राजनैतिकशिक्षा

ऋषि सुनक के समक्ष आर्थिक चुनौतियां

-डा. अश्विनी महाजन-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

भारतीय मूल के ऋषि सुनक द्वारा आर्थिक संकट से जूझ रहे इंग्लैंड के प्रधानमंत्री का दायित्व संभालते ही यह सवाल महत्वपूर्ण हो गया है कि इस संकट का ऋषि सुनक क्या हल निकालेंगे? पिछले महीनों में 27 प्रतिशत से ज्यादा गिरावट के साथ 26 सितंबर 2022 तक डालर के मुकाबले ब्रिटिश पाऊंड इतिहास में अभी तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था। उसके बाद पिछले एक महीने में 6.5 प्रतिशत तक बेहतर हुआ है। इंग्लैंड के विदेशी मुद्रा भंडार, आज मात्र कुछ हफ्तों के आयातों के लिए ही पर्याप्त हैं। एक तरफ पाऊंड डालर के मुकाबले में लगातार गिर रहा है और बैंक ऑफ इंग्लैंड (केन्द्रीय बैंक) के लिए विदेशी मुद्रा भंडारों में भी आ रही गिरावट के चलते पाऊंड को और अधिक गिरने से बचाने में मुश्किल होता जा रहा है। 1976 में जब एक पाऊंड दो अमरीकी डालर के बराबर था और उसमें कमजोरी आ रही थी, तब इंग्लैंड ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष से 3.9 अरब डालर का ऋण लेकर उसे थामने की कोशिश की थी। लेकिन अब जब पाऊंड एक अमरीकी डालर की ओर आगे बढ़ रहा है। इंग्लैंड के पास ऐसा कर पाने का सामथ्र्य ही दिखाई नहीं दे रहा।

अर्थव्यवस्था में अगस्त माह तक जीडीपी 0.3 प्रतिशत की गिरावट रिकार्ड हो चुकी थी, जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के अनुमानों के अनुसार भी 2023 में जीडीपी ग्रोथ अधिक से अधिक 0.3 प्रतिशत की ही वृद्धि अपेक्षित है। इस वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी की ग्रोथ 0.7 प्रतिशत रही, जो दूसरी तिमाही में घटकर 0.2 प्रतिशत, जुलाई में 0.1 प्रतिशत और अगस्त में और घटते हुए ऋणात्मक 0.3 प्रतिशत हो गई थी, यानी अर्थव्यवस्था 0.3 प्रतिशत सिकुड़ गई। पिछले माह ब्रिटिश अर्थव्यवस्था में महंगाई की दर 10.1 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है और यूक्रेन युद्ध के चलते तेल और गैस की आपूर्ति बाधित होने के कारण ईंधन की कीमतें 3 गुणा तक बढ़ चुकी हैं। आगे आने वाली सर्दियों में ब्रिटेनवासी मुश्किलों का सामना करने के लिए बाध्य होंगे। समझा जा रहा है 30 प्रतिशत इंग्लैंड वासियों की बचत समाप्त हो चुकी है और सरकारी कर्ज भी, जीडीपी के 95 प्रतिशत तक पहुंच चुका है, जो एक रिकार्ड है। एक गैर सरकारी संस्थान का कहना है कि 50 सालों में यह सरकारी कर्ज जीडीपी के 320 प्रतिशत तक पहुंच सकता है।

प्रधानमंत्री के नाते चयनित होते ही ऋषि सुनक ने सीधे तौर पर कहा कि गंभीर संकट में फंसी अर्थव्यवस्था का समाधान उनकी पहली प्राथमिकता होगी। पूर्व प्रधानमंत्री लिज ट्रस द्वारा लिए गए निर्णयों के बारे में उन्होंने कहा कि गलतियां हुई हैं, लेकिन उनकी नीयत पर शक नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि उन्हें इन्हीं समस्याओं के समाधान हेतु चुना गया है। उन्होंने यह भी कहा कि वे सरकार को ईमानदारी और पेशेवर तरीके से और जवाबदेही के साथ चलाएंगे। गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस ने आयकर की दर घटाने और कमजोर वर्गों को राहत देने के उद्देश्य से बजट प्रावधान करने के कुछ निर्णय लिए थे, जिसके कारण सरकार द्वारा भारी कर्ज लेने का खतरा मंडराने लगा, जिसके चलते सरकार की साख इतनी अधिक प्रभावित हुई कि 26 सितंबर 2022 तक 30 वर्षीय बाँड की कमाई 4.95 प्रतिशत तक बढ़ गई थी। हालांकि इसके बाद इसमें सुधार होते हुए यह 3.75 प्रतिशत तक घट गई है। इसके कारण भविष्य में सरकारी उधार की लागत बढऩे का अंदेशा हो गया था। सिकुड़ती अर्थव्यवस्था, बढ़ती महंगाई और राजस्व की बदतर होती स्थिति के चलते पूर्व प्रधानमंत्री ट्रस के इस्तीफे के बाद ऋषि सुनक के ऊपर एक बड़ा दायित्व आ गया है कि वो ब्रिटेन की डूबती नाव को पार ले जाने का काम करें। हालांकि 17 नवंबर को जब ऋषि सुनक अपनी आर्थिक नीतियों का खुलासा करेंगे तब स्थिति ज्यादा स्पष्ट हो सकेगी।

लेकिन यह समझना होगा कि ऋषि सुनक के पास इस संबंध में क्या विकल्प हैं? लिज़ ट्रस ने अपने बजट में लोगों को महंगाई से राहत देने के लिए सरकारी करों में भारी रियायत देने की योजना प्रस्तुत की थी। उनका कहना था कि इससे आर्थिक विकास को गति मिलेगी और लोगों को मंहगाई से राहत। उन्होंने 45 अरब पाउंड की टैक्स कटौती की बात की थी। ऐसे में बाजारी शक्तियों ने इसे सही कदम नहीं मानाा और बाजार में अस्थिरता व्याप्त हो गई और वित्तीय मंदी के हालात पैदा हो गए। ऋषि सुनक ने लिज़ ट्रस को चेताया था कि वे खर्च पर लगाम लगाएं और करों में कटौती न करें। ऋषि सुनक का यह कहना है कि महंगाई से निकलने के लिए उधार का रास्ता अपनाना सही नहीं है। अब जब पहले कंजर्वेटिव पार्टी के सांसदों ने ऋषि सुनक के मुकाबले लिज़ ट्रस को सत्ता सौंपने का निर्णय लिया था, उन्हीं सांसदों ने अब ऋषि सुनक को सत्ता सौंपी है। बढ़ती महंगाई के बीच करों में कटौती (चाहे वो जनता को राहत देने के लिए ही की गई हो) और उसके लिए जरूरी कर्ज लेने की अनिवार्यता के कारण बाजार ने सरकार की साख को खासा नीचे गिरा दिया और बाँडों की कीमत काफी घट गई। इसका मतलब यह था कि यदि सरकार अपने खर्चे पूरे करने के लिए ज्यादा ऋण लेना चाहे तो वो बहुत अधिक ब्याज दर पर मिलेगा, जिससे भविष्य में सरकार की ब्याज की देनदारी पहले की तुलना में काफी ज्यादा हो जाएगी। गौरतलब है कि सरकार की साख में इतनी गिरावट शायद कभी अनुभव नहीं की गई थी। केवल सरकारी ऋण ही नहीं, अर्थव्यवस्था की रिकवरी भी बढ़ती ब्याज दरों के कारण मुश्किल हो गई है। उधर पहले से ही आम जनता बढ़ती कीमतों के कारण घटती क्रय शक्ति से जूझ रही है। बढ़ती ईंधन और खाद्य पदार्थों की कीमतों ने मध्यम वर्ग का बजट पहले से ही बिगाड़ दिया है।

ऐसे में मॉर्टगेज कंपनियों की वसूली भी प्रभावित होने का खतरा मंडरा रहा है। इससे बैंकों और वित्तीय संस्थानों की सेहत पर भी असर पड़ सकता है। गौरतलब है कि टैक्स घटाने, खर्च बढ़ाने और उधार लेने की नीति के प्रबल विरोधी सुनक मानते हैं कि यह ‘कंजर्वेटिव’ सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है और इसे समाजवाद ही कहा जाएगा। सुनक की योजना है कि उधार टैक्स को वर्तमान 20 पैसे प्रति पाउंड से घटाकर 16 पैसे प्रति पाउंड किया जाए (20 प्रतिशत कटौती), 2024 तक आयकर को 1 प्रतिशत घटाया जाए, घरेलू ईंधन बिल में कटौती हो और कारपोरेट टैक्स को 2023 तक बढ़ाया जाए। रूस के बारे में सुनक यह मानते हैं कि ब्रिटिश कंपनियों को रूस में निवेश घटाना चाहिए और रूस पर प्रतिबंधों को और कड़ा किया जाना चाहिए। चीन के बारे में सुनक मानते हैं कि घरेलू और दुनिया की सुरक्षा के लिए चीन सबसे बड़ा खतरा है। उनका यह मानना है कि चीन ने बेल्ट रोड योजना के माध्यम से कई विकासशील देशों को कर्जजाल में फांस लिया है। वे यह भी मानते हैं कि चीन ब्रिटेन की प्रौद्योगिकी चुराने का भी दोषी है। बाजारों की स्वीकार्यता की दृष्टि से सुनक की योजना लिज़ ट्रस की नीतियों से अधिक बेहतर दिखाई देती है। देखना होगा कि वे अपनी योजना को वास्तविकता का जामा कैसे पहनाते हैं। लेकिन इस बात में दो राय नहीं कि सुनक का आने वाला समय चुनौतीपूर्ण है। एक तरफ उन्हें ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को संभालना है, तो दूसरी ओर लेबर पार्टी की बढ़ती लोकप्रियता के कारण कंजर्वेटिव पार्टी के लिए जन समर्थन को भी बरकरार रखना है।

 

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