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चुनावी बॉण्ड के खिलाफ याचिकाओं को बृहद पीठ को सौंपने के अनुरोध पर विचार करेगा न्यायालय

नई दिल्ली, 21 मार्च (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह इस मसले पर विचार करेगा कि क्या राजनीतिक दलों को धन उपलब्ध कराने संबंधी चुनावी बॉण्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को ‘प्रामाणिक फैसले’ के लिए संविधान पीठ के सुपुर्द किया जा सकता है या नहीं।

याचिकाकर्ता गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) के उस दावे के मद्देनजर शीर्ष अदालत की इस टिप्पणी का काफी महत्व माना जा रहा है कि चुनावी बॉण्ड के जरिये राजनीतिक दलों को 12 हजार करोड़ रुपये अभी तक दिये जा चुके हैं और इसमें से दो-तिहाई राशि एक प्रमुख पार्टी को मिली है, इसलिए आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनावों से पहले इस मामले का निर्धारण किया जाना आवश्यक है।

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने कहा, ‘‘हम 11 अप्रैल को इस बात पर विचार करेंगे कि याचिकाओं को संविधान पीठ के सुपुर्द किया जाए या नहीं।’’

जनहित याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वीकल शादान फरासत ने कहा कि राजनीतिक दलों को चंदे के लिए चुनावी बॉण्ड योजना के प्रभाव के मद्देनजर याचिकाओं को संविधान पीठ को सौंपा जाए।

फरासत ने कहा कि इस मुद्दे पर बृहद पीठ द्वारा ‘प्रामाणिक फैसले’ की आवश्यकता है।

गैर-सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रैटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने भी फरासत की इन दलीलों का समर्थन किया।

दवे ने कहा कि मामले की सुनवाई आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनावों से पहले अप्रैल में की जानी चाहिए।

इसके बाद न्यायालय ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की अनुपस्थिति के कारण सुनवाई स्थगित करने के केंद्र सरकार के अनुरोध के बाद अगली सुनवाई के लिए 11 अप्रैल की तारीख मुकर्रर की।

सरकार ने दो जनवरी, 2018 को चुनावी बॉण्ड योजना अधिसूचित की थी।

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