राजनैतिकशिक्षा

सत्ता के लिए आधी आबादी पर फोकस

-देवदत्त दुबे-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 के लिए सत्ता संघर्ष दिन प्रतिदिन तेज होता जा रहा है। यह संघर्ष प्रतिद्वंदी दलों के बीच तो हो ही रहा है दलों के अंदर भी अंदरूनी घमासान जारी है। इसके बावजूद दोनों दलों का फोकस आधी आबादी को साधने का है क्योंकि सत्ता का रास्ता यहीं से निकलेगा।

दरअसल, आजादी के बाद प्रदेश और देश में महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही है। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां महिलाओं को अवसर दिया गया हो और उन्होंने कीर्तिमान ना रचे हो। प्रदेश में ऐसा माहौल दोनों ही दलों द्वारा बनाया जा रहा है कि वह आधी आबादी के दम पर सत्ता हासिल करेंगे। इसके लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। भाजपा ने जहां “लाडली लक्ष्मी योजना” के बाद “लाडली बहना योजना” लागू की है जिसमें पात्र महिलाओं को जून से ₹1000 महीने प्रतिमाह मिलेंगे।

इसके जवाब में आज से कांग्रेस “नारी सम्मान योजना” का शुभारंभ कर रही है जिसमें छिंदवाड़ा जिले के परासिया से महिलाओं से फॉर्म भरे जाएंगे कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर 1500 रुपए प्रतिमाह दिए जाएंगे। इसके साथ ही कांग्रेस₹500 में घरेलू सिलेंडर देने की बात भी कर रही है। इन्हीं मुद्दों पर प्रदेश ssकी सियासत सिमट रही है। भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस का यह छलावा है जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है वहां अभी तक क्यों नहीं 1500 महिलाओं को प्रतिमाह रुपए और 500 में सिलेंडर दिए जा रहे हैं। इस पर कांग्रेसी नेता राजस्थान में सिलेंडर देने का दावा कर रहे हैं।

कुल मिलाकर प्रदेश में सत्ता प्राप्ति के लिए भाजपा और कांग्रेस कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं बूथ मैनेजमेंट से लेकर बेहतर प्रत्याशी की तलाश आकर्षक घोषणा पत्र सामाजिक समीकरणों को साधना और मैनेजमेंट के आधुनिक तरीकों को अभी से अंतिम रूप दिया जा रहा है लेकिन इन सब से अलग हटकर दोनों ही दल सबसे ज्यादा जोर आधी आबादी पर दे रहे हैं। प्रदेश में ढाई करोड़ से ज्यादा महिला मतदाता हैं और महिलाएं अब मतदान में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने लगी है। जिस तरह से स्थानीय निकाय त्रिस्तरीय पंचायती राज के चुनाव में महिलाओं को प्रतिनिधित्व दिया जाने लगा है उससे ना केवल वर्ग में जागरूकता बढ़ी है वरन अपने नफा नुकसान के आधार पर निर्णय लेने लगी है। ऐसे में राजनीतिक दल महिला वर्ग को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं और जो भी दल चुनाव तक इस वर्ग का अधिकतम विश्वास हासिल कर लेगा उसके लिए सत्ता का रास्ता आसान हो जाएगा।

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