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न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में वर्नोन गोंजाल्विस और अरूण फरेरा को जमानत दी

नई दिल्ली, 28 जुलाई (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। उच्चतम न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में कार्यकर्ता वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को शुक्रवार को जमानत दे दी और इस तथ्य पर गौर किया कि वे पांच वर्ष से हिरासत में हैं।

न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस तथा न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने निर्देश दिया कि गोंजाल्विस तथा फरेरा महाराष्ट्र से बाहर नहीं जाएंगे और पुलिस के समक्ष अपना पासपोर्ट जमा कराएंगे.

कोर्ट ने कहा कि दोनों कार्यकर्ता एक-एक मोबाइल का इस्तेमाल करेंगे और मामले की जांच कर रहे राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को अपना पता बताएंगे. दोनों कार्यकर्ता उनकी जमानत याचिका बंबई हाई कोर्ट से खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे.

यह मामला पुणे में 31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद के एक कार्यक्रम से जुड़ा है और पुणे पुलिस का कहना है कि इसके लिए धन माओवादियों ने दिया था. पुलिस का आरोप है कि कार्यक्रम के दौरान दिए गए भड़काऊ भाषणों के कारण अगले दिन कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक में हिंसा भड़की थी.

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