राजनैतिकशिक्षा

रेल विकास : कुछ हक़ीक़त भी है या कि केवल फ़साना?

-निर्मल रानी-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

भारत सरकार द्वारा भारतीय रेल के इतिहास में गत 6 अप्रैल (रविवार) का दिन भी एक बहु प्रचारित व लोकलुभावन आयोजन दिवस के रूप में दर्ज हो गया। इस दिन वीडिओ कॉन्फ़्रेंसिंग के द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘अमृत भारत स्टेशन योजना’ का शिलान्यास किया।। सरकार द्वारा हज़ारों करोड़ रूपये ख़र्च कर देश के प्रधानमंत्री के चित्र लगे सम्पूर्ण प्रथम पृष्ठ के विज्ञापन पूरे देश के सभी छोटे बड़े, मंझले, क्षेत्रीय व राष्ट्रीय समाचारपत्रों में प्रकाशित कराये गए। विज्ञापन में बताया गया था कि सरकार 25 हज़ार करोड़ की लागत से देश के 508 रेलवे स्टेशन की नवनीकरण योजना शुरू करने जा रही है। इनमें राजस्थान के 55 स्टेशन आधुनिक बनाये जायेंगे। जबकि 990 करोड़ की लागत से असम के 32 स्टेशंस का काया कल्प होगा। 1057 करोड़ ख़र्च कर पंजाब में 22 स्टेशन आधुनिक बनाये जायेंगे। उत्तर प्रदेश में साढ़े चार हज़ार करोड़ रुपये ख़र्च कर 55 अमृत स्टेशन को विकसित करने की योजना है तो मध्य प्रदेश में 1 हज़ार करोड़ रुपए के ख़र्च से 34 स्टेशन्स का कायाकल्प करने का प्रस्ताव है।

महाराष्ट्र में 44 स्टेशन्स के विकास के लिए डेढ़ हज़ार करोड़ रुपये से ज़्यादा ख़र्च होंगे। 608 करोड़ की लागत से हरियाणा के भी 15 स्टेशन का कायाकल्प किया जायेगा। इनमें अंबाला शहर, कालका, रेवाड़ी, भिवानी, बहादुरगढ़, रोहतक, फ़रीदाबाद, नारनौल, सिरसा, सोनीपत, जींद, यमुनानगर जैसे स्टेशन मुख्य रूप से शामिल हैं। बताया जा रहा है कि इन चिन्हित किये गए ‘अमृत रेलवे स्टेशंस’ पर आगमन और प्रस्थान प्लाज़ा, एक्ज़ीक्यूटिव लाउंज, कॉनकोर्स एरिया, लिफ़्ट और एस्केलेटर, फ़ूड कोर्ट, शॉपिंग मॉल, कैफ़ेटेरिया, प्ले एरिया, ग्रीन बिल्डिंग, नवीकरणीय ऊर्जा, कचरे के प्रसंस्करण, वर्षा जल संचयन, बैगेज स्कैनर, कोच इंडिकेशन बोर्ड, दिव्यांगजन अनुकूल सुविधाओं समेत आधुनिक यात्री सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। उम्मीद की जा रही है कि ‘अमृत भारत स्टेशन पुनर्विकास’ योजना से देश में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा साथ ही रोज़गार के अवसर भी बढ़ेंगे जिससे आर्थिक और सामाजिक विकास भी होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योजना के शुभारंभ के अवसर फिर यह दावा दोहराया कि -‘भारत विकसित होने के लक्ष्य की तरफ़ क़दम बढ़ा रहा और देश अपने अमृत काल के प्रारंभ में है। उन्होंने कहा कि देश में नई ऊर्जा है, नई प्रेरणा है, नए संकल्प हैं और इसी आलोक में आज भारतीय रेल के इतिहास में भी एक नए अध्याय की शुरुआत हो रही है। ग़ौरतलब है कि भारत के लगभग 1300 प्रमुख रेलवे स्टेशन को अमृत भारत रेलवे स्टेशन के तौर पर विकसित किए जाने की योजना है। इसी के प्रथम चरण में 25 हज़ार करोड़ की लागत से देश के 508 रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास की शुरुआत की गयी है। सत्ता व भाजपा समर्थकों द्वारा इस आयोजन को न केवल विज्ञापनों द्वारा बल्कि आलेखों व संवाददाता सम्मेलनों के द्वारा भी ख़ूब प्रचारित किया गया। अमृत भारत स्टेशन योजना में देश के चिन्हित किये गये सभी 508 रेलवे स्टेशन के मुख्य द्वार पर समारोह आयोजित किये गए जिन्हें एक ही समय पर प्रधानमंत्री ने संबोधित किया। आइये हरियाणा के एक ऐसे ही एक अमृत भारत स्टेशन ‘अंबाला शहर’ के आयोजन दिवस के वृतांत पर नज़र डालते हैं।

अंबाला शहर एक ऐसा रेलवे स्टेशन है दिल्ली -अमृतसर -अटारी-जम्मू मार्ग पर पड़ने वाला यह एक ऐसा प्रमुख स्टेशन है जहाँ मात्र एक घंटे की बारिश में ही रेल ट्रैक पर पानी इकठ्ठा हो जाता है। यहाँ तक कि अत्यधिक बारिश होने पर तो इस रुट पर चलने वाली ट्रेन्स ही कैंसिल करनी पड़ती हैं। इत्तेफ़ाक़ से गत 6 अप्रैल को भी जब इस स्टेशन के बाहर ‘अमृत भारत स्टेशन योजना’ से संबंधित समारोह की तैयारी पूरी हो चुकी थी। पिण्डाल स्वागत बोर्ड, स्टेज, प्रचार विज्ञापन फूल गुलदस्ते परदे आदि सब कुछ सजाये जा चुके थे। तभी प्रातः लगभग 6 बजे तेज़ बारिश शुरू हो गयी। इतनी तेज़ बारिश कि स्टेशन के बाहर का स्वागत समारोह पिण्डाल तो अस्त व्यस्त हो ही गया साथ ही रेल ट्रैक पर भी लबालब पानी भर गया। इसी स्टेशन के बिल्कुल सटा हुआ एक नया अंडरपास बना है जो अधिक बारिश में तो भर ही जाता है। कभी कभी ज़मीन के नीचे से लगातार रिसने वाले पानी से भी भर जाता है और आवागमन बंद हो जाता है। यह अंडर पास एक लाइलाज बीमारी सा बन चुका है। सरकार वंदेभारत चलाकर अपनी पीठ स्वयं ठोकती रहती है। कभी इनके अधिकारियों को जनसेवा जैसी अनेक दूरगामी सवारी गाड़ियों की स्थिति पर भी नज़र डालनी चाहिये। जिसमें शौचालय तक में यात्री घुसे रहते हैं और शौचालय को अंदर से बंद भी कर लेते हैं। ज़हर खुरानी के मामले देश भर में आज भी होते हैं। यात्रियों का सामन सफ़र के दौरान सुरक्षित नहीं। स्टेशन पर मिलने वाली खाद्य व पेय सामग्री शुद्ध व स्तरीय नहीं होती। कई बड़े स्टेशन पर क़ुली सवारियों को ट्रेन में ठूंस कर उनसे सैकड़ों रूपये वसूलते हैं।

देश के तमाम रेलवे स्टेशन नशेड़ियों, अपराधियों, भिखारियों व आवारा लोगों का अड्डा बने हुये हैं। कई जगह आसपास की आबादी के लोग स्टेशन से पानी भरते हैं। तो कई जगह पानी की सप्लाई ही नियमित नहीं होती। कहीं शौचालय नहीं तो कहीं है भी तो जाने लायक़ नहीं। ट्रेन में बाबा-भिखारी बने लोग सीटों पर क़ब्ज़ा जमाकर पूरे देश में सरेआम बिना टिकट यात्राएं करते हैं। कोई रोकने वाला नहीं। परन्तु मेहनत कश ग़रीब आदमी यदि ग़लती से एक स्टेशन भी आगे चला जाये तो उसे जुर्माना व अपमान सहना पड़ता है। गाय कुत्ते और कहीं कहीं तो बंदरों का स्टेशन पर घूमना, यात्रियों को तंग करना और गंदगी फैलाना तो आम बात है। विकास की तमाम इबारतें लिखने के बावजूद अभी भी ऐसे तमाम विसंगतियां हैं जिनसे भारतीय रेल जूझता आ रहा है। ऐसे में देशभर में रेलवे स्टेशनों को विश्वस्तरीय सुविधाओं के साथ विकसित करने का दावा करना, अनेक स्टेशन के नए डिज़ाइन स्थानीय संस्कृति और विरासत के अनुसार रखना, देश में आधुनिक ट्रेनों की संख्या बढ़ाते जाना, प्लेटफॉर्म्स पर बैठने के लिए बेहतर सीटें लगाना, अच्छे वेटिंग रूम बनाना आदि से भी ज़रूरी है यात्री को सुगम, आरमदे, सुरक्षित यात्रा देना, रेल ट्रैक पूर्णतः सुरक्षित बनाना आदि। केवल स्टेशन भवन, यात्री विश्रमालय आदि का निर्माण या रंग रोग़न कर रेल विकास की बातें करने पर यह सवाल तो उठेगा ही कि इस ‘रेल विकास कथा ‘ में कुछ हक़ीक़त भी है या कि केवल फ़साना।

 

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