभा हो लोकसभा हो या राज्यसभा सभी जगह महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ जाएगा और राजनीतिक दलों को नए सिरे से महिला नेतृत्व को आगे लाना होगा।
दरअसल पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और इसके बाद होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले आधी आबादी को साधने के जतन चल रहे हैं। राज्य में जहां “लाड़ली बहना योजना” को लागू किया गया है, वही केंद्र सरकार महिला आरक्षण बिल ला रही है। जिसको कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है इसमें महिलाओं को 33% आरक्षण दिया जाएगा। इस बिल के लागू होने के बाद राजनीतिक परिदृश्य में व्यापक परिवर्तन नजर आएगा।
बहरहाल, प्रदेश में विधानसभा की 230 सीटें हैं। 33% महिला आरक्षण बिल लागू होने के बाद लगभग 76 सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। जिस राजनीतिक दलों के सामने अब महिला उम्मीदवारों की तलाश प्रमुख मुद्दा रहेगा। इसके लिए नये सिरे प्रत्याशी चयन की कवायद करनी पड़ेगी।
27 सालों से यह बिल लंबित था क्योंकि इसको लागू करने में बहुत कुछ बदल जाना है जिससे अब तक राजनीतिक दल बचते रहे हैं लेकिन अब 76 सीटों पर प्रदेश में महिला उम्मीदवारों की तलाश तेज हो जाएगी। जिस तरह से भाजपा ने पहली सूची जारी की थी और दूसरी सूची जल्द जारी करने का कहा था लेकिन अब तक नहीं हो पाई। उसके पीछे भी शायद यही कारण होगा कि महिला आरक्षण दिन के बाद महिला उम्मीदवारों को टिकट दिए जाने हैं और शायद ऐसी ही कुछ स्थिति भापकर कांग्रेस भी उम्मीदवार घोषित नहीं कर रही थी अब नए सिरे से महिला उम्मीदवारों की तलाश की जाएगी इसके बाद ही सूची जारी होगी।
कुल मिलाकर जिस तरह से चुनाव के पहले 33% महिला आरक्षण बिल आया है उससे राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। कई सीटों पर समीकरण का गडबाडयेगे यह आरक्षण परिवर्तित भी होता रहेगा। ऐसा भी इस बिल में प्रावधान है इस कारण अब किसी भी की कोई भी सीट स्थाई नहीं रहेगी। उसमें परिवर्तन होता रहेगा महिला आरक्षण बिल के बाद राजनीतिक परिदृश्य में जिस तरह का परिवर्तन आएगा उसके लिए भले ही अभी राजनीतिक दल पूरी करी से तैयार नहीं थे लेकिन आप सभी को इस पर काम करना पड़ेगा।