थरूर ने स्थिति स्पष्ट करने के लिये अब नेहरू की अमेरिका यात्राओं के वीडियो साझा किए
नई दिल्ली, 26 सितंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। तीन दिन पहले जवाहर लाल नेहरू से संबंधित एक ट्विटर पोस्ट को लेकर ट्रोल होने के बाद कांग्रेस नेता शशि थरूर ने स्थिति स्पष्ट करने के लिये बृहस्पतिवार को कुछ वीडियो फुटेज साझा किये, जिनमें अमेरिका यात्राओं के दौरान भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के भव्य स्वागत के दृश्य दिखाई देते हैं। थरूर ने ट्रोल करने वालों को शांत करने की कोशिश के तहत फुटेज के यूट्यूब वीडियो लिंक साझा किए जिनमें नेहरू विभिन्न अमेरिकी राष्ट्रपतियों से मिलते दिखाई दे रहे हैं। सबंधित एक लिंक में वर्ष 1949 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन हवाई अड्डे पर नेहरू का स्वागत करते दिखाई देते हैं। एक अन्य लिंक वर्ष 1956 का है जिसमें अमेरिका के तत्कालीन उपराष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन हवाई अड्डे पर नेहरू और उनकी पुत्री इंदिरा गांधी की अगवानी करते दिखते हैं। इस फुटेज में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ड्वाइट डी आइजनहावर व्हाइट हाउस में नेहरू का गर्मजोशी से स्वागत करते नजर आते हैं। तीसरी वीडियो क्लिप 1961 की है जिसमें नेहरू तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी से मुलाकात करते और वाशिंगटन में भारतीय समुदाय को संबोधित करते तथा पत्रकारों से मिलते दिखाई देते हैं। मामला सोमवार की रात तब शुरू हुआ जब थरूर ने अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में आयोजित हाउडी मोदी कार्यक्रम को निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन इस पर वह खुद परेशानी में फंस गए। उन्होंने नेहरू और इंदिरा गांधी की एक तस्वीर पोस्ट की और कहा कि यह अमेरिका की है जिसमें दोनों दिवंगत नेताओं के भव्य स्वागत का दृश्य है। इस पर लोग उन्हें ट्रोल करने लगे। बाद में थरूर ने कहा कि तस्वीर अमेरिका की नहीं, संभवतः यह नेहरू और इंदिरा की सोवियत संघ यात्रा के समय की है। थरूर द्वारा पोस्ट की गई तस्वीर में नेहरू और इंदिरा एक खुले वाहन में सवार तथा उनके स्वागत में बड़ी संख्या में लोग दिखाई देते हैं। इस तस्वीर को लेकर थरूर गलत स्पेलिंग के चलते भी ट्रोल हुए जिसमें इंदिरा गांधी का नाम इंडिया गांधी लिखा था। इसके बाद ट्रोलर को शांत करने की कोशिश में थरूर ने मंगलवार की रात नेहरू की 1949 में हुई अमेरिका यात्रा की प्रामाणिक तस्वीर पोस्ट की जिसमें नेहरू को सुनने के लिए विस्कोंसिन विश्वविद्यालय में बड़ी संख्या में जुटे लोग देखे जा सकते हैं। थरूर ने कहा, गलत लेबल वाली तस्वीर के बाद यहां हमारे प्रधानमंत्री की 1949 में हुई अमेरिका यात्रा से एक प्रामाणिक तस्वीर है। नवंबर 1949 में पंडित जवाहर लाल नेहरू को सुनने के लिए बड़ी संख्या में भीड़ विश्वविद्यालय में जुटी।