राजनैतिकशिक्षा

संसद ही सर्वोपरि, सरकार जीती-इंडिया हारा

-सनत जैन-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

राज्यसभा में विपक्षी गठबंधन इंडिया पराजित हो गई है। सरकार को 131 मत बिल के समर्थन में प्राप्त हुए हैं वहीं विपक्षी गठबंधन इंडिया को 102 मत ही प्राप्त हुए। बहुमत और अंकगणित के इस खेल में सरकार जीत गई, और इंडिया हार गई यही कहा जा सकता है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जिस तरह से संसद की सर्वोच्चता पर जवाब देते हुए केंद्र सरकार की शक्तियों को बताया। उससे इतना तो स्पष्ट हो गया कि केंद्र सरकार पूर्ण शासित राज्यों को भी जब चाहे तब उनका विघटन कर सकती है। दिल्ली संशोधन सेवा बिल केंद्र शासित राजधानी, दिल्ली राज्य के लिए लाया गया है। जहां पर राज्य सरकार को सीमित अधिकार हैं। गृहमंत्री ने कहा, जो नियम और कानून कांग्रेस की सरकार के समय बने थे। उसमें कामा और फुल स्टाप का भी अंतर नहीं है। उन्होंने पिछले 30 वर्षों का दिल्ली सरकार के अधिकार और केंद्र सरकार के अधिकार को लेकर जब तक केजरीवाल नहीं आए थे। तब तक केन्द्र और राज्य के बीच कोई झगड़ा नहीं हुआ था। तब इस तरह के बिल लाने की जरूरत नहीं थी।
जब से केजरीवाल आए हैं, वह केंद्र की शक्तियों को लगातार चुनौती दे रहे हैं। ऐसी स्थिति में इस बिल को लाने की दरकार हुई है ऐसा कहकर उन्होंने बिल का बचाव किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह भी बता दिया कि आंध्र प्रदेश का बंटवारा तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच पीए ने किया गया था। यह सभी शक्तियां संसद के पास हैं। उन्होंने संसद की सर्वोच्चता साबित करते हुए, न्यायपालिका के अधिकारों को सीमित बताने का प्रयास किया अमित शाह ने यह भी स्पष्ट रूप से कहा कि संसद में निर्वाचित प्रतिनिधि चुनकर आते हैं। उन्हें कानून बनाने की शक्तियां हैं। इससे स्पष्ट होता है, की न्यायपालिका ने जो कानून बनाए हैं। उनकी समीक्षा ही न्यायपालिका का कर सकती है सरकार को लगता है कि वह न्यायपालिका के निर्णय से संतुष्ट नहीं है। तो वह संविधान में समय-समय पर संशोधन भी कर सकती है। नए-नए कानून भी बना सकती हैं इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए जम्मू-कश्मीर में जब धारा 370 खत्म की गई उसके बाद जम्मू-कश्मीर राज्य को अलग-अलग राज्यों में बांटने का काम किया गया। इससे स्पष्ट हो गया कि संसद जब चाहे तब संविधान और नियम और कानूनों में जो चाहे परिवर्तन बहुमत के आधार पर कर सकती है।
यदि इसी को सच मान जाए, तो जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की थी। उन्हें लोकसभा और राज्यसभा में पूर्ण बहुमत था ऐसी स्थिति में उन्होंने जो भी नियम कानून बनाए, उन्हें भी चुनौती नहीं दी जा सकती थी। संविधान में वर्णित मौलिक अधिकार भी अब नागरिकों के सुरक्षित नहीं रहे। यदि संसद की इस सर्वोच्चता को ध्यान में रखा जाए, तो इन मौलिक अधिकारों को खत्म करते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था में जो अधिकार जनता को दिए गए हैं। जनता ही अपने प्रतिनिधि चुनेगी वहीं सरकार बनाएंगे। संविधान में संशोधन करके इसे भी बदला जा सकता है। जिस तरह का बदलाव जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार द्वारा दो नए केंद्र शासित प्रदेश बनाकर किया गया है। उसके बाद अब किसी भी राज्य को तोड़ना और अपने हिसाब से उसे नया स्वरूप देना, यह बहुमत के आधार पर संसद कभी भी कर सकती है। इसके बाद संघीय व्यवस्था और राज्यों के अधिकार केन्द्र सरकार की कृपा पर हो जाएंगे। यह इस बिल के पास होने से स्पष्ट हुआ है। इंडिया गठबंधन को मात्र 102 वोट मिले हैं सरकार ने बीजू जनता दल के 9 सांसद और वाईएसआर के 9 सदस्यों का समर्थन हासिल कर लिया था यदि 18 राज्यसभा सदस्य इंडिया के पक्ष में मतदान करते, तो इनकी सदस्य संख्या 120 हो जाती। एनडीए की संख्या 131 से घटकर 113 हो जाती है। अंक गणित के इस सिद्धांत को बहुमत मैं परिवर्तित करके राजनीतिक कौशल का परिचय केंद्र सरकार देकर यह बता दिया है, कि लोकसभा और राज्यसभा में यदि पूर्ण बहुमत है। तो उस सरकार को वह सब करने का अधिकार है। जो वह बहुमत के बल पर करना चाहती है। संविधान में मौलिक अधिकार का अनुच्छेद है। उसे भी सरकार बहुमत के आधार पर कभी भी बदल सकती है संविधान भी बदला जा सकता है, और नियम कानून भी अब बदले जा सकते हैं। इसको लेकर विपक्षी गठबंधन और आम नागरिकों के बीच तीव्र प्रतिक्रिया देखने को मिलने लगी है 2024 का लोकसभा चुनाव यदि इसी बहुमत के साथ एनडीए गठबंधन जीत जाता है। अथवा इस तरीके के भारी बहुमत से यदि कोई भी गठबंधन संसद में पहुंच जाता है तो इसी तरह से कभी भी संविधान और लोकतांत्रिक व्यवस्था में वह जो चाहे परिवर्तन कर सकते हैं। उसे गैरकानूनी भी नहीं ठहराया जा सकेगा। इस हिसाब से इंदिरा गांधी के आपातकाल को भी गलत नहीं माना जा सकता है। ईडी, सीबीआई और जॉंच एजेसिंयों का उपयोग राजनैतिक उपयोग के लिये किये जाने के आरोप लग रहे है। सांसदों के अधिकार विहिप ने सीमित कर दिये है। यह चिंता की बात है।

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