राजनैतिकशिक्षा

ब्रह्माकुमारीज़ के वैश्विक सम्मेलन में विश्व शांति का आव्हान!

-डॉ श्रीगोपाल नारसन-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन आबू रोड़ में 10 से 14 सितंबर तक चल रहे वैश्विक शिखर सम्मेलन-2022 में आध्यात्मिक पथ पर चल कर विश्व शांति कायम करने का आव्हान किया गया है। ‘विश्व शांति का अग्रदूत भारत’ विषय पर आयोजित इस सम्मेलन का उदघाटन 11 सितंबर को संस्थान की प्रमुख राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी , सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, केन्द्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी, हरियाणा के जनजातीय मंत्री ओम प्रकाश यादव समेत बड़ी संख्या में देश विदेश की ख्यातनाम हस्तियों द्वारा किया गया है।संस्थान के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय ने बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर विषय के तहत यह वैश्विक शिखर सम्मेलन (ग्लोबल समिट-2022) आयोजित किया गया है। इस सम्मेलन में कई प्रदेशों के मंत्री, राजनेता, सांसद, विधायक, फिल्म अभिनेता, सुप्रसिद्ध समाजसेवी, वरिष्ठ मीडियाकर्मी, विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षाविद, उद्योगपति समेत तमाम नामचीन हस्तियां शामिल रही।सर्वोच्च न्यायाालय के पूर्व मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई ने कहा कि मन की शांति से ही विश्व की शांति की स्थापना हो सकती है। राज्यसभा सांसद न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्था वंडरफुल आर्गेनाइजेशन है, यहां से लोगों को मूल्य, सभ्यता, संस्कृति, योग, आध्यात्म की शिक्षा दी जा रही है। आज के युग में ऐसे कार्यों की बहुत जरूरत है, ब्रह्माकुमारी कर्मयोग में विश्वास रखती है, यहां से समाज को ज्ञान दिया जा रहा है, योग से ही दुनिया में बदलाव आएगा। योग-आध्यात्म से ही दुनिया में शांति आएगी।यहां से आत्मा के ज्ञान द्वारा दुनिया को शांति का संदेश दिया जा रहा है।सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि रक्षा, सुरक्षा, चिकित्सा जो भी शब्द शक्ति से भरपूर हैं, वह कहीं न कहीं नारी शक्ति से जुड़े हैं, हमारी मूल सभ्यता-संस्कृति शांति की रही है. चारों ओर शांति होगी, सबका भला होगा तो उसमें ही हमारा सुख और शांति है।उन्होंने मीडिया से आह्नान किया कि जब बुराई दिखाना जरूरी है, तो जो लोग समाज में भला काम कर रहें हैं वह दिखाना भी जरूरी है, ताकि लोग अच्छे कार्य से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ सकें।
विशिष्ट अतिथि हरियाणा सरकार में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री ओम प्रकाश यादव ने कहा कि मानव सेवा, गरीब की सेवा, गौसेवा से बड़ी कोई सेवा नहीं है. अहिंसा परमो धर्म: का हमारा संस्कार रहा है, सर्वे भवंतु सुखिन:, सर्वे संतु निरामया: हमारा नारा है. कोरोना काल में जहां उन्नतशील देश घबरा गए थे, वहीं भारत वर्ष ने सबसे पहले कोरोना वैक्सीन की खोज की, साथ ही 170 देशों में यह वैक्सीन बिना किसी अतिरिक्त लागत दी। हमारे संस्कारों में मानवमात्र के कल्याण का भाव रहा है, इसी उद्देश्य को लेकर ब्रह्माकुमारी भाई-बहनों देश के कोने-कोने में इस मिशन को चला रहें हैं। यहां की शांति, सुंदरता और सफाई अद्भुत है। सामाजिक क्षेत्र में संस्था अपनी जिम्मेदारी निभा रही है।ओम प्रकाश यादव ने कहा कि मनुष्य में विद्या होती है, अच्छे संस्कारों का व्यक्ति उसे दान करेगा और संस्कारहीन उस विद्या को लेकर विवाद करेगा, गैर संस्काररित व्यक्ति के पास धन आ गया तो घमंड करेगा और संस्कारित दान करेगा। यहां मैंने जाना कि आत्मा ही शरीर की मालिक है और मन-बुद्धि-संस्कार उसकी तीन शक्तियां हैं।
सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री द्वारा भेजे गए संदेश का भी वाचन किया गया।अतिथियों का विशेष मुकुट, माला, मोमेंटो और शॉल पहनाकर स्वागत किया गया, साथ ही विशेष हस्तियों को संस्थान की ओर से सम्मानित किया गया।
यह वैश्विक शिखर सम्मेलन कई मायनों में खास रहा है। इसमें एक स्वागत सत्र, उद्घाटन सत्र, चार खुले सत्र, चार ध्यान योग सत्र के साथ समापन सत्रों में कई विषयों पर विभिन्न क्षेत्रों के विद्वान विचार मंथन कर रहे है।इस वैश्विक शिखर सम्मेलन का उद्देश्य सामाजिक और राजनीतिक लोगों में मानवीय मूल्यों के बारे में जागरूकता पैदा करना है।साथ ही शांति और अहिंसा के मूल्यों को बढ़ावा देना, भौतिक चेतना से आत्मिक चेतना में बदलाव लाना और एक स्थायी वातावरण सुनिश्चित करने में समाज की सकारात्मक और सक्रिय भूमिका को प्रोत्साहित करना है। सम्मेलन में हिंसा मुक्त समाज की स्थापना में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के चमत्कारों का उपयोग करने के साथ ही महिलाओं को आनंद और खुशी के ध्वजवाहक के रूप में सम्मानित करना, युवाओं को रचनात्मक और सकारात्मक बदलाव के लिए प्रेरित करना इस वैश्विक शिखर सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य कहा जा सकता है।
सम्मेलन मे देश-विदेश से पांच हजार लोग और नामचीन हस्तियां भाग ले रही हैं। स्वागत सत्र में नेपाल के डिवाइन कल्चरल ग्रुप के कलाकारों ने मयूर डांस पेश किया तो पूरा डायमंड हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।सम्मेलन के स्वागत सत्र में मैसूर के महाराजा एचएच महिषापुर दिशा यदुवीरा कृष्णादत्ता ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्थान देश और समाज हित में बहुत ही सराहनीय कार्य कर रही है।यहां से लोगों को सकारात्मक सोच से विश्व परिवर्तन की शिक्षा दी जा रही है। साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए भी कार्य किए जा रहे हैं। भारत पूरे विश्व में शांति लाने के लिए प्रयासरत है।दिल्ली से आए दूरदर्शन के कंसल्टेंट एडिटर मनीष वाजपेयी ने कहा कि देवों शांति का जो श्लोक है, ये गवाही देता है कि भारत दुनिया को अतीत से आज तक शांति देता रहा है। भारत कई खण्डों और मोड़ से गुजरा है। यहां कई आक्रांता आए।लेकिन यहां की मिट्टी का ही कमाल है कि उन्हें यहां आकर शांति और सम्मान ही मिला है। भारत ने कभी शांति का दामन नहीं छोड़ा है।भारत का ये पारंपरिक विचार देश के हर नागरिकों में रचा-बसा है। ये बात विदेश के लोगों ने भी कही है कि पूरी दुनिया घूम लीजिए लेकिन भारत जैसी शांति कहीं और नहीं मिल सकती है। भारत ने दुनिया को गले लगाया है। भारत ने आदिकाल से ही वसुधैव कुटुम्बकम का नारा दिया है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां अतिथि देवो भव: की परंपरा है। हमारे आचार-विचार में शांति की बात होती है। हजारों कालखण्डों के बाद शांति जैसे शब्दों का सृजन होता है। संयुक्त राष्ट्र संघ में शांति की जब भी बात आती है तो विश्व शांति में सबसे पहले भारत का नाम आता है।जिसमे ब्रह्माकुमारीज़ जैसी संस्थाओं का अहम योगदान है।सम्मेलन में संस्था के अतिरिक्त महासचिव बीके ब्रजमोहन भाई,कार्यकारी सचिव बीके मृतुन्जय भाई,संस्था की संयुक्त प्रशासिका बीके संतोष दीदी आदि मौजूद रहे।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *